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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Sunday, January 31, 2021

कोरोना काल में इन देशों के लिए 'देवदूत' बना भारत, गिफ्ट कर चुका वैक्‍सीन की लाखों डोज

कोविड वैक्‍सीन डिवेलप होने के बावजूद, दुनिया के कुछ देशों के सामने बड़ी परेशानी है। उनके यहां न तो वैक्‍सीन बन रही है, न ही इतना बजट है कि अमेरिकी, चीनी व अन्‍य वैक्‍सीन खरीद सकें। ऐसे देशों के लिए भारत किसी देवदूत की तरह सामने आया। छोटे और कम आय वाले कई देशों को भारत ने अपने यहां बनी ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्राजेनेका वैक्‍सीन 'कोविशील्‍ड' की खेप भिजवाई है, वह भी तोहफे के रूप में। एक तरफ देश में टीकाकरण अभियान जारी है तो दूसरी तरफ, इन देशों की मदद भी। भारत की इस पहल को दुनिया भी सराह रही है।

India Gifts Covid Vaccine: कोरोना वायरस रूपी संकट से उबरने में नेपाल, भूटान, बांग्‍लादेश, श्रीलंका समेत कई पड़ोसियों की मदद करने की खातिर भारत सबसे आगे खड़ा है।


Covid Vaccine News: कोरोना काल में इन देशों के लिए देवदूत बना भारत, गिफ्ट कर चुका वैक्‍सीन की लाखों डोज

कोविड वैक्‍सीन डिवेलप होने के बावजूद, दुनिया के कुछ देशों के सामने बड़ी परेशानी है। उनके यहां न तो वैक्‍सीन बन रही है, न ही इतना बजट है कि अमेरिकी, चीनी व अन्‍य वैक्‍सीन खरीद सकें। ऐसे देशों के लिए भारत किसी देवदूत की तरह सामने आया। छोटे और कम आय वाले कई देशों को भारत ने अपने यहां बनी ऑक्‍सफर्ड-एस्‍ट्राजेनेका वैक्‍सीन 'कोविशील्‍ड' की खेप भिजवाई है, वह भी तोहफे के रूप में। एक तरफ देश में टीकाकरण अभियान जारी है तो दूसरी तरफ, इन देशों की मदद भी। भारत की इस पहल को दुनिया भी सराह रही है।



अबतक इन देशों को भारत ने दी वैक्‍सीन
अबतक इन देशों को भारत ने दी वैक्‍सीन

बांग्‍लादेश

- 20 लाख डोज

म्‍यांमार

- 15 लाख डोज

नेपाल

- 10 लाख डोज

श्रीलंका

- 5 लाख डोज

भूटान

- डेढ़ लाख डोज

मालदीव

- 1 लाख डोज

मॉरीशस

- 1 लाख डोज

ओमन

- 1 लाख डोज

सेशेल्‍स

- 50 हजार डोज

यहां अभी भेजी जानी है वैक्‍सीन

अफगानिस्‍तान

- 5 लाख डोज

निकारगुआ

- 2 लाख डोज

मंगोलिया

- 1.5 लाख डोज

बारबेडोज

- 1 लाख डोज

डॉमिनिका

- 70 हजार डोज



वैक्‍सीन पर क्‍या है भारत की नीति?
वैक्‍सीन पर क्‍या है भारत की नीति?

सरकार का स्‍टैंड ये था कि दुनियाभर को वैक्‍सीन उपलब्‍ध कराई जाए। महामारी के दौर में स्‍वाथी न बना जाए। देश के लोगों की जरूरत पूरी करने के बाद भारत अपने पड़ोसियों और सहयोगियों को पहली प्राथमिकता देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार कहते रहे हैं कि भारत अपने व्यापक वैक्‍सीन इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर का इस्‍तेमाल दूसरे देशों की मदद में करेगा।



ग्‍लोबल कमिटमेंट का हिस्‍सा है सीरम इंस्टिट्यूट
ग्‍लोबल कमिटमेंट का हिस्‍सा है सीरम इंस्टिट्यूट

'कोविशील्‍ड' बना रही सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) दुनिया के सबसे बड़े वैक्‍सीन निर्माताओं में से एक है। कंपनी पहले ही कह चुकी है कि वो जितनी भी डोज बनाएगी, उसका आधा भारत के लिए और बाकी Covax के लिए होगा। Covax असल में वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक पहल है ताकि वैक्‍सीन कम और मध्‍य आय वर्ग वाले देशों में भी उपलब्‍ध हो सके।



दुनिया कर रही भारत की तारीफ
दुनिया कर रही भारत की तारीफ

कुछ दिन पहले, संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने वैक्‍सीन हब के तौर भारत की तारीफ की थी। उन्‍होंने दूसरे देशों को डोज सप्‍लाई करने के लिए भारत की पीठ थपथपाई थी। अमेरिका ने पिछले हफ्ते भारत को 'सच्‍चा दोस्‍त' बताते हुए कहा था कि वह अपने फार्मा सेक्‍टर का इस्‍तेमाल दुनियाभर के लोगों की मदद में कर रहा है। भारत ने जहां-जहां वैक्‍सीन भेजी है, उन देशों ने भी बेहद भावुक होकर शुक्रिया अदा किया है। कई देशों ने भारत से वैक्‍सीन हासिल होने की उम्‍मीद जताई है।



आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार रही फेल? सर्वे में 2010 के बाद मिली सबसे खराब रेटिंग

नई दिल्ली आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार को सत्ता में आने के बाद से अब तक की सबसे खराब रेटिंग मिली है। आईएएनएस-सीवोटर बजट ट्रैकर के सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। वहीं महंगाई की वजह से ज्यादातर भारतीयों को अपने खर्च प्रबंधन में भी मुश्किल हो रही है। साल 2020 को लेकर किए गए इस सर्वे में 46.4 फीसदी लोगों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के तहत केंद्र सरकार का अब तक का आर्थिक मोर्चे पर प्रदर्शन उम्मीद से खराब रहा है। वहीं करीब 31.7 फीसदी लोगों ने कहा कि प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है। यह 2010 के बाद से किसी भी सरकार के लिए सबसे खराब स्कोर है। हालांकि इस मामले में 2013 का वर्ष अपवाद है, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे और पी. चिदंबरम वित्तमंत्री थे। 2013 में, 60 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा था कि आर्थिक मोर्चे पर काम उम्मीद से ज्यादा खराब है। मोदी सरकार की सर्वश्रेष्ठ आर्थिक अप्रूवल रेटिंग 2017 में तब आई थी, जब अरुण जेटली वित्तमंत्री थे। उस साल, 52.6 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि आर्थिक मामले में प्रदर्शन उम्मीद से बेहतर है। आर्थिक मोर्चे पर घटती अप्रूवल रेटिंग चिंता का विषय है, क्योंकि अर्थव्यवस्था कोविड के प्रभाव के बाद फिर से अपने पुराने रूप में लौटने के लिए संघर्ष कर रही है। 'अधिकांश भारतीयों को अपने खर्च प्रबंधन में हो रही मुश्किल' अधिकांश भारतीयों को अपने खर्चों का प्रबंधन करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। आईएएनएस-सी वोटर सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। सर्वेक्षण में लगभग 65.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वर्तमान खर्चों को प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खर्च तो बढ़ गए हैं, लेकिन वे प्रबंधन योग्य हैं। 2.1 प्रतिशत ने कहा कि पिछले एक साल में उनके खर्च में कमी आई है और अन्य 2.1 प्रतिशत मामले पर प्रतिक्रिया नहीं दे सके। '2020 में अधिकांश भारतीयों की क्रयशक्ति कमजोर हुई' सर्वे के अनुसार पिछले एक साल में अधिकांश भारतीयों की क्रय शक्ति कमजोर हो गई। आईएएनएस-सी वोटर के प्री-बजट सर्वेक्षण से पता चला है कि 43.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनकी आय उसी तरह बनी रही, जबकि खर्च बढ़ गया, जबकि 28.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं की आय गिर गई, लेकिन उनका खर्च बढ़ गया। लगभग 11.5 प्रतिशत ने कहा कि पिछले साल उनकी आय और व्यय दोनों में वृद्धि हुई है। महामारी की वजह से वेतनभोगी और गैर-वेतनभोगी श्रेणी के आम आदमी की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस दौरान आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई और व्यवसाय पर बुरा असर पड़ा। क्षेत्रों में कई कंपनियों और प्रतिष्ठानों ने महामारी और अंतत: लॉकडाउन के कारण वेतन में कटौती और छंटनी का सहारा लिया। आम आदमी के लिए महंगाई पिछले साल एक प्रमुख चिंता का विषय रही, क्योंकि पिछले एक साल में 70 प्रतिशत से अधिक लोगों ने उच्च कमोडिटी की बढ़ी हुई कीमतों के प्रभाव को महसूस किया।

राफेल, तेजस के बाद 114 और लड़ाकू विमान खरीदेगी एयरफोर्स, 1.3 लाख करोड़ की डील

नई दिल्ली लगातार अपनी ताकत बढ़ाने में जुटी हुई है। , और के बाद वायुसेना 114 मल्टीरोल लड़ाकू विमानों की खरीद की तैयारी कर रही है। इस डील की लागत 1.3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। हाल ही में मोदी सरकार ने तेजस लड़ाकू विमानों की खरीद को हरी झंडी दी थी। अब वायुसेना 114 और लड़ाकू विमानों की खरीद की योजना बना रही है। आगामी एयरो इंडिया शो में 83 तेजस लड़ाकू विमानों से जुड़ी डील होने की उम्मीद है। तेजस एक लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी एक एक हल्का लड़ाकू विमान है। 83 तेजस मार्क 1A विमानों की खरीद के लिए केंद्र सरकार ने 50000 करोड़ की डील को मंजूर किया है। सूत्रों के अनुसार ये तेजस विमान धीरे-धीरे हटाए जाने वाले मिग-21 के 4 स्कॉड्रन की जगह लेंगें। वहीं इसके बाद भारतीय वायुसेना अब 114 और लड़ाकू विमानों की खरीद की तैयारी कर रही है। 1.3 लाख करोड़ की इस खरीद के लिए वायुसेना ने रिक्वेस्ट फॉर इंफर्मेशन (RFI)पहले ही जारी कर दिया है। दुनियाभर की कई कंपनियों ने इस सौदे पर रूचि दिखाई है। अमेरिका, रूस, फ्रांस स्वीडन जैसे देशों की दिग्गज कंपनियों ने RFI जारी होने के बाद इस डील को लेकर उत्सुकता दिखाई है। अमेरिकी कंपनी की ओर से F-15 स्ट्राइक इगल, F-18 सुपर हॉर्नेट, और F-16 का ही एक वेरियंट F-21 ऑफर किए जा रहे हैं। रूस की कंपनी मिग-21 और सुखोई की डल को लेकर बात कर रही है, वहीं स्वीडन की साब ग्रिपेन फाइटर एयरकाफ्ट को लिए बात कर रही है। आपको बता दें कि हाल ही में वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया राफेल को114 विमानों के इस नए सौदे के लिए प्रबल दावेदार बता चुके हैं। आपको बता दें कि भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील को लेकर पहले ही समझौता हो चुका है। कई राफेल विमान भारतीय वायुसेना में शामिल हो भी चुके हैं। आपको बता दें कि वायुसेना इस डील के लिए रक्षा मंत्रालाय से जल्द ही एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी (AoN) लेने के लिए प्रस्ताव देने की तैयारी कर रही है। बताया जा रहा है कि लड़ाकू विमानों को लेकर होने वाल समझौते में मेड इन इंडिया और टेक्नॉलजी ट्रांसफर की भी शर्त रहेगी।

राकेश टिकैत बोले- हम चुनाव लड़ने नहीं जा रहे, जब तक बात नहीं करेगी सरकार, तब तक...

गाजीपुर बॉर्डर (गाजियाबाद) दिल्‍ली-गाजियाबाद स्थित गाजीपुर बॉर्डर पर धरने पर बैठे के राष्ट्रीय प्रवक्ता का कहना है कि जब तक मोदी सरकार बात नहीं करेगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। विपक्षी पार्टियों के नेता यहां पर वोट तलाशने नहीं आए थे। विपक्ष यहां हमदर्दी के लिए आता है। हम कोई चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। बता दें कि पिछले दो दिनों के भीतर कई दलों के प्रमुख नेता राकेश टिकैत से मिलने गाजीपुर बॉर्डर आ चुके हैं। वहीं, ने केंद्र सरकार को नए कृषि कानूनों पर अपनी जिद छोड़कर किसानों की बात मानने की सलाह देते हुए बीजेपी को शक्ति प्रदर्शन की चुनौती दी है। कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे टिकैत भाइयों ने रविवार को कहा कि किसान प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे, लेकिन वे आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। नरेश और राकेश टिकैत का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही कहा था कि सरकार से किसानों की बातचीत में महज एक फोन कॉल की दूरी है। टिकैत बंधुओं ने कहा कि वे बीच का रास्ता निकालने के लिए सरकार के साथ बातचीत को तैयार हैं। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष और बड़े भाई नरेश टिकैत ने कहा कि बीच का रास्ता यह हो सकता है कि बीजेपी सरकार अपने शासनकाल में तीनों कानूनों को लागू नहीं करे। छोटे भाई और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि इस मुद्दे का एक सम्मानपूर्ण समाधान निकाला जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वे दबाव में किसी बात पर रजामंद नहीं होंगे। सरकार गोली चलाएगी तो हमारे सीने में लगेगी, पीठ पर नहीं: नरेश टिकैत दूसरी ओर, मुजफ्फरनगर में नरेश टिकैत ने कहा कि किसानों के आंदोलन को लेकर बीजेपी एक तीर से कई निशाने साध रही है। उन्होंने एक तरह से चुनौती देते हुए कहा, ‘सरकार ने गलत जगह हाथ डाल दिया है। यहां पर उसकी बात का कोई असर नहीं पड़ेगा।‘ नरेश टिकैत ने कहा, ‘सरकार हमें कमजोर न माने। हम किसी भी सूरत में नहीं मानेंगे। सरकार गोली चलाएगी तो वह हमारे सीने में ही लगेगी, पीठ पर नहीं।’ उन्होंने कहा, ‘जहां तक शक्ति प्रदर्शन की बात है तो एक मैदान में बीजेपी अपनी रैली कर ले। अगले दिन उसी मैदान में हम अपना कार्यक्रम करेंगे। जहां पर बीजेपी की पूरी ताकत हो, उत्तर प्रदेश में रख लो या हरियाणा में रख लो, वहां बीजेपी अपना शक्ति प्रदर्शन करे, तब सरकार को अपनी ताकत का अंदाजा लग जाएगा। हम उसे हर जगह फेल कर देंगे।’ 'हमें सरकार से मुकदमों के सिवा और कुछ नहीं मिलने वाला' बीजेपी और उत्तर प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करते हुए नरेश टिकैत ने कहा, ‘बीजेपी सरकार के उत्तर प्रदेश में चार साल हो गए, लेकिन उसने 10 रुपये ही गन्ना मूल्य बढ़ाया है। हमें तो अब ऐसा लगता है कि हाथी के दांत खाने के कुछ और हैं, दिखाने के कुछ और। प्रदेश सरकार हो या केंद्र सरकार हो, हमें कोई फायदा होने वाला नहीं है। किसानों ने मन बना लिया है। हम अपने तरीके से देखेंगे। हमें सरकार से मुकदमों के सिवा और कुछ नहीं मिलने वाला है।’ उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘ऐसा गर्माहट का माहौल है कि कुछ भी हो सकता है। सारे भारत में आज चिंगारी है। बंगाल का चुनाव है, उस चुनाव का ध्यान करेंगे। हर साल एक-दो राज्यों में चुनाव है... यह क्या करेंगे।’ प्रदर्शन स्‍थल पर पहुंचे और तंबू इस बीच, गाजीपुर में यूपी गेट स्थित प्रदर्शन स्थल पर रविवार को और टेंट पहुंचे। आसपास के क्षेत्रों से यहां किसानों की आमद जारी है। कई लोगों को राकेश टिकैत से बातचीत के लिए या उनके साथ सेल्फी के लिए घंटों तक इंतजार करते देखा गया। बीकेयू के एक नेता ने कहा कि राकेश टिकैत पिछले तीन दिन से एक दिन में तीन घंटे से ज्यादा नहीं सो पाए हैं। इस बीच उन्हें रक्तचाप संबंधी समस्या भी हुई, लेकिन अब वह ठीक हैं। प्रदर्शनस्थल पर किसानों के छोटे समूहों ने तिरंगे लेकर और नारेबाजी करते हुए मार्च निकाला। मोदी ने तिरंगे के अपमान पर जताया था दुख गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर दिल्‍ली में हुई हिंसा के कुछ दिन बाद शनिवार को कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों के लिए उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और बातचीत में महज एक फोन कॉल की दूरी है। राकेश टिकैत ने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे। किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुकें।’ हालांकि उन्होंने कहा, ‘हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के आत्म-सम्मान की रक्षा हो।’ गणतंत्र दिवस पर अनेक प्रदर्शनकारी लाल किले के अंदर पहुंच गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लाल किले की घटना का जिक्र किया और कहा कि देश गणतंत्र दिवस पर तिरंगे के अपमान से दुखी है।

कांग्रेस सांसद सुरेश नारायण धानोरकर के बिगड़े बोल, BJP को बताया 'हरामखोर'

अभिषेक जायसवाल, वाराणसी वाराणसी दौरे पर आए ने बीजेपी के खिलाफ हरामखोर जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। होटल में कार्यकर्ताओं और जानने वालों से बातचीत में कांग्रेस सांसद ने ये टिप्पणी की है। कांग्रेस सांसद के विवादित बोल का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। सुरेश नारायण धानोरकर महाराष्ट्र के चंद्रपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं। वायरल वीडियो के मुताबिक, सांसद के समर्थक यूपी विधानसभा चुनाव में AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के चुनाव लड़ने की बात कर रहे थे। इसी दौरान कांग्रेस सांसद ने बीजेपी को हरामखोर जैसे शब्दों से नवाजते हुए कहा कि सभी को अपनी पार्टी बढ़ाने का अधिकार है, लेकिन देश की परिस्थितियों के हिसाब से सबको चलना चाहिए। देश बच गया तो तुम्हारी (ओवैसी) पार्टी बढ़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि देश बचाने के लिए डिवाइड ऐंड रूल ठीक नही है। पहले इसको निपटाए फिर आगे सोचे तो ठीक है। दरअसल कांग्रेस सांसद अपने समर्थकों से बातचीत में ओवैसी को ये नसीहत दे रहे थें। कांग्रेस सांसद ने ये भी दावा किया था कि ओवैसी उनके अच्छे मित्र हैं, उन्होंने ये बातें उनसे भी कही है। निजी दौरे पर आए काशी कांग्रेस के सांसद सुरेश नारायण धानोरकर शनिवार को निजी दौरे पर काशी आए थे। शनिवार को वे अस्सी घाट पर होने वाली गंगा आरती में शामिल हुए थे। आरती के अलावा उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन किया था। फिर वाराणसी के एक होटल में कुछ चुनिंदा कार्यकर्ताओं से मुलाकात की जहां उनके विवादित बोल सामने आए।

Budget 2021: खेती-किसानी के लिए क्या निकलेगा सीतारमण के पिटारे से, इस पर टिकी होंगी नजरें

नई दिल्ली (Finance Minister ) आज साल 2021-22 का बजट पेश करेंगी। इस बजट में खासकर खेती-किसानी को लेकर सरकार कई बड़ी घोषणाएं कर सकती है। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। इस कारण सरकार की भी किरकिरी हो रही है। यही वजह है कि किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए सरकार इस मौके को भुना सकती है। ऐसे में इस आंदोलन का असर इस बार के बजट पर भी दिख सकता है। माना जा रहा है कि कृषि कानून की वजह से नाराज चल रहे किसानों और कृषि सेक्टर के लिए केंद्र सरकार कुछ बड़े ऐलान कर सकती है। 10.15 पर कैबिनेट की बैठक की वजह से सरकार लगातार बैकफुट पर है। हालांकि गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा के बाद आंदोलनकारी किसानों के प्रति लोगों के बीच सहानुभूति कम हुई है। इन सबके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी है। किसान संगठन कानून वापस लेने से आलावा कुछ भी मानने को तैयार नहीं। इसी को देखते हुए केंद्र सरकार इस बार के बजट में कृषि सेक्टर के लिए बड़े ऐलान कर सकती है। सोमवार को बजट पेश करने से पहले मोदी कैबिनेट की बैठक संसद परिसर में सुबह 10 बजकर 15 मिनट बजे होगी। 'मन की बात' में पीएम मोदी ने कृषि क्षेत्र का किया जिक्र पीएम मोदी ने बजट से एक दिन पहले रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में भी कृषि क्षेत्र का विशेष रूप से जिक्र किया। उन्होंने कहा, ' खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और अनेक कदम उठा भी रही है। सरकार के प्रयास आगे भी जारी रहेंगे।' किसानों आंदोलन और बजट से एक दिन पहले प्रधानमंत्री के इस बयान के काफी मायने निकाले जा रहे हैं। केंद्र सरकार हमेशा से यह दावा करती रही है कि गांव, गरीब और किसानों की तरक्की उसकी प्राथमिकता है। इसलिए जिस तरह की परिस्थितियां बन रही हैं, उसे देखकर माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस बार के बजटे में कृषि क्षेत्र के लिए बड़े ऐलान कर सकती है। इकनॉमिक रिव्यू 2020-21 में, चालू वित्त वर्ष में इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर में जहां क्रमश: 9.6 फीसदी और 8.8 फीसदी की गिरावट का अनुमान है, वहीं कृषि और इससे जुड़े सेक्टर्स की ग्रोथ रेट 3.4 फीसदी पर बरकरार रह सकती है। इस बार बढ़ सकता है कृषि सेक्टर का बजट पीएम मोदी लगातार किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने की बात करते रहे हैं। केंद्र सरकार किसान सम्मान निधि, फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कई कार्यक्रम किसानों के लिए सरकार पहले से चला रही है। पिछले बजट में कृषि और इससे जुड़े सेक्टर्स की 16 योजनाओं के लिए सरकार ने 2.83 लाख करोड़ के बजट का ऐलान किया था। इन सभी योजनाओं का बजट बढ़ाए जाने का अनुमान एक्सपर्ट्स जता रहे हैं। पूरे कृषि सेक्टर का बजटीय आवंटन इस वजह से बढ़ने की उम्मीद है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया, 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) समेत कृषि क्षेत्र की तमाम योजनाओं के प्रति किसानों की जागरूकता लगातार बढ़ती जा रही है और इन योजनाओं का लाभ जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। पीएम-किसान का सालाना बजट 75,000 करोड़ रुपये है। यह सरकार की महत्वकांक्षी योजना है, इसके बजट में कटौती नहीं होगी।' हालांकि इसके बजट में इजाफा होने के संबंध में उन्होंने कुछ नहीं बताया। कृषि क्षेत्र की कई योजनाओं का बढ़ सकता है बजट अधिकारी का कहना है कि कृषि से जुड़ी तमाम योजनाएं केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल हैं। पीएम-किसान योजना से देशभर में 11.52 करोड़ किसान जुड़ चुके हैं। इसलिए, इसके बजटीय आवंटन में वृद्धि की उम्मीद की जा सकती है। इस योजना के तहत प्रत्येक लाभार्थी किसान परिवार को आर्थिक सहायता के तौर पर तीन समान किस्तों में सालाना 6,000 रुपये मिलता है। फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र पर भी सरकार करेगी फोकस! इस बजट में किसानों को कम ब्याज दरों पर शॉर्ट टर्म कृषि लोन मुहैया कराने वाली स्कीम पर भी सरकार का फोकस रहने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कृषि क्षेत्र की अन्य योजनाओं को इस बजट में भी सरकार तवज्जो दे सकती है। कृषि अर्थशास्त्री का कहना है कि कि कृषि के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) उद्योग की योजनाओं को भी आगामी बजट में सरकार प्रमुखता देगी। (IANS से इनपुट सहित)

इंदौर कलेक्टर ने गणेश जी मांगी माफी, कहा- 'इस गलती के लिए ईश्वर हमें क्षमा करें'


देश के सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार इंदौर अपने लोगों की वजह से शर्मशार है। इंदौर नगर निगम के कर्मचारियों ने पिछले दिनों असहाय बुजुर्गों को डंपर में भर कर शहर के बाहर फेंक रहे थे। बुजुर्गों को बाहर फेंकते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उसके बाद प्रशासन हरकत में आई थी। दोषियों कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई लेकिन इंदौर पर लगा दाग धुला नहीं है। ऐसे में इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह अब भगवान की शरण में पहुंचे हैं।

MP में निकायों पर कब्जा के लिए क्या है बीजेपी का प्लान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से समझें

बेसहारा बुजुर्गों से बेरहमी मामले को लेकर इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने खजराना गणेश भगवान से माफी मांगी है। वह माघ चतुर्थी के मौके पर मंदिर में ध्वजा पूजन के लिए पहुंचे थे। मंदिर में पूजन-अर्चन और दर्शन के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने बुजुर्गों के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर भगवान गणेश से माफी मांगी है। विनती की है कि इस गलती के लिए ईश्वर हमें क्षमा करें, क्योंकि अधिकारी होने के नाते ये हमारी जिम्मेदारी भी बनती है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।


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MP में निकायों पर कब्जा के लिए क्या है बीजेपी का प्लान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से समझें


एमपी में निकाय और पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी नहीं हुआ है लेकिन बीजेपी ने तैयारी शुरू कर दी है। इंदौर में बीजेपी प्रदेश पदाधिकारीयों की बैठक आयोजित की गई है। इसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान सहित प्रदेश के नवनियुक्त पदाधिकारी शामिल हुए।

Expectations From Budget 2021 : 'हम व्यापारियों के पास पैसा नहीं, कोविड सेस कहां से देंगे'

इंदौर में आयोजित बैठक में बीजेपी नेताओं ने आगामी नगरीय निकाय चुनाव, पार्टी का नेटवर्क बढ़ाने सहित अन्य मुद्दों पर चिंतन मनन किया। बैठक के बीच बीजेपी के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मीडिया से चर्चा की और दोनों नेताओं ने बताया कि नवनियुक्त पदाधिकारीयों की 2 दिवसीय बैठक हो रही है, जिसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई है।


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Survey Says: Never Tweet


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Review: Seeking a Date but Finding Hypocrisy in ‘Hi, Are You Single?’


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Andrew Brooks, who developed a coronavirus spit test, has died at 51.


World New York TimesBy BY CLAY RISEN Via NYT To WORLD NEWS

पत्रकार मनदीप पूनिया को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा, सोमवार को अदालत में जमानत पर सुनवाई

नई दिल्ली फ्रीलांस पत्रकार (Mandeep Punia) को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पूनिया (Punia) को शनिवार को सिंघू बॉर्डर (Singhu Border) पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने के आरोप में रविवार को गिरफ्तार किया गया था। पूनिया को हिरासत में लिए जाने के एक दिन बाद पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके वकील अकरम खान ने कहा है कि सोमवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में लिखा गया है, 'पुलिस के साथ हाथापाई' और 'इनमें से एक ने कॉन्सटेबल राजकुमार को प्रदर्शन स्थल की ओर खींचा।' जब पुलिस ने 'परिस्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीमित बल प्रयोग किया तो वह आदमी, जो हमारे कॉन्सटेबल को खींच रहा था, नाले में गिर गया।' एफआईआर (FIR against Mandeep Punia) में आगे कहा गया है, 'उस शख्स की पहचान मनदीप पूनिया के रूप में हुई है... पूनिया और उनके साथ आए प्रदर्शनकारी पुलिस को उनका कर्तव्य निभाने से रोका और उन्हें धक्का दिया।' खान ने अंग्रेजी अखबार इंडिया एक्स्प्रेस को बताया कि 25 वर्षीय पूनिया को तिहार जेल में मजिस्ट्रेट (Punia in Tihar Jail) के सामने पेश किया गया। 'हम सोमवार को रोहिणी कोर्ट में जमानत के लिए अपना पक्ष रखेंगे। वहां इस मामले की सुनवाई होनी है।' अपनी जमानत याचिका में पूनिया के वकीलों का कहना है, 'उसके परिवार को बीती रात से पहले उसकी हिरासत अथवा संभावित गिरफ्तारी के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई।' उन्होंने आगे कहा कि जब एक साथी पत्रकार ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवानी चाही तब उसे गिरफ्तारी के बारे में कुछ इशारा दिया गया। इस अर्जी में यह भी कहा गया है कि आरोपी सिर्फ अपना पत्रकारिता धर्म निभा रहा था और उसके साथ हिरासत में लिए गए पत्रकारों को शनिवार आधी रात के करीब रिहा कर दिया गया था। पुलिस ने कहा था कि इस अन्य पत्रकार, धर्मेंद सिंह को प्रेस कार्ड दिखाने के बाद जाने की इजाजत दे दी गई थी। वहीं पूनिया के वकीलों का कहना है कि चूंकि पूनिया एक फ्रीलांस पत्रकार हैं, इसलिए उनके पास प्रेस कार्ड नहीं होगा और यह उनकी गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता। पूनिया, हरियाणा के झज्जर के रहने वाले हैं। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से ग्रैजुएशन किया है। उन्होंने आईआईएमसी के 2016-17 में पत्रकारिता का कोर्स किया है। वह कारवां मैगजीन के लिए लिख रहे हैं। उनके घर में तीन बड़ी बहनें और मां (76) हैं। उनकी पत्नी लीलाश्री (29) पंजाब यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर हैं। वह रविवार को जयसिंह रोड पर दिल्ली पुलिस हेडक्वॉर्टर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं। पत्रकारों के एक समूह ने पुनिया की गिरफ्तारी के खिलाफ रविवार शाम पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों के हाथों में तख्तियां थीं और वे नारे लगा रहे थे। उन्होंने वहां एक मार्च भी निकाला। इससे पहले पुलिस ने कहा था कि उसने शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद सीमा पर अवरोधक लगाए थे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई उसे पार न कर पाए। पुलिस ने आरोप लगाया था कि पत्रकार समेत कुछ लोगों ने अवरोधक हटाने की कोशिश की तथा पत्रकार ने वहां पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया। सिंघू बॉर्डर पर शुक्रवार को किसानों और स्थानीय निवासी होने का दावा करने वाले लोगों के बीच झड़प हो गई थी। इस दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर पथराव किया था। सिंघू बॉर्डर नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का प्रमुख स्थल है। हिंसा में दिल्ली पुलिस के एसएचओ (अलीपुर) घायल हो गए थे। घटना के संबंध में एसएचओ पर हमला करने वाले व्यक्ति समेत कम से कम 44 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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