नई दिल्ली नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) को लेकर किसान संगठनों और सरकार के बीच गतिरोध जारी है। किसान संगठनों के जवाब के बाद सरकार ने एक बार फिर उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। साथ ही उनसे तारीख व समय भी पूछा है। सरकार की ओर से भेजे गए नए पत्र पर मंथन के लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बैठक बुलाई है। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले ही 40 किसान संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आज फिर होगी संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलन के लिए बैठे किसानों ने सरकार के नए पत्र पर मंथन के लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक बुलाई है। इस बैठक में ही आगे को लेकर रणनीति तय होगी। एक किसान संगठन के नेता ने कहा कि सरकार को क्या जवाब देना है, इसका आखिरी फैसला तो संयुक्त मोर्चा की बैठक में होगा लेकिन सरकार के पत्र में भी कुछ भी नया और ठोस नहीं है। सरकार ने पत्र भेजकर फिस से बातचीत के लिए आमंत्रित किया कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं को पत्र लिखकर उन्हें बातचीत के लिए फिर से आमंत्रित किया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित किसी भी नई मांग को अजेंडे में शामिल करना 'तार्किक' नहीं होगा क्योंकि नए कृषि कानूनों से इसका कोई संबंध नहीं है। सरकार का पत्र संयुक्त किसान मोर्चे के 23 दिसंबर के उस पत्र के जवाब में आया है, जिसमें कहा गया है कि यदि सरकार संशोधन संबंधी खारिज किए जा चुके बेकार के प्रस्तावों को दोहराने की जगह लिखित में कोई ठोस प्रस्ताव लाती है, तो किसान संगठन वार्ता के लिए तैयार हैं। MSP गारंटी अधिनियम चाहते हैं किसान क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रेस सचिव अवतार सिंह मेहमा ने कहा कि केंद्र यह दावा जारी रख सकता है कि नए कानून एमएसपी प्रणाली को प्रभावित नहीं करेंगे, लेकिन किसान एमएसपी गारंटी अधिनियम चाहते हैं जो यह सुनिश्चित करेगा कि उनकी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिके। उन्होंने कहा, 'संयुक्त किसान मोर्चा सरकार के पत्र पर चर्चा करने के लिए शुक्रवार को बैठक करेगा और फिर इसका जवाब देगा।' करीब एक महीने से डटे हुए हैं किसान गौरतरब है कि सितंबर में लागू किए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान लगभग एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं। इन किसानों की साफ तौर पर मांग हैं कि तीनों नए कृषि कानूनों को सरकार वापस ले और एमएसपी को कानून बनाए।
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