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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Monday, November 29, 2021

Iran Insists on Immediate Lifting of Sanctions as Nuclear Talks Resume


World New York TimesBy BY STEVEN ERLANGER Via NYT To WORLD NEWS

Virgil Abloh’s Celebrity Influence


Style New York TimesBy BY VANESSA FRIEDMAN Via NYT To WORLD NEWS

With Political Memes, the Medium Matters


Style New York TimesBy BY RHONDA GARELICK Via NYT To WORLD NEWS

Virgil Abloh, Ambassador and Infiltrator


Style New York TimesBy BY JON CARAMANICA Via NYT To WORLD NEWS

Movie theaters must ‘urgently’ rethink the experience, a study says.


Business New York TimesBy BY BROOKS BARNES Via NYT To WORLD NEWS

Viral Video: प्रशासन शहरों के संग शिविर की पोल खोलती SDM ओम प्रभा का वीडियो वायरल


प्रमोद तिवारी, भीलवाड़ा
राजस्थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्‍ट प्रशासन शहरों और गांवों के संग अभियान में लग रहे शिविरों में आए दिन बवाल हो रहे हैं। कहीं ये शिवर नेताओं के अखाड़े बनते जा रहे हैं। तो कहीं सरकारी मशीनरी की भेंट चढ़ रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी शिविरों से नदारद रहकर उन्हें चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के भरोसे छोड़ कर महज खानापूर्ति में लगे हैं। ऐसे में सीएम गहलोत के महत्वकांशी प्रोजेक्ट को पलीता लगा रहे हैं।
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एसडीएम ओम प्रभा का वीडियो
ऐसी ही एक शिवर का वीडियो वायरल हुआ है। यह शिविर सोमवार को भीलवाड़ा जिला मुख्‍यालय पर ही आयोजित हुआ। नगर परिषद् की ओर से प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत लगा था। इसमें उपखण्ड मजिस्‍ट्रेट ओम प्रभा ने औचक निरिक्षण किया तो शिविर में एक भी जिम्‍मेदार अधिकारी और कर्मचारी वहां उपस्थित नहीं मिला। यह देख उपखण्‍ड मजिस्‍ट्रेट ओम प्रभा ने वहां मौजूद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिनके भरोसे यह शिविर चल रहा था, उन्‍हें खूब खरी-खोटी सुनाई।
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कुर्सी के लिए हंगामा
दूसरा वीडियो, प्रशासन गांवों के संग अभियान में कोटड़ी पंचायत समिति में लगे एक शिविर का है। इसमें साल 2018 का विधानसभा चुनाव हार चूके पूर्व विधायक वि‍वेक धाकड़ मंच पर कूर्सी नहीं मिलने से नाराज हो गए। वे जनता के बीच जमीन पर जा बैठे। इस शिविर में धाकड़ को हराने वाले भाजपा विधायक गोपाल खण्‍डेलवाल मौजूद थे और कोटड़ी पंचायत समिति के प्रधान करण सिंह ने केवल संवैधानिक पदों वाले व्‍यक्तियों को कूर्सी देने की बात कहकर आग में घी का काम कर दिया। शिविर के प्रभारी एसडीएम उत्‍कर्ष शाहू ये सब देखकर हैरान नजर आए।
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वो भी मामा, ये भी मामा, यानी टंट्या भील का पुनर्जन्म शिवराज के रूप में हुआ- कमल पटेल का एक और ‘खुलासा’


खरगोन
एमपी के कृषि मंत्री कमल पटेल ने सोमवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान की तुलना टंट्या भील (Shivraj Compared with Tantya Bheel) से कर दी। खरगोन जिले के भीकनगांव में पटेल ने कहा कि एक तरह से टंट्या मामा का ही पुनर्जन्म शिवराज मामा के रूप में हुआ है। इससे पहले जब केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लिए थे, तब पटेल ने खुलासा किया था कि बीजेपी सरकार कृषि कानून फिर से लेकर आएगी।

खरगोन में जननायक टंट्या भील की गौरव यात्रा के दौरान जिले के प्रभारी और कृषि मंत्री कमल पटेल ने टंट्या मामा को लेकर यह अजीबोगरीब (Kamal Patel Controversial Statement) बयान दिया। उन्होंने टंट्या मामा की तुलना सीएम शिवराज सिंह चौहान से कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने कह दिया कि टंट्या मामा का पुनर्जन्म शिवराज मामा के रूप में हुआ है। कांग्रेस ने उनके बयान को आपत्तिजनक बताते हुए बीजेपी और कमल पटेल के माफी की मांग की है। #kamalpatel, #shivrajsinghchouhan, #Tantyabheel, #Controversialstatement


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Ghislaine Maxwell ‘exploited young girls’ and ‘served them up’ to Epstein, a prosecutor said.


New York New York TimesBy BY REBECCA DAVIS O’BRIEN Via NYT To WORLD NEWS

‘No red flags’ yet: South African scientists caution against panic over the new variant.


World New York TimesBy BY LYNSEY CHUTEL Via NYT To WORLD NEWS

Xiomara Castro lidera en Honduras con una promesa de cambio a pesar de sus vínculos al pasado


en Español New York TimesBy BY ANATOLY KURMANAEV Via NYT To WORLD NEWS

Biden Urges Vaccinations Amid Omicron Variant Concerns


U.S. New York TimesBy BY THE NEW YORK TIMES Via NYT To WORLD NEWS

De Blasio reminds New Yorkers to wear masks indoors.


New York New York TimesBy BY DANA RUBINSTEIN Via NYT To WORLD NEWS

प्रदूषण पर जारी निर्देशों पर क्या अमल किया राज्य हलफनामा पेश करे: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली दिल्ली व एनसीआर प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के साथ-साथ एनसीआर राज्यों यूपी, हरियाणा और पंजाब सरकार से कहा है कि वह एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमिशन के निर्देशों के अमल के बारे में हलफनामा पेश करें। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि निर्देशों का पालन जरूरी है अन्यथा हमें उसे पालन कराने के लिए स्वतंत्र टास्क फोर्स का गठन करना पड़ेगा। केंद्र सरकार से कहा है कि वह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में कंस्ट्रक्शन गतिविधि होने के आरोपों के मामले में जवाब दाखिल करे। कमीशन के निर्देश पर अमल संबंधित रिपोर्ट पेश करें राज्यसुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और बताया कि दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन ने कई निर्दश जारी किए हैं इनमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म उपाय हैं। जिन पर राज्यों ने अमल किया है। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कार्यालय में कर्मियों की 50 फीसदी उपस्थिति, दिल्ली में ट्रकों पर बैन करने और स्कूलों को बंद करने का सुझाव दिया था। साथ ही कंट्रक्शन एक्टिविटी पर बैन का भी आदेश दिया गया था। इस दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली और एनसीआर राज्य कमीशन के अनुपालन को लेकर हलफनामा दायर करें। राज्यों से सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कमीशन के निर्देशों के अनुपालन के बारे में हलफनामा दायर करें और सुनवाई के लिए दो दिसंबर की तारीख तय कर दी है। लेबर सेस से वर्करों को रिलीफ देने के आदेश पर क्या हुआचीफ जस्टिस ने कहा कि हमने 24 नवंबर को जो निर्देश जारी किए थे उसके अमल के बारे में भी राज्य रिपोर्ट पेश करें। 24 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण के मद्देजनर अगले आदेश तक कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर फिर से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों को निर्देश दिया था कि जब तक कंस्ट्रक्शन गतिविधियां बंद है तब तक रोक के दौरान लेबर सेस से वर्करों को न्यूनतम भत्ता दिया जाए। इस आदेश के अमल संबंधित रिपोर्ट भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों को पेश करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य बताएं कि कंस्ट्रक्शन वर्करों को वेलफेयर फंड से फंड रिलीज करने के बारे में क्या अनुपालन हुआ है। कंस्ट्रक्शन बैन होने की स्थिति में वर्करों को वेलफेयर फंड से से रिलीफ देने को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि कंस्ट्रक्शन पर बैन के कारण प्रभावित 2.9 लाख मजदूरों को वेलफेयर फंड से पांच-पांच हजार रुपये दिए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दूसरे राज्यों से इस बाबत जानकारी मांगी है। आदेश पर अमल नहीं हुआ तो टास्क फोर्स बनाना पड़ेगासुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कमीशन के तमाम निर्देश हैं और उन निर्देशों का राज्यों ने पालन किया है। इसके बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि राज्यों ने जो आदेश पर अमल किए हैं उस बारे में बताएं और अगर कोई आदेश पालन नहीं हुआ है तो उस पर तुरंत अमल करें। कमीशन के निर्देशों पर अमल जरूरी है अन्यथा हम स्वतंत्र टास्क फोर्स बनाने को बाध्य हो जाएंगे। आदेश पर अमल नहीं होने हमारे पास टास्क फोर्स के गठन का ही रास्ता बचेगा। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी पर केंद्र से मांगा जवाबमामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कंस्ट्रक्शन पर रोक का आदेश दिया था फिर भी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में काम चलता रहा। इस पर सॉलिसटिर जनरल से सुप्रीम कोर्ट ने जवाब देने को कहा है। विकास सिंह ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में पूरे जोर शोर से काम हो रहा था जबकि कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी बंद करने का आदेश था। प्रोजेक्ट आम लोगों के जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा कि विकास सिंह ने जो सवाल उठाए हैं कि दिल्ली में विस्टा प्रोजेक्ट में कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी चल रही थी उस पर हम सॉलिसिटर जनरल तो निर्देश देते हैं कि वह हलफनामा दायर करे। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अगर एयर क्वलिटी मैनेजमेंट कमीशन ने जो निर्देश दिए हैं उन पर राज्यों ने अमल नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट इसके लिए टास्क फोर्स का गठन कर सकता है। निर्देश जारी हुए हैं लेकिन नतीजा शून्य है। केंद्र कह रही है कि कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन स्थिति दिनोदिन खराब होती जा रही है। वहीं कोरोना का खतरा भी बरकरार है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन के मामले में जवाब दाखिल करे और साथ ही दिल्ली में केंद्र सरकार के कंट्रोल वाले इलाके में प्रदूषण रोकने के लिए क्या प्रयास किए गए हं। केंद्र सरकार ने दाखिल किया है हलफनामा.............केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के ज़ॉइंट सेक्रेटरी की ओर से हलफनामा दायर कर कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 नवंबर के आदेश में कहा था कि दिल्ली की एयर क्वालिटी को ठीक रखने के लिए पहले से ऐहतियाती कदम उठाने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि साइंटिफिक मॉडल और हवा के पैटर्न का आंकलन किया जाए और फिर पूर्वानुमान के आधार पर पहले से सरकार कदम उठाए। वह इस बात का अध्ययन करे कि अलग-अलग सीजन में हवा की क्वालिटी अलग रहती है और फिर हवा के पैटर्न और साइंटिफिक मॉडल के आधार पर कदम उठाए जाएं ताकि प्रदूषण को कंट्रोल किया जा सके। केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि उक्त आदेश के तहत कमीशन ने एक एक्सपर्ट ग्रुप का गठन किया है जो एयर क्वलिटी का आंकलन करेगा। सालों पर अलग-अलग मौसम में एयर क्वालिटी का स्थिति क्या रहती है इसका अध्यययन किया जाएगा। साथ ही हवा के पैटर्न और साइंटिफिक डाटा के आधार पर पूर्वानुमान के तहत ईमरजेंसी स्टेप लिए जाएंगे। इसके लिए एक्सपर्ट ग्रुप सात दिन पहले बताएगा और साथ ही वह राजधानी के हॉट स्पॉट को भी चिन्हित करेगा। साथ ही राज्यों को अनुपालन रिपोर्ट भी पेश करने को कहा गया है। केंद्र सरकार ने कहा कि कमीशन ने दिल्ली और एनसीआर राज्यों के प्रतिनिधियों और तमाम हित धारकों के साथ कई मीटिंग की है। साथ ही इसबात की पहचान की गई कि इलाके में प्रदूषण के कारण क्या हैं। प्रदूषण का मुख्य कारण इंडस्ट्रीज, वाहन का परिचालन, पराली जलाने, कंस्ट्रक्शन और डोमेलेशन साइट पर उड़ने वाले डस्ट, सड़क और ओपन इलाके के डस्ट और बायोमास जलाने, म्युनिसिपल ठोस वेस्ट जलो और लैंडफिल साइट पर फायर मुख्य कारण हैं। दिल्ली और एनसीआर राज्यों को तमाम निर्दश जारी किए गए जिसके तहत स्कूल और एजुकेशनल संस्थान बंद करने, कंस्ट्रक्शन साइट पर कंस्ट्रक्शन पर रोक से लेकर अन्य तमाम कदम उठाने को कहा गया। दिल्ली को कहा गया कि वह डस्क कंट्रोल मॉनिटिरंग के लिए वेब पोर्टल बनाए साथ ही प्लांटेशन और हरित क्षेत्र बढञ़ाने को कहा गया। ई रिक्शा के रजिस्ट्रेशन पर लगाए गए कैप को हटाने के लिए भी कहा गया है। साथ ही कहा गया कि 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल गाड़ी से पुराने वाहन पर एक्शन लिए जाएं।

‘Looking for the Good War’ Says Our Nostalgia for World War II Has Done Real Harm


Books New York TimesBy BY JENNIFER SZALAI Via NYT To WORLD NEWS

Sweden Elects Its First Female Leader — for Second Time in a Week


World New York TimesBy BY CORA ENGELBRECHT AND CHRISTINA ANDERSON Via NYT To WORLD NEWS

November Subscriber Digest


Admin New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

Black Friday sales were up, but reflected the challenges facing retailers.


Business New York TimesBy BY SAPNA MAHESHWARI Via NYT To WORLD NEWS

In Scotland, Serving Halibut for a Better Planet


Food New York TimesBy BY KIM SEVERSON Via NYT To WORLD NEWS

एक दिसंबर को SKM ने बुलाई इमरजेंसी मीटिंग, किसानों ने एमएसपी पर मंगलवार तक जवाब मांगा

नई दिल्ली पंजाब के किसान नेताओं ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सहित अपनी अन्य मांगों पर शीतकालीन सत्र में मंगलवार को फैसला करने का केंद्र से अनुरोध किया। उन्‍होंने संसद में तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को प्रदर्शनकारियों की जीत करार दिया। यह भी कहा कि भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक दिसंबर को इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। एसकेएम 40 किसान यूनियन का नेतृत्व कर रहा है। इसने अफसोस जताया कि , 2021 को जब सोमवार को संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया, तब उस पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी गई। किसान नेताओं ने सोमवार को कहा, ‘‘यह हमारी जीत है और एक ऐतिहासिक दिन है। हम चाहते हैं कि किसानों के खिलाफ मामले वापस लिए जाएं। हम चाहते हैं कि फसलों के लिए एमएसपी पर एक समिति गठित की जाए। केंद्र के पास हमारी मांगों का जवाब देने के लिए कल (मंगलवार) तक का समय है। हमने भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को एसकेएम की एक आपात बैठक बुलाई है। ’’ दिल्‍ली की सीमाओं पर जश्‍नइस बीच दिल्ली की सीमाओं पर तीन प्रदर्शन स्थलों-सिंघु, गाजीपुर और टिकरी-पर जश्न मनाया गया। किसानों ने भांगड़ा किया और पंजाबी गीतों की धुन पर नृत्य किया। सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों ने जीत का जश्न मनाने के लिए एक दूसरे पर पुष्प बरसाये। एसकेएम ने एक बयान में कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अन्य अहम मांगें अब भी लंबित हैं। इसने कहा, ‘‘किसान विरोधी केंद्रीय कृषि कानूनों के निरस्त होने के साथ आज भारत में इतिहास रच गया। लेकिन तीनों कृषि कानून को निरस्त करने के लिए पेश किये जाने पर चर्चा की अनुमति नहीं दी गई।’’ किसान संगठन ने कहा कि ये कानून पहली बार जून 2020 में अध्यादेश के रूप में और बाद में सितंबर 2020 में पूरी तरह से कानून के रूप में लाये गये थे लेकिन ‘‘दुर्भाग्य से बगैर किसी चर्चा के उस वक्त भी इन्हें पारित किया गया था। ’’ संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को दोनों सदनों ने कृषि कानून निरसन विधेयक पारित कर दिया। ने 19 नवंबर को तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा की थी। एसकेएम ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजन को मुआवजा देने की भी मांग की। किसान नेताओं ने कहा, ‘‘केंद्र को संसद में कल तक हमारी मांगों पर जवाब देना चाहिए।’’ सूत्रों ने संकेत दिया कि सरकार ने यदि किसानों की शेष मांगों पर विचार करने का इरादा प्रकट किया या गारंटी दी तो आंदोलन वापस लिया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में कोई भी अंतिम फैसला एसकेएम की आपात बैठक में लिया जाएगा। एक साल से हो रहा है विरोध इन तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना करीब 40 किसान यूनियन की मुख्य मांगों में एक था। वे 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर को प्रधानमंत्री को एक पत्र लिख कर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित किसानों की छह मांगों पर फौरन वार्ता बहाल करने का अनुरोध किया था। एसकेएम ने सोमवार को बयान में कहा, ‘‘प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने से जुड़ी अन्य मांग पर, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संकेत दिया है कि वह केंद्र के निर्देश के मुताबिक कदम उठाएंगे।’’ इसने कहा कि दिल्ली और चंडीगढ़ में दर्ज मामलों से केंद्र का सीधा संबंध है। बयान में कहा गया है, ‘‘जबकि हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्यों में दर्ज मामलों पर केंद्र सरकार के फैसले का इंतजार है। ’’

पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई राम मंदिर पर ये क्या बोल गए, वीडियो में देखिए क्या कहा?


वाराणसी। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं सांसद रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) ने कहा कि न्यायमूर्ति धर्म नहीं, संविधान के आधार पर निर्णय देते हैं। संविधान के अनुसार चलते हैं। वाराणसी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि का फैसला उनका अपना नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला था। पूर्व सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसला सुनाया था। पांच न्यायाधीशों की पीठ ने अयोध्या के विवादित स्थल पर राम मंदिर (Ram Janmabhoomi) के निर्माण का रास्ता खोल दिया था।


via WORLD NEWS