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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Sunday, April 18, 2021

College Players Graduating to the N.H.L. Have a Chance for Longer Test Run


Sports New York TimesBy BY GARY SANTANIELLO Via NYT To WORLD NEWS

N.F.L. Draft Process Adapts With the Pandemic


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John Grisham Leaves the Courtroom for Basketball, and Sudan


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The Biden administration will push for more Americans to get vaccinated as states expand access.


World New York TimesBy BY SHERYL GAY STOLBERG Via NYT To WORLD NEWS

2 परिवारों के पास है बंगाल की चाबी, मोदी से लेकर ममता तक करते हैं जिक्र

कोलकाता पश्चिम बंगाल की सियासत में दो परिवार ऐसे हैं, जिनका वहां की राजनीति पर खासा असर माना जाता है। अपने-अपने समुदायों के बीच उनकी अहमियत को देखते हुए राजनीतिक दलों में उनका समर्थन पाने की होड़ रहती है। इनमें से एक है घीसिंग परिवार, जो गोरखालैंड इलाके की राजनीति की दिशा तय करता है और दूसरा है ठाकुर नगर का ठाकुर परिवार। मतुआ समुदाय की राजनीति यहीं से तय होती है। अस्सी के दशक में सुभाष घीसिंग के नेतृत्व में गोरखा लोगों के लिए पृथक राज्य की मांग को लेकर गोरखालैंड लिबरेशन फ्रंट बना था। फ्रंट की अगुआई में हुई हिंसक घटनाओं से 1986 से 1988 के बीच जिले का जनजीवन खासा प्रभावित हुआ था। केंद्र और राज्य सरकारों के साथ कई दौर की बातचीत के बाद एक अर्ध स्वायत्त निकाय- दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल की स्थापना के साथ इस मसले का हल हुआ। बीजेपी ने मन को दी जिम्मेदारी घीसिंग 1988 से 2008 तक दार्जिलिंग गोरखा हिल काउंसिल के अध्यक्ष रहे। इस बार गोरखालैंड का इलाका टीएमसी और बीजेपी के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, घीसिंग परिवार की विरासत के लिए भी बेहद अहम हो गया है। इस चुनाव में बीजेपी ने अपना किला सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सुभाष घीसिंग के बेटे मन घीसिंग को दे रखी है। घीसिंग का यह है इतिहास घीसिंग की विरासत को समझने के लिए चालीस साल पीछे जाना होगा, जब 1980 में सुभाष घीसिंग ने गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट बनाया था। पश्चिम बंगाल के इस इलाके के लिए सुभाष घीसिंग ने ही सबसे पहले गोरखालैंड शब्द का प्रयोग किया। सुभाष घीसिंग का जन्म भी दार्जिलिंग में हुआ था। उन्होंने सेना की नौकरी छोड़कर 60 के दशक से ही गोरखाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए अलग-अलग संगठन बनाने की पहल शुरू कर दी थी। राजनीति में मन की ऐसे हुई एंट्री 2015 में जब सुभाष घीसिंग की मौत हुई, तो संगठन की कमान उनके छोटे बेटे मन घीसिंग को दी गई। दिल्ली से पढ़ाई करने वाले मन घीसिंग की हालांकि शुरू से राजनीति में रुचि नहीं थी, लेकिन चूंकि वह शुरू से दार्जिलिंग में अपने पिता के साथ रहते थे, इसलिए उनका परिचय संगठन के लगभग सारे सदस्यों से था। वह सुभाष घीसिंग की दूसरी पत्नी से इकलौती संतान हैं। सुभाष घीसिंग की पहली पत्नी से दो संतानें थीं- सागर और उमा। वे अपने पिता के साथ कभी नहीं रहे, दोनों विदेश में बस चुके हैं। 1996 से 2006 तक यह रहा इतिहास 2015 में जब मन घीसिंग को औपचारिक रूप से संगठन की जिम्मेदारी दी गई, तभी से उनके सामने चुनौती खड़ी होनी शुरू हो गई थी। वैसे इसकी बुनियाद 2007 में ही पड़ गई थी, जब सुभाष घीसिंग के सबसे पुराने सहयोगी बिमल गुरुंग ने अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और विनय तमांग बागी पार्टी के प्रमुख बने। 1996 से लेकर 2006 तक इलाके की सभी विधानसभा सीटों पर सुभाष घीसिंग के ही उम्मीदवार जीतते थे। इससे इनके रसूख का पता चलता था। लेकिन दो सहयोगियों के अलग होने का साफ असर पड़ा। 2016 में मन ने दिया ममता का साथ सुभाष घीसिंग पर उनके पुराने शागिर्द बीस पड़ने लगे। इससे घबरा कर 2016 में मन घीसिंग ने ममता बनर्जी का साथ दिया, तो गुरुंग-तमांग बीजेपी के साथ हो गए। 2019 में घीसिंग ने फिर पाला बदला, बीजेपी के उम्मीदवार को सपोर्ट किया और उन्हें जीत मिली। इस बीच गुरुंग-तमांग भी अलग हो गए। इस बार गुरुंग-तमांग को ममता सपोर्ट कर रही हैं, तो घीसिंग बीजेपी के साथ हैं। मतुआ समुदाय के साथ सत्ता की चाबी? इस बार पश्चिम बंगाल में सत्ता की चाबी मतुआ समुदाय के हाथ में बताई जा रही है। इनका वोट हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दल ठाकुर परिवार से अपनी नजदीकी को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। क्या एक परिवार करोड़ों की संख्या वाले इस समुदाय के वोट को प्रभावित कर सकता है? इसके लिए ठाकुर परिवार के इतिहास को और नजदीक से समझना होगा। मतुआ समाज का इतिहास मतुआ समुदाय की शुरुआत 18वीं सदी में हुई थी। हिंदुओं की जाति प्रथा को चुनौती देने वाले इस समुदाय की शुरुआत हरिचंद्र ठाकुर ने की थी। वह क्षेत्र अब बांग्लादेश में पड़ता है। हरिचंद्र ने अपने समुदाय में अपने नैसर्गिक ज्ञान का प्रसार किया। इससे समुदाय में इनके प्रति श्रद्धा उमड़ी और लोग इन्हें भगवान का अवतार मानने लगे। इसके साथ ही मतुआ समुदाय का भी विस्तार होने लगा। बाद में ठाकुर परिवार बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आकर बस गया। पीढ़ी दर पीढ़ी ठाकुर परिवार समुदाय के लिए आराध्य बना रहा। बाद में हरिचंद्र ठाकुर के पड़पोते परमार्थ रंजन ठाकुर समुदाय के प्रतिनिधि बने। उनकी शादी बीनापाणि देवी से हुई थी, जिन्हें आज 'मतुआ माता' के नाम से जाना जाता है। मतुआ परिवार का राजनीति में प्रवेश आजादी के बाद इस परिवार ने साठ के दशक में राजनीति में प्रवेश किया। परमार्थ रंजन ठाकुर राज्य की नादिया सीट से विधायक बने। उनका निधन 1990 में हुआ, जिसके बाद उनकी पत्नी संप्रदाय का प्रतिनिधित्व करने लगीं। इनका भी 2019 में निधन हो गया। जहां तक इनकी राजनीतिक विचारधारा का सवाल है, वक्त के हिसाब से इनके स्टैंड में बदलाव आता रहा है। 2019 आम चुनाव में इस समुदाय ने बड़ी संख्या में बीजेपी को वोट किया था, जिससे इनके प्रभाव वाली सभी सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी। लेकिन उसके बाद ममता बनर्जी ने भी इन्हें अपने पक्ष में करने के लिए बहुत कोशिश की। बीनापाणि के परिवार में ऐसे पड़ी फूट 2014 में परिवार ममता के साथ ही था। तब बीनापाणि देवी के बड़े पुत्र कपिल कृष्ण ठाकुर टीएमसी के टिकट पर आम चुनाव में उतरे थे, और उन्हें जीत मिली थी। लेकिन जब अगले साल उनका निधन हो गया, तो उनकी पत्नी ममता बाला ठाकुर को टीएमसी ने टिकट दिया और वह भी जीतीं। दरअसल, जब तक बीनापाणि देवी जीवित थीं, तब तक परिवार एक स्वर में बात करता था। लेकिन उनके बाद परिवार के अंदर सियासी स्टैंड पर भी मतभेद दिखने लगे। इसलिए पीएम शांतनु को ले गए थे बांग्लादेश बीनापाणि के छोटे पुत्र मंजुल कृष्ण ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद 2019 में बीजेपी ने उनके बेटे शांतनु ठाकुर को राज्य के बनगांव लोकसभा सीट से टिकट भी दिया। वह जीते भी थे। उन्होंने ममता बाला ठाकुर को ही परास्त किया। यही कारण है कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले महीने बांग्लादेश के दौरे पर गए थे, तो अपने साथ शांतनु ठाकुर को भी ले गए थे।

चल मुर्गा बन जा... नियम तोड़ने वालों पर बरस पड़ता है MP का यह 'लठबाज' IPS

सड़क पर मुर्गा बन बैठे लोग, हेकड़ी दिखाने वाले लोगों पर ताबड़तोड़ लाठी बरसाते पुलिस अफसर...ये नजारा मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले का है। कोविड नियमों को तोड़ रहे लोगों को ऐसे ही एक आईपीएस अफसर सबक सिखा रहे हैं। उनकी शैली पर सवाल भी उठ रहे हैं। वहीं, कुछ लोग तारीफ भी कर रहे हैं। सवाल यह है कि नियम तोड़ने वाले लोगों को सड़क पर पिटाई क्यों। वहीं, बढ़ते संक्रमण के बीच कुछ लोग इस तरीके को सही ठहरा रहे हैं।

कोरोना की वजह से एमपी के 20 से ज्यादा जिलों में कर्फ्यू लागू है। उसके बावजूद कुछ लोग सड़क पर अपनी जान की परवाह किए बगैर तफरी के लिए निकल जाते हैं। ऐसे लोगों को छत्तरपुर जिले में एक आईपीएस अधिकारी सबक सिखा रहे हैं।


चलो मुर्गा बन जाओ... नियम तोड़ने वालों पर बरस पड़ता है MP का यह 'लठबाज' IPS

सड़क पर मुर्गा बन बैठे लोग, हेकड़ी दिखाने वाले लोगों पर ताबड़तोड़ लाठी बरसाते पुलिस अफसर...ये नजारा मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले का है। कोविड नियमों को तोड़ रहे लोगों को ऐसे ही एक आईपीएस अफसर सबक सिखा रहे हैं। उनकी शैली पर सवाल भी उठ रहे हैं। वहीं, कुछ लोग तारीफ भी कर रहे हैं। सवाल यह है कि नियम तोड़ने वाले लोगों को सड़क पर पिटाई क्यों। वहीं, बढ़ते संक्रमण के बीच कुछ लोग इस तरीके को सही ठहरा रहे हैं।



छतरपुर के एसपी हैं यह आईपीएस
छतरपुर के एसपी हैं यह आईपीएस

एमपी के छतरपुर जिले में भी कोरोना की रफ्तार पहले की तुलना में इस बार तेज है। ऐसे में एक आईपीएस अफसर ने लोगों को सुधारने की ठानी है। खासकर वैसे लोगों को जो बिना काम के सड़कों पर तफरी के लिए निकल रहे हैं। ये वो लोग हैं, जो अपनी जान के साथ-साथ दूसरे लोगों की जिंदगी से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। इन लोगों को सबक सिखाने के लिए छतरपुर एसपी सचिन शर्मा खुद ही मैदान में उतर गए हैं। संकीर्ण सड़कों पर वह अपनी टीम के साथ बाइक से निकल रहे हैं।



सड़कों पर पसर जाता सन्नाटा
सड़कों पर पसर जाता सन्नाटा

आईपीएस सचिन शर्मा जब अपनी टीम के साथ बाइक से सायरन बचाते हुए निकलते हैं तो सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। सचिन लोगों से लगातार अपील कर रहे हैं कि बिना काम के घरों से नहीं निकले। साथ ही पुलिस को भी उन्होंने सख्त निर्देश दे रखे हैं कि कोरोना नियम तोड़ने वाले लोगों से सख्ती के साथ निपटा जाए। खुद ही पुलिस की टीम के साथ सड़कों पर चेकिंग के लिए उतर जाते हैं।



मास्क नहीं पहनने वालों को बनाते हैं मुर्गा
मास्क नहीं पहनने वालों को बनाते हैं मुर्गा

पुलिस की टीम के साथ आईपीएस सचिन शर्मा कहीं भी मास्क की चेकिंग लगा देते हैं। इस दौरान बिना मास्क पकड़े जाने वाले लोगों को सड़क पर ही मुर्गा बनाते हैं। कई लोग ऐसे भी होते हैं, जो आनाकानी करते हैं। इस दौरान पुलिस टीम उनसे सख्ती बरतती है।



लाठियों से 'तोड़' देते देह
लाठियों से 'तोड़' देते देह

चेकिंग के दौरान कई लोग धौंस भी जमाते हैं। साथ ही मुर्गा बनने से इनकार करते हैं। ऐसे लोगों को आईपीएस सचिन शर्मा खुद ही सबक सिखाते हैं। उनकी लाठियों से पिटाई शुरू कर देते हैं। लाठी से पिटाई शुरू होने के बाद वह खुद ब खुद मुर्गा बन जाते हैं। इस दौरान भी सचिन शर्मा लाठी से पिटाई करते हैं। अब सोशल मीडिया पर आईपीएस सचिन शर्मा का वीडियो वायरल है।



परिवार का रखें ख्याल
परिवार का रखें ख्याल

वहीं, एसपी सचिन शर्मा ने कहा है कि छतरपुर जिले के सभी निवासी कोरोना संक्रमण के दौरान अपने और परिवार के लोगों का ख्याल रखें। अगर आवश्यक काम से बाहर निकलते हैं तो मास्क पहनें और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें। साथ ही कोरोना के नियमों का भी पालन करें। आत्मअनुशासन के माध्यम से ही हम इस महामारी पर काबू कर पाएंगे। इसके साथ ही उनका कहना है कि लोगों की सुरक्षा के लिए जो उन्हें सही लग रहा है, वहीं कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे।



पति पॉजिटिव फिर भी करती रहीं इलाज.... यकीन रखें इन 'देवदूतों' से हारेगा कोरोना

नई दिल्ली'मैं डॉक्टर हूं। कोरोना की वजह से मैं छिपकर घर में नहीं बैठ सकती थी। मेरा काम है और काम से बढ़कर जिम्मेदारी है। लेकिन घर, परिवार और बच्चे व बुजुर्ग की चिंता हमें भी होती है। इसके बाद भी संक्रमण के डर के बीच हमने पूरे साल काम किया और आज भी कर रही हूं।' ये शब्द हैं आईवीएफ एक्सपर्ट एवं जेनस्ट्रिंग्स डायग्नोस्टिक की फाउंडर डॉक्टर गौरी अग्रवाल के। जिम्मेदारी सबसे ऊपर: डॉ. गौरी उन्होंने कहा कि जब कोरोना की शुरुआत हुई थी, हमें नहीं पता था कि यह कब तक चलेगा। अस्पताल या लैब से घर आते हुए डर लगता था कि कहीं मैं अपने परिवार के लिए संक्रमण का कैरियर न बन जाऊं। एक-एक दिन निकालना मुश्किल हो रहा था लेकिन हिम्मत नहीं हारी। पति पॉजिटिव हो गए, फिर भी मरीजों का इलाज और जांच जारी रखा क्योंकि जो हालात हैं, उसमें जिम्मेदारी सबसे ऊपर है। घर से लैकर, चुनौतियां ही चुनौतियां डॉक्टर गौरी ने कहा कि घर में सास ससुर, दो बच्चे और पति हैं। पति भी डॉक्टर हैं। पिछले साल लॉकडाउन की घोषणा हो गई। मेड का आना बंद हो गया। घर की सफाई से लेकर खाना बनाना, दो-दो बच्चों को पालना और उसके बाद अस्पताल और लैब के काम। मेरी एक 5 साल की बेटी है, उसकी ऑनलाइन क्लास शुरू हो गई। वर्किंग पैरंट्स की वजह से दोनों में से कोई काम नहीं छोड़ सकते थे, क्योंकि इस समय हम दोनों की जरूरत समाज और देश को थी। मजबूरी में बच्ची की पढ़ाई प्रभावित हुई, लेकिन मरीजों के इलाज, जांच में हमने कोई कमी नहीं होने दी। हालात यह थे कि घरवाले कहने लगे कि काम छोड़ दो, लेकिन जब महामारी फैली हो तो एक डॉक्टर कैसे घर बैठ सकता है। ...जब डॉक्टर पति हो गए पॉजिटिव जिस तेजी से संक्रमण फैलता जा रहा था, डॉक्टरों के ऊपर भी बोझ बढ़ता जा रहा था। विदेश से आने वाले हर किसी की जांच का काम हमारी लैब के पास है। यह ऐसा काम है जिसे किसी भी हाल में छोड़ नहीं सकते। लेकिन संक्रमण का खतरा भी उतना ही है। आज एयरपोर्ट पर जांच करने वाले हमारे 300 स्टाफ में से 30 पर्सेंट पॉजिटिव हैं। मैनपावर कम पड़ना, नए को रिक्रूट करना, ठीक से काम कराना, आसान नहीं है। ऊपर से मेरे पास इलाज करा रही प्रेग्नेंट महिलाएं, जिसमें सेरोगेट मदर भी होती हैं, इनका फॉलोअप बीच में नहीं रुक सकता। इस जंग के बीच पति दिसंबर में कोविड पॉजिटिव हो गए। हमने फ्लोर बांट लिया, ताकि बाकी लोगों को संक्रमण नहीं हो। दूसरी लहर के लिए सभी जिम्मेदार: डॉ. गौरी हालांकि, डॉक्टर गौरी का यह भी कहना है कि कोविड की दूसरी लहर के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। सभी रिलैक्स हो गए, सेलिब्रेशन मोड में आए। वैक्सीन आई तो अभी तक युवाओं को नहीं लग रही है। संक्रमण तेजी से फैलने की वजह नए वैरिएंट भी हो सकते हैं, लेकिन युवाओं में वैक्सीनेशन नहीं होने की वजह से इस बार उनमें संक्रमण ज्यादा देखा जा रहा है, यह भी एक कारण हो सकता है। जिस तरह पूरा साल बीता है और अभी भी उसी दौर में है, हमें और सख्ती से नियमों का पालन करना जरूरी है।

Minnesota Governor Calls Alleged Assaults on Journalists ‘Chilling’


Business New York TimesBy BY KELLEN BROWNING Via NYT To WORLD NEWS

简报:中美发表应对气候危机联合声明;医生称纳瓦尔尼病危


World New York TimesBy BY EMILY CHAN AND KONEY BAI Via NYT To WORLD NEWS

ब्लॉगः अमेरिका जैसे दोस्त से तो भगवान बचाए

अप्रैल के पहले सप्ताह में अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के विध्वंसक युद्धपोत गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर यूएसएस जॉन पॉल जोंस ने विशेष आर्थिक क्षेत्र वाले भारतीय समुद्री इलाके से होकर गुजरने का दुस्साहस तो किया ही, अपमानित करने वाले लहजे में यह भी कहा गया कि अमेरिका ने इसके लिए भारत से इजाजत लेने की जरूरत नहीं समझी। भारत के आंगन में घुसने और इसके लिए कोई अनुमति नहीं लेने की बात चिल्ला कर कहने का अमेरिकी फैसला भारत-अमेरिका सामरिक साझेदारी को भी शक के दायरे में खड़ा करेगा।

कोरोना कर्फ्यू में घर से निकले बाहर तो लाठियों से सबक सिखाते हैं यह IPS, देखें वीडियो


कोरोना की वजह से एमपी के 20 से ज्यादा जिलों में कर्फ्यू लागू है। उसके बावजूद कुछ लोग सड़क पर अपनी जान की परवाह किए बगैर तफरी के लिए निकल जाते हैं। ऐसे लोगों को छत्तरपुर जिले में एक आईपीएस अधिकारी सबक सिखा रहे हैं।

भोपाल में 18 हजार में डॉक्टर बेच रहा था कोरोना से जान बचाने वाला इंजेक्शन, साथियों के साथ गिरफ्तार

सड़क पर मुर्गा बन बैठे लोग, हेकड़ी दिखाने वाले लोगों पर ताबड़तोड़ लाठी बरसाते पुलिस अफसर...ये नजारा मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले का है। कोविड नियमों को तोड़ रहे लोगों को ऐसे ही एक आईपीएस अफसर सबक सिखा रहे हैं। उनकी शैली पर सवाल भी उठ रहे हैं। वहीं, कुछ लोग तारीफ भी कर रहे हैं। सवाल यह है कि नियम तोड़ने वाले लोगों को सड़क पर पिटाई क्यों। वहीं, बढ़ते संक्रमण के बीच कुछ लोग इस तरीके को सही ठहरा रहे हैं।


via WORLD NEWS

Quotation of the Day: With Much to Lose, Afghan Women Fear Stifling Return to Past


Today’s Paper New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

No Corrections: April 19, 2021


Corrections New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

Lesson of the Day: ‘Bad Future, Better Future’


The Learning Network New York TimesBy BY JEREMY ENGLE Via NYT To WORLD NEWS

Russia Expels 20 Czech Diplomats as Tensions Escalate


World New York TimesBy BY MICHAEL SCHWIRTZ Via NYT To WORLD NEWS

A Climate Change Guide for Kids


Climate New York TimesBy BY JULIA ROSEN AND YULIYA PARSHINA-KOTTAS Via NYT To WORLD NEWS

Stroman Dominates for Eight Innings in Win Over Rockies


Sports New York TimesBy BY THE ASSOCIATED PRESS Via NYT To WORLD NEWS

In Indianapolis Shooting, a Red Flag That Never Flew


U.S. New York TimesBy BY CAMPBELL ROBERTSON, ALI WATKINS AND ANDRÉS R. MARTÍNEZ Via NYT To WORLD NEWS

Rage Against European Super League Is Muffled by Our Cheers


Sports New York TimesBy BY RORY SMITH Via NYT To WORLD NEWS

What Snoop Dogg’s Success Says About the Book Industry


Books New York TimesBy BY ALEXANDRA ALTER AND ELIZABETH A. HARRIS Via NYT To WORLD NEWS

Fans Wait on Yankees to Show Up, but One Player Won’t Be Back


Sports New York TimesBy BY TYLER KEPNER Via NYT To WORLD NEWS

In the Roaring Twenties, Ads Make a Comeback


Business New York TimesBy BY BEN SMITH Via NYT To WORLD NEWS

ऑक्सिजन, बिस्‍तर, वेंटिलेटर, दवाएं.... इनकी भारी कमी से जूझ रहे राज्‍य, ट्रेनों से पहुंचाईं जाएंगी 'सांसें'

नई दिल्‍ली देश में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 18 लाख के पार हो जाने के बीच ऑक्सिजन की कमी की समस्या के समाधान के लिए केंद्र ने रविवार को कहा कि उसने देश के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में 162 प्रेशर स्विंग ऐड्सॉर्प्शन (पीएसए) ऑक्सिजन संयंत्र लगाने की पहल की है। वहीं, रेलवे ने ऑक्सिजन की ढुलाई के लिए विशेष रेलगाड़ी चलाने की घोषणा की है। देश में एक दिन में कोविड-19 के 2,61,500 मामले आने के बाद अस्पतालों को ऑक्सिजन की आपूर्ति करने के लिए कई उद्योग भी एकजुट हुए हैं। वहीं, देश में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या 1,47,88,109 हो गई है। सबसे अधिक प्रभावित राज्यों के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि उनके यहां ऑक्सिजन, बिस्तर, वेंटिलेटर और दवाओं की कमी हो रही है। राज्‍यों की मदद की जा रही है: हर्षवर्धनकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि रेमडेसिविर दवा का उत्पादन दोगुना करने, निर्बाध ऑक्सिजन की आपूर्ति करने और कोविड-19 टीका मुहैया कराने के साथ-साथ स्वास्थ्य अवसंरचना को बढ़ाने के लिए राज्यों की पूरी मदद की जा रही है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों में 162 पीएसए ऑक्सिजन संयंत्र स्थापित करने का कार्य चल रहा है और 24 घंटे का प्रकोष्ठ राज्यों के साथ समन्वय कर रहा है। मंत्रालय ने ट्वीट किया ‘‘ इनसे मेडिकल ऑक्सिजन क्षमता 154.19 एमटी (मीट्रिक टन) बढ़ जाएगी। ’’ पीएसए संयंत्र ऑक्सिजन का उत्पादन करते हैं और अस्पतालों को चिकित्सा ऑक्सिजन की अपनी जरूरत के संदर्भ में आत्मनिर्भर बनने में मदद करते हैं। इनसे चिकित्सा ऑक्सिजन की आपूर्ति को लेकर नेशनल ग्रिड पर बोझ भी घटेगा। मंत्रालय ने इससे पहले 50,000 मीट्रिक टन चिकित्सा ऑक्सिजन के आयात के लिए निविदा निकालने का निर्णय लिया। ऑ‍क्‍सीजन की सप्‍लाई अगले आदेश तक बैनसभी राज्यों को भेजे पत्र में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि कोविड-19 के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी और इस कारण मेडिकल ऑक्सिजन की बढ़ती मांग के मद्देनजर केंद्र सरकार की तरफ से गठित उच्चाधिकार प्राप्त एक समिति ने औद्योगिक इस्तेमाल के लिए ऑक्सिजन आपूर्ति की समीक्षा की है ताकि देश में मेडिकल ऑक्सिजन की मांग पूरी की जा सके और लोगों की जान बचाई जा सके। इसी के मुताबिक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने 22 अप्रैल से निर्माताओं और आपूर्तिकर्ताओं द्वारा औद्योगिक उद्देश्य के लिए ऑक्सिजन की आपूर्ति अगले आदेश तक प्रतिबंधित कर दी है। इसमें नौ विशिष्ट उद्योगों को छूट दी गई है। उन्होंने महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, दिल्ली और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का हवाला दिया जहां कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से ऑक्सिजन की मांग बढ़ रही है। रेलवे देशभर में तरल चिकित्सा ऑक्सिजन तथा ऑक्सिजन सिलिंडरों की आपूर्ति के लिए अगले कुछ दिन में 'ऑक्सिजन एक्सप्रेस' चलाएगा। रविवार को उसने यह जानकारी दी। जहां डिमांड होगी, वहां भेजे जाएंगे टैंकरएक अधिकारी ने कहा, ''19 अप्रैल को खाली टैंकर चलेंगे, लिहाजा हम अगले कुछ दिन में ऑक्सिजन एक्सप्रेस अभियान शुरू होने की उम्मीद करते हैं। जहां कहीं मांग होगी, हम वहां ऑक्सिजन भेज सकेंगे। ऑक्सिजन एक्सप्रेस ट्रेनों के तीव्र संचालन के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है।'' मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने इससे पहले रेलवे से पूछा था कि क्या उसके रेल नेटवर्क के जरिये तरल मेडिकल ऑक्सिजन टैंकरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। देश में सबसे बड़े इस्पात निर्माता सेल, टाटा स्टील और आर्सल मित्तल निप्पन स्टील इंडिया (एमएनएस) ने कहा कि वे अस्पतालों को ऑक्सिजन की आपूर्ति कर रहे हैं। इस्पात मंत्रालय के अनुसार इस्पात कारखानों में 28 ऑक्सिजन संयंत्र हैं। ये संयंत्र सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में स्थित हैं जो प्रतिदिन 1,500 टन चिकित्सा ऑक्सिजन की आपूर्ति कर रहे हैं। इसके अलावा 30 हजार मीट्रिक टन के अतिरिक्त स्टॉक को भी चिकित्सा इस्तेमाल के लिए उपलब्ध कराया गया है। कोविड का पॉजिटिविटी रेट 16% से ज्‍यादास्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले 12 दिनों में संक्रमण की दर (कुल जांच किए नमूनों के अनुपात में संक्रमित) दोगुनी होकर 16.69 प्रतिशत तक पहुंच गई है और 10 राज्यों- महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल,गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान- में ही 78.56 प्रतिशत नए मामले आ रहे हैं। गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने अहमदाबाद स्थित सिविल अस्पताल परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘गुजरात में रोजाना 9,000 से ज्यादा कोरोना वायरस के मामले आ रहे हैं। हम समय-समय पर नयी सुविधाएं और बिस्तर बढ़ा रहे हैं, लेकिन ये हमारी मांग की तुलना में कम पड़ रहे हैं क्योंकि कोरोना वायरस रोगियों की संख्या अधिक है।’’ सिविल अस्पताल के बाहर कोरोना वायरस रोगियों को लेकर खड़ी एंबुलेंसों की कतार के बारे में पूछे जाने पर पटेल ने कहा कि सरकार की प्रतिबद्धता है कि अन्य अस्पतालों से वापस भेज दिए गए हर रोगी का जीवन बचाया जाए। सबसे बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र और दिल्ली ने पहले ही केंद्र को बिस्तरों, ऑक्सिजन, दवाएं और कोविड-19 टीके की कमी संबंधी जानकारी दे दी है। कई राज्‍यों में में मेडिकल ऑक्सिजन की कमी मध्य प्रदेश में, शहडोल जिले के एक सरकारी अस्पताल में कथित रूप से चिकित्सकीय ऑक्सिजन आपूर्ति का दबाव कम हो जाने से कोविड-19 सेंटर के गहन चिकित्सा कक्ष (आईसीयू) वार्ड में छह मरीजों की मौत हो गई। यह जानकारी अस्पताल के अधिकारी ने दी। घटना शनिवार और रविवार की दरमियानी रात राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच) में हुई। हालांकि, जिला प्रशासन ने ऑक्सिजन की कमी होने की वजह से ये मौतें होने से इनकार किया है। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि दिल्ली में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस संक्रमण के 25,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं और अब अस्पतालों में 100 से भी कम आईसीयू बिस्तर खाली बचे हैं।मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैंने आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बात की और उन्हें बेड तथा ऑक्सिजन की अत्यधिक जरूरत से अवगत कराया। हम निरंतर केंद्र के संपर्क में हैं और उससे मदद मांग रहे हैं। ’’ केजरीवाल ने केंद्र से अनुरोध किया कि दिल्ली में केंद्र द्वारा संचालित अस्पतालों के 10,000 बिस्तरों में से कम से कम 7,000 बिस्तर कोविड बेड के तौर पर आरक्षित किए जाएं तथा ऑक्सिजन की तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अस्पतालों में 10,000 बिस्तरों में अभी सिर्फ 1,800 बिस्तर ही कोविड मरीजों के लिए आरक्षित हैं। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार अगले दो-तीन दिनों में यमुना स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स, राधा स्वामी सत्संग व्यास परिसर एवं स्कूलों में ऑक्सिजन की सुविधा के साथ 6,000 बिस्तरों की व्यवस्था करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास आईसीयू बेड की कमी पड़ती जा रही है। दिल्ली में, हमारे पास अब 100 से भी कम आईसीयू बेड खाली बचे हैं। हमारे पास ऑक्सिजन की भी कमी पड़ती जा रही है।’’ उत्तर रेलवे ने दिल्ली के शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन पर 50 पृथक-वास कोच तैयार किए हैं जिनमें से प्रत्येक में दो ऑक्सिजन सिलेंडर लगे हुए हैं। इसी तरह के 25 कोच सोमवार तक आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध होंगे। इसी तरह की सुविधा महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मुहैया कराई जा रही है। परीक्षाएं रद्द, पाबंदियां बढ़ींकेंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने रविवार को बताया कि 27 से 30 अप्रैल के बीच होने वाली इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा जेईई-मेन्स को कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर स्थगित कर दिया गया है। इससे पहले, सीबीएसई ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा को रद्द कर दिया था जबकि 12वीं कक्षा की परीक्षा को स्थगित कर दिया था । इसी प्रकार से सीआईएससीई बोर्ड एवं कई राज्यों के बोर्ड ने या तो परीक्षा रद्द कर दी या स्थगित कर दिया । कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से राज्य सरकार सप्ताहांत लॉकडाउन लगाने के अलावा पाबंदियों को भी सख्त करने पर मजबूर हुई हैं। महाराष्ट्र के गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए लागू पाबंदियों का उल्लंघन करने वालों को रविवार को चेतावनी दी। महाराष्ट्र में रविवार को कोरोना वायरस संक्रमण के एक दिन में अब तक के सर्वाधिक 68,631 मामले आए, वहीं 503 संक्रमितों ने दम तोड़ दिया। इसके साथ राज्य में अब तक संक्रमितों की संख्या 38,39,338 और मृतकों की संख्या 60,473 हो गई है। नई पाबंदियां बुधवार की रात शुरू हुईं और एक मई की सुबह सात बजे तक जारी रहेंगी। इसमें आवश्यक सेवाओं को शामिल नहीं किया गया है। राज्य में सीआरपीसी की धारा 144 लगाई गई है जिसके तहत एक स्थान पर पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध है। तमिलनाडु सरकार ने रविवार को 12वीं की परीक्षाएं स्थगित करने, प्रत्येक रविवार को पूर्ण लॉकडाउन लगाने और 20 अप्रैल से रात दस बजे से तड़के चार बजे तक तक रात्रि कर्फ्यू लगाने की घोषणा की। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि संक्रमण के मामलों में लगातार 39वें दिन वृद्धि हुई है। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 18,01,316 हो गई है जो संक्रमण के कुल मामलों का 12.18 प्रतिशत है जबकि संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने की दर गिरकर 86.62 प्रतिशत रह गई है। छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक साप्ताहिक संक्रमण दर दर्ज की गई है जो 30.38 प्रतिशत है। इसके बाद गोवा (24.24 प्रतिशत), महाराष्ट्र (24.17), राजस्थान (23.33 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (18.99 प्रतिशत) स्थान है। पांच राज्यों में- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और केरल- में देश के 65.02 प्रतिशत उपचाराधीन मरीज हैं। आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,28,09,643 हो गई है जिनमें गत 24 घंटे में 1,38,423 लोग ठीक हुए हैं। इस बीच, भारत ने 12 करोड़ लोगों का टीकाकरण करने में 92 दिनों का समय लिया, यह किसी भी देश की सबसे तेज रफ्तार है। इतने लोगों का टीकाकरण करने में अमेरिका ने 97 दिनों और चीन ने 108 दिनों का समय लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को कहा कि कोविड-19 रोधी टीके ‘कोवैक्सीन’ का उत्पादन सितंबर तक 10 गुना बढ़ जाएगा, जबकि रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन मई तक दोगुना होकर प्रति माह 74.1 लाख हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, ‘‘चार राज्यों में - गुजरात (1,03,37,448), महाराष्ट्र (1,21,39,453), राजस्थान (1,06,98,771), उत्तर प्रदेश (1,07,12,739)- में एक करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी है।’’ मंत्रालय ने बताया कि गुजरात ने 16 अप्रैल को यह उपलब्धि हासिल की जबकि शेष तीन राज्यों ने 14 अप्रैल को यह मुकाम हासिल किया।