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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Friday, April 23, 2021

Bihar News : कोरोना से हाहाकार के बीच देव सूर्य मंदिर में शादी के लिए उमड़ी भीड़, पुलिस ने खदेड़ा


औरंगाबाद
बिहार के औरंगाबाद जिले में पांच सौ से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज हर दिन मिल रहे हैं। इसे देखते हुए सार्वजनिक स्थानों पर भीड़-भाड़ जमा नहीं करना है, लेकिन जिले में इन निर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। दाउदनगर शहर में मौलाबाग स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर परिसर में सबकुछ बंद होने के बाद भी शादी-विवाह करवाने वालों की काफी भीड़ उमड़ पड़ी।

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इसकी सूचना मिलते ही दाउदनगर एसडीओ कुमारी अनुपम सिंह पुलिस के साथ सूर्य मंदिर परिसर पहुंची। उन्होंने पुलिस की मदद से भीड़ को हटाया और लोगों से नियमों का पालन करने की अपील की। साथ ही उन्होंने मौलाबाग मोड़ पर ड्रॉप गेट बनवाने, दंडाधिकारी और पुलिस बल की तैनाती का निर्देश बीडीओ को दिया।

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एसडीओ कुमारी अनुपम ने कहा कि मंदिरों में शादी- विवाह के लिए कई जगहों से लोग आ रहे हैं। इससे कोरोना संक्रमण के प्रसार की संभावना बढ़ जाएगी। इसलिए सार्वजनिक स्थानों और मंदिर परिसरों में भीड़ नहीं लगाने की अपील की गई है। हालांकि इस दौरान एसडीओ ने एक रसीद भी कटा पया। इसके बाद भीड़ लगाने और नियमों के उल्लंघन को लेकर पुजारी पर कार्रवाई की बात कही है।


via WORLD NEWS

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Sports New York TimesBy BY SCOTT CACCIOLA Via NYT To WORLD NEWS

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Sports New York TimesBy BY THE ASSOCIATED PRESS Via NYT To WORLD NEWS

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U.S. New York TimesBy BY MICHAEL LEVENSON Via NYT To WORLD NEWS

'भाषा तब बचेगी जब उसका व्यवसाय रहेगा'

भारतीय भाषाओं की बात के बगैर पूरी नहीं हो सकती। प्रो. देवी के नेतृत्व में पीपल्स लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया ने भारत की 780 जीवित भाषाओं का सर्वेक्षण प्रकाशित किया था, जिसमें अब तक की सबसे अधिक भारतीय भाषाएं हैं। उनका मानना है कि भाषाएं अपनी लिपि से नहीं, बल्कि अपने बोलने वालों से जिंदा रहती हैं। कहां हैं इतनी सारी भाषाएं, कौन हैं उनके बोलने वाले, इन सब विषयों पर उनसे अश्विनी शर्मा ने बात की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश : लीड्स यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के बाद वडोदरा में अंग्रेजी प्राध्यापक बनने और फिर वहां से भाषाओं को खोजने की अपनी यात्रा के बारे में बताइए। बड़ौदा यूनिवर्सिटी में मैंने 1980 से लेकर 1995 तक पढ़ाया। इस वक्फे में, जैसा कि आमतौर पर होता है, लेक्चरर से रीडर बनना, फिर प्रफेसर बनना, किताब लिखना चलता रहा। इस बीच मेरी अंग्रेजी की किताब 'आफ्टर अम्नेसिया' को साहित्य अकादमी अवॉर्ड भी मिल गया। पर इस दौरान मैं और मेरी पत्नी शनिवार-रविवार को स्कूटर से नजदीकी आदिवासी गांवों में जाते। विद्यार्थियों के साथ मिलकर छोटे-मोटे रिलीफ वर्क करते। इसके साथ ही भाषाओं को खोजने की यात्रा भी चल रही थी। मैंने 1970 के दशक में अपनी पीएचडी के दौरान ही गियर्सन का लैंग्वेज सर्वे पढ़ा। सेंसस ऑफ इंडिया के आंकड़े देखे, तो मैं चौंक गया। 1961 के सेंसस की तुलना में 1971 में 109 भाषाओं के बारे में ही बताया गया था। 109 नंबर के सामने लिखा था 'ऑल अदर्स।' ये ऑल अदर्स क्या है? 1961 में 1652 भाषाएं थीं। फिर बाकी भाषाएं कहां गईं? जब मैं इन गांवों में गया, तो मुझे पता चला कि ये गुम हुई भाषाएं आदिवासियों, घुमंतुओं और छोटे-छोटे समुदायों की हैं। मुझे लगा कि यूनिवर्सिटी में पढ़ाता रहूं, इससे भाषा का कोई भला होने वाला नहीं है। 1995 में मैंने यूनिवर्सिटी से त्यागपत्र दे दिया। आपने तेजगढ़ में आदिवासी अकादमी की स्थापना की और हिंदुस्तान की भाषाओं का सर्वेक्षण किया। यह काम कितना पूरा हुआ है? जब मैंने यूनिवर्सिटी छोड़ी, तो तय किया था कि मैं खुद आदिवासियों के बीच जाकर देखूंगा, उनको सुनूंगा, उनके बारे में लिखूंगा और उसे दुनिया तक पहुंचाऊंगा। भाषा की मेरी समझ थोड़ी अलग है। मेरा मानना है कि अगर किसी समुदाय का कोई इंसान जिंदा हो, तो ही उसकी भाषा जिंदा रह सकती है। इंसानों के बगैर कागज पर लिखे शब्दों को मैं भाषा नहीं मानता। अगर भाषा जिंदा रखनी है, तो उसका व्यवसाय होना चाहिए, तभी वह भाषा बचेगी। ऐसा ठानकर मैंने आदिवासियों की मदद से उनके ही क्षेत्र में सीड बैंक, वाटर बैंक, स्कूलिंग, हेल्थ केअर के काम शुरू किए। इन कार्यों को मैं भाषा के कार्य ही मान रहा था। जब इस अकादमी का काम कुछ स्थिर हुआ, उनमें सेल्फ कॉन्फिडेंस आया, तो मैंने भाषा सर्वेक्षण के काम की शुरुआत की। आज जब मैं पीछे मुड़कर 25 वर्ष पहले का वक्त देखता हूं, तो लगता है कि व्यावहारिक तौर पर हमने अपने लक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं। हालांकि पूरी दुनिया की भाषाओं को जानने, उस भाषा में उनके संस्कार, जीवन और पर्यावरण से उनके रिश्ते की जानकारी का काम अभी अधूरा है। आपने महाश्वेता देवी के साथ मिलकर घुमंतू समुदायों के लिए भी काम किया है। इनकी हालत आज भी खराब क्यों है? 1998 में महाश्वेता देवी वेरियर एल्विन लेक्चर देने बड़ौदा आई थीं। उन्होंने बंगाल के विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू समुदायों के बारे में बोला था। उस समय लक्ष्मण गायकवाड़ भी वहीं मौजूद थे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में भी ऐसे समुदाय रहते हैं। गुजरात में मैं इन समुदायों को देख ही रहा था। अगले दिन हम तीनों ने मिलकर एक छोटा संगठन 'डीएनटी राइट्स एक्शन ग्रुप' बनाया। हम इन समुदायों के अधिकारों और न्याय के सवालों को लेकर राज्यों के सामाजिक न्याय विभाग के सचिवों से मिलते थे। उसी समय मानव अधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस वेंकटचलैया बने थे। उन्होंने हमें बुलाकर इसके बारे में पूछा। हमने उनसे एक इन्क्वायरी कमिटी बनाने का आग्रह किया, जिसके अध्यक्ष राजीव धवन थे। मानवाधिकार आयोग ने ऐतिहासिक निर्णय दिया कि जब तक अभ्यस्त अपराधी कानून खत्म नहीं होगा, तब तक घुमंतू समुदायों की पहचान अपराधी की ही होगी। कुछ राज्य सरकारों ने इसे माना, कुछ ने नहीं माना। उसके कुछ समय बाद गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिले, तो उन्होंने आयोग बनाने का आश्वासन दिया। लेकिन यह एक लचर आयोग बना। फिर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। उनसे मिले तो उन्होंने आयोग बनाया, पर उसमें भी कुछ काम हुआ, कुछ बाकी रह गया। हमारा ऐकडेमिक जगत आज भी घुमंतुओं को चोर-उचक्का या खेल-तमाशे वाला ही मानता है, जबकि ये समुदाय दुनिया की सबसे पुरानी और प्रकृति से जुड़ी संस्कृति को संजोने वाले हैं। यह किसकी विफलता है? हमारे यहां यूनिवर्सिटी में जो शिक्षा दी जाती है, उसके बहुत परिणाम हैं। इनमें एक यह भी है कि यहां से पढ़कर निकला व्यक्ति खुद को बाकी समाज से अलग मानता है। उसकी वजह है कि हमारा समाज जाति में उलझा हुआ है। जब वे यूनिवर्सिटी में आते हैं तो उन्हें आजादी का अहसास होता है, जो सही भी है। यहां वे मानने लगते हैं कि सामाजिक उत्तरदायित्व हमारा काम नहीं है। ये काम किसी राजनीतिक दल या हल्ला-गुल्ला करने वाले का है। साथ ही गांवों में घुमंतू समुदायों की जनसंख्या भी कम है, जिसके कारण इस विषय को अकादमिक विमर्श में वह जगह नहीं मिल पाई है, जो कि दलित विमर्श या स्त्री विमर्श को मिली है। इनके बारे में जो किताबें भी लिखी गई हैं, उन्हें पढ़कर ऐसा लगता है जैसे ये लोग किसी दूसरे ग्रह से आए हों।

India Faces Record-Breaking Virus Surge


World New York TimesBy BY LUCAS LILIEHOLM AND MCKENZIE MARSHALL Via NYT To WORLD NEWS

When?


Crosswords & Games New York TimesBy BY CAITLIN LOVINGER Via NYT To WORLD NEWS

J.&.J. Vaccine Will Be Available Again Soon


Health New York TimesBy BY DENISE GRADY, JULIE BOSMAN AND NOAH WEILAND Via NYT To WORLD NEWS

ब्लॉगः इस तरह संभल सकती हैं ऑक्सिजन के बिना उखड़ती सांसें

गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है कि कोई भी लोकल या स्टेट अथॉरिटी अगर ऑक्सिजन ले जाने वाली गाड़ियों के आने-जाने में बाधा डालेगी या अपने यहां इस्तेमाल के लिए ऑक्सिजन जब्त करेगी तो ऐसे कदम को गैरकानूनी माना जाएगा। ऐसी खबरें आई थीं कि हरियाणा अपने यहां से गुजरने वाले ऑक्सिजन के ट्रकों को रोक रहा है। ये ट्रक दिल्ली और दूसरी जगहों के लिए ऑक्सिजन ले जा रहे थे। गृह मंत्रालय ने जो किया है, बहुत अच्छा किया है, लेकिन कुछ और करने की भी जरूरत है।

Gwalior Oxygen News : ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल में ऑक्सीजन खत्म, आईसीयू में भर्ती तीन मरीजों ने दम तोड़


ग्वालियर
जबलपुर के बाद एमपी के जयारोग्य अस्पताल में तीन कोरोना मरीजों की मौत ऑक्सीजन खत्म होने के बाद हुई है। अस्पताल में काम कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने पहले ही प्रबंधन को बताया था कि ऑक्सीजन खत्म होने के कगार पर है। उसके बावजूद प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। ऑक्सीजन खत्म होने के बाद देर रात दो मरीजों की जान चली गई है। उसके बाद सुबह में एक ही मौत हुई है।

Gwalior Oxygen Shortage : ICU में खत्म हो रही ऑक्सीजन, डॉक्टरों ने घंटों पहले बताया, टूटने लगी सांसें तो भागते हुए पहुंचे मंत्री-विधायक

ग्वालियर स्थित जयारोग्य अस्पताल इस संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है। देर रात ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल समूह स्थित आईसीयू में ऑक्सीजन खत्म हो गयी। जैसे ही खबर मरीजों को परिजनों को लगी तो अस्पताल परिसर में भगदड़ मच गयी। जिसके कारण दूसरे यूनिट में शिफ्ट करने के दौरान 3 मरीजों की मौत हो गयी। जिसके बाद मरीजों के परिजनों ने जमकर हंगामा कर दिया।


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Quotation of the Day: A Crisis in San Francisco as Fentanyl Deaths Soar


Today’s Paper New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

Corrections: April 24, 2021


Corrections New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

Here’s how some states plan to respond to the lifting of the F.D.A. pause on Johnson & Johnson.


World New York TimesBy BY JULIE BOSMAN Via NYT To WORLD NEWS

Vaccines Made at Troubled Baltimore Plant Were Shipped to Canada and Mexico


U.S. New York TimesBy BY SHERYL GAY STOLBERG AND CHRIS HAMBY Via NYT To WORLD NEWS

Why the Past Haunts Talks With Iran


Opinion New York TimesBy BY THE EDITORIAL BOARD Via NYT To WORLD NEWS

PM-virus-fader


Home Page New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

Maine Officials Say Artist’s Estate Overpaid Lawyers by $3.7 Million


Arts New York TimesBy BY GRAHAM BOWLEY AND MURRAY CARPENTER Via NYT To WORLD NEWS