Featured Post

Don’t Travel on Memorial Day Weekend. Try New Restaurants Instead.

Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Friday, March 26, 2021

Charli Collier of Texas Honors Her Father’s Memory With Resilience


Sports New York TimesBy BY GILLIAN R. BRASSIL Via NYT To WORLD NEWS

Expecting N.C.A.A. Miracles, the Oral Roberts Golden Eagles Make a Run


Sports New York TimesBy BY BILLY WITZ Via NYT To WORLD NEWS

For Michigan’s Players, Activism Has Been Season’s Theme


Sports New York TimesBy BY NATALIE WEINER Via NYT To WORLD NEWS

रेलवे ने होली के लिए चलाई ये स्पेशल ट्रेनें, कहां से, कब चलेंगी और कहां रुकेंगी, देखें सबकुछ

नई दिल्लीभारतीय रेलवे (Indian Railways) ने होली को देखते हुए यात्रियों की सुविधा के लिए होली स्पेशल ट्रेन चला रहा है। ये ट्रेनें नई दिल्ली, हजरत निजामु्द्दीन, आनंद विहार टर्मिनल से संचालित होंगी। इसके अलावा रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू की है। इनमें दिल्ली से बिहार, चंडीगढ़, चेन्नई सेंट्रल, मदुरै, माता वैष्णो देवी कट़़ड़ा, बीकानेर, सियालदह जाने वाली ट्रेनें शामिल है। होली में बिहार जाने वाले लोगों के लिए रेलवे आनंद विहार से जयनगर और सहरसा के लिए भी स्पेशल ट्रेन चला रहा है। यहां देखें ट्रेनों की पूरी डिटेल्ट...

होली स्पेशल ट्रेनें नई दिल्ली, हजरत निजामु्द्दीन, आनंद विहार टर्मिनल से संचालित होंगी। इसके अलावा रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू की है। इसके अलावा अन्य स्पेशल ट्रेनों का संचालन अप्रैल से शुरू होगा।


Holi Special Train List : रेलवे ने होली के लिए चलाई ये स्पेशल ट्रेनें, कहां से, कब चलेंगी और कहां रुकेंगी, देखें सबकुछ

नई दिल्ली

भारतीय रेलवे (Indian Railways) ने होली को देखते हुए यात्रियों की सुविधा के लिए होली स्पेशल ट्रेन चला रहा है। ये ट्रेनें नई दिल्ली, हजरत निजामु्द्दीन, आनंद विहार टर्मिनल से संचालित होंगी। इसके अलावा रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए अन्य स्पेशल ट्रेनें भी शुरू की है। इनमें दिल्ली से बिहार, चंडीगढ़, चेन्नई सेंट्रल, मदुरै, माता वैष्णो देवी कट़़ड़ा, बीकानेर, सियालदह जाने वाली ट्रेनें शामिल है। होली में बिहार जाने वाले लोगों के लिए रेलवे आनंद विहार से जयनगर और सहरसा के लिए भी स्पेशल ट्रेन चला रहा है। यहां देखें ट्रेनों की पूरी डिटेल्ट...



​नई दिल्ली से भागलपुर के लिए दो दिन चलेगी
​नई दिल्ली से भागलपुर के लिए दो दिन चलेगी

नई दिल्ली से भागलपुर के लिए आनंद विहार टर्मिनल से ट्रेन 27 मार्च व 28 मार्च को रवाना होगी। यह ट्रेन भागलपुर से 28, 29 और 30 मार्च को वापस लौटेगी।



​नई दिल्ली-भागलपुर स्पेशल सुपरफास्ट ट्रेन
​नई दिल्ली-भागलपुर स्पेशल सुपरफास्ट ट्रेन

रेलवे 5 अप्रैल से नई दिल्ली से भागलपुर के बीच स्पेशल सुपरफास्ट ट्रेन चलाएगा। यह ट्रेन सप्ताह में एक दिन चलेगी। ट्रेन दोपहर 12.35 बजे नई दिल्ली से रवाना होगी।



​सियालदह से बीकानेर दुरंतो स्पेशल
​सियालदह से बीकानेर दुरंतो स्पेशल

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बीच यहां के लोगों के लिए भी रेलवे ने दुरंतो का तोहफा दिया है। रेलवे सियालद से बीकानेर के बीच सप्ताह में 4 दिन दुरंतो ट्रेन का संचालन करेगा।



​पटना, बरौनी कटिहार के लोगों को फायदा
​पटना, बरौनी कटिहार के लोगों को फायदा

होली में पटना, बरौनी, कटिहार, पूर्णिया, अररिया जाने वाले लोग भी आनंद विहार से जोगबनी के बीच चलने वाली ट्रेन पकड़ सकेंगे। यह ट्रेन रात को 10.55 बजे रवाना होगी।



​लखनऊ, गोरखपुर जाने वाले के लिए भी विकल्प
​लखनऊ, गोरखपुर जाने वाले के लिए भी विकल्प

रेलवे ने आनंद विहार से सीतामढ़ी के बीच भी होली स्पेशल ट्रेन चला रही है। इस ट्रेन से यूपी में लखनऊ, गोंडा, बस्ती, गोरखपुर जाने वाले लोगों को भी विकल्प मिलेगा।



​माता के भक्तों के लिए तोहफा
​माता के भक्तों के लिए तोहफा

रेलवे ने माता वैष्णो देवी जाने वाले श्रद्धालुओं को सुपरफास्ट एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन का तोहफा दिया है। यह ट्रेन नई दिल्ली स्टेशन से प्रतिदिन रात 8.50 बजे कटड़ा के लिए रवाना होगी।



​दिल्ली से सहरसा के बीच चलेगी ट्रेन
​दिल्ली से सहरसा के बीच चलेगी ट्रेन

होली पर बिहार जाने वाले लोगों के लिए दिल्ली-सहरसा के बीच ट्रेन की सुविधा मिलेगी। ट्रेन में स्लीपर के साथ एसी 2 और एसी3 की भी सुविधा है।



​होली में जयनगर के लिए भी ट्रेन
​होली में जयनगर के लिए भी ट्रेन

रेलवे ने त्योहार में बिहार जाने लोगों की संख्या को देखते हुए आनंद विहार टर्मिनल से जयविहार के बीच भी ट्रेन चलाने का फैसला किया है। यह ट्रेन भी 27 मार्च और 28 मार्च को आनंद विहार से रवाना होगी।



​सराय रोहिल्ला से जम्मू के लिए दुरंतो
​सराय रोहिल्ला से जम्मू के लिए दुरंतो

रेलवे दिल्ली के सराय रोहिल्ला स्टेशन से जम्मू तवी के लिए दुरंतो ट्रेन का संचालन शुरू कर रहा है। यह ट्रेन 11 अप्रैल से प्रत्येक मंगलवार, शुक्रवार और शनिवार को सराय रोहिल्ला स्टेशन से रवाना होगी।



​नई दिल्ली से राजस्थान के दौराई के लिए शताब्दी ट्रेन
​नई दिल्ली से राजस्थान के दौराई के लिए शताब्दी ट्रेन

रेलवे ने नई दिल्ली से राजस्थान के दौराई के लिए रोजाना शताब्दी ट्रेन चलाने की घोषणा की है। यह ट्रेन 10 अप्रैल से शुरू होगी। ट्रेन रेवाड़ी, अलवर, जयपुर और अजमेर होते हुए दौराई पहुंचेगी।



​नई दिल्ली-अमृतसर के बीच वीकली ट्रेन
​नई दिल्ली-अमृतसर के बीच वीकली ट्रेन

रेलवे 15 अप्रैल से नई दिल्ली से अमृतसर के बीच वीकली ट्रेन चलाएगा। यह ट्रेन अगले आदेश तक चलती रहेगी। ट्रेन नई दिल्ली से सुबह 7.20 बजे रवाना होगी।



​नई दिल्ली अमृतसर के लिए रोजाना ट्रेन
​नई दिल्ली अमृतसर के लिए रोजाना ट्रेन

रेलवे ने वीकली ट्रेन के अलावा नई दिल्ली से अमृतसर के बीच शताब्दी एक्सप्रेस स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया है। यह ट्रेन डेली नई दिल्ली से शाम 4.30 बजे रवाना होगी।



​चेन्नई सेंट्रल से हजरत निजामुद्दीन के लिए गरीब रथ
​चेन्नई सेंट्रल से हजरत निजामुद्दीन के लिए गरीब रथ

रेलवे 10 अप्रैल से चेन्नई सेंट्रल से हजरत निजामुद्दीन के बीच गरीब रथ स्पेशल ट्रेन चलाने जा रहा है। यह ट्रेन चेन्नई से प्रत्येक शनिवार को सुबह 6.30 बजे रवाना होकर अगले दिन सुबह 10.30 बजे निजामुद्दीन पहुंचेगी।



​मदुरै से भी निजामुद्दीन के लिए सुपरफास्ट ट्रेन
​मदुरै से भी निजामुद्दीन के लिए सुपरफास्ट ट्रेन

रेलवे ने मदुरै से निजामुद्दीन के लिए सुपरफास्ट ट्रेन संचालित करने का फैसला लिया है। यह ट्रेन 20 अप्रैल से प्रत्येक रविवार और मंगलवार को चलेगी।



​कोच्चुवेली से ऋषिकेष के लिए ट्रेन
​कोच्चुवेली से ऋषिकेष के लिए ट्रेन

रेलवे ने अप्रैल से कोच्चुवेली से ऋषिकेश के बीच स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया है। यह ट्रेन हजरत निजामुद्दीन, रुड़की, हरिद्वार होते हुए ऋषिकेश पहुंचेगी।



​चंडीगढ़ से नई दिल्ली के लिए शताब्दी ट्रेन
​चंडीगढ़ से नई दिल्ली के लिए शताब्दी ट्रेन

रेलवे ने नई दिल्ली से चंडीगढ़ के लिए शताब्दी स्पेशल ट्रेन चलाने का फैसला किया है। यह ट्रेन चंडीगढ़ से दोपहर 12.15 बजे चलकर दोपहर 3.30 बजे नई दिल्ली पहुंचेगी।



ढाका में पीएम मोदी ने नहीं लिया इंदिरा गांधी का नाम? कांग्रेसी नेताओं के इस दावे का सच जानिए

नई दिल्‍ली/ढाका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर बांग्‍लादेश गए हैं। शुक्रवार को उन्‍होंने बांग्लादेश की स्‍वतंत्रता के स्‍वर्ण जयंती समारोह में हिस्‍सा लिया। इस कार्यक्रम में मोदी का भाषण सुनने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने दावा किया कि पीएम ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा कि मोदी ने बांग्‍लादेश की स्‍वतंत्रता में इंदिरा गांधी की भूमिका को कभी स्‍वीकार नहीं किया। मुखर्जी ने अपने पिता और पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जिक्र न होने की भी बात कही। जबकि पीएम मोदी ने ढाका के नैशनल परेड स्‍क्‍वायर में अपने संबोधन के दौरान इंदिरा के योगदान को जरूर याद किया था। मोदी ने कहा कि "बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम को भारत के कोने-कोने से, हर पार्टी से, समाज के हर वर्ग से समर्थन प्राप्त था। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के प्रयास और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है।" कांग्रेस नेताओं ने क्‍या आरोप लगाए?INC प्रवक्‍ता मनीष तिवारी ने शुक्रवार सुबह ट्वीट क‍िया कि यह देखना होगा कि क्‍या प्रधानमंत्री 1947 के बाद दक्षिण एशिया का मानचित्र बदलने में इंदिरा गांधी के योगदान को स्‍वीकार करते हैं या नहीं। मोदी ने अपने भाषण में कहा‍ कि 1971 में इंदिरा गांधी ने क्‍या योगदान दिया, यह सबको पता है। इसके बावजूद कांग्रेस के ही जयराम रमेश ने लिखा, "दुखद है कि हमारे प्रधानमंत्री इसे स्‍वीकार नहीं करेंगे लेकिन 1971 के ऐतिहासिक घटनाक्रम में इंदिरा गांधी का महत्‍वपूर्ण योगदान था, उनके साथ पीएन हसकर भी थे। मैंने इसे जबर्दस्‍त जुगलबंदी के बारे में लिखा है जिसका भारत और पूरे उपमहाद्वीप पर इतना असर हुआ।" पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत ने लिखा, "आज पीएम मोदी बांग्‍लादेश की स्‍वतंत्रता के 50 वर्ष का समारोह मनाने गए! क्‍या उन्‍होंने कभी हमारी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और मेरे पिता स्‍वर्गीय श्री प्रणब मुखर्जी की भूमिका को स्‍वीकार किया? शायद इसलिए नहीं क्‍योंकि उनका अपना राजनीतिक एजेंडा है जिसे पूरा करने के लिए वह बेचैन हैं।" मुखर्जी ने आरोप लगाते हुए कहा, "मेरे पिता की मौत के बाद मैंने उनकी याद में एक पोस्‍टेज स्‍टैम्‍प जारी करने की गुजारिश की थी लेकिन उन्‍होंने (मोदी) दरकिनार कर दिया। अब पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान वो (मोदी) गुरुदेव और बंगाल की अन्‍य बड़ी हस्तियों के पीछे दौड़ रहे हैं। कोई गलतफहमी न रहे, यह केवल आभासी प्रेम है जो जल्‍द गायब हो जाएगा।" मोदी ने अपने संबोधन में क्‍या कहा? सोनिया के बधाई संदेश में इंदिरा का जिक्रकांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती के अवसर पर जो संदेश जारी किया, उसमें भी इंदिरा गांधी के योगदान को याद किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश के लोगों के साथ भारत के लोगों का विशेष संबंध रहा है...इसकी एक वजह 1971 के ऐतिहासिक घटनाक्रम में इंदिरा गांधी की ओर से निभाई भूमिका तथा उनके और बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के बीच साझा की गई मित्रता और परस्पर सम्मान है। सोनिया ने कहा कि मुक्ति संग्राम के बाद इंदिरा गांधी एक राजनेता के तौर पर सामने आईं तो शेख मुजीबुर्रहमान भी वैश्विक स्तर पर एक नेता तौर पर उभरे। उन्होंने 1971 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहू के तौर पर बांग्लादेश की आजादी से जुड़े घटनाक्रमों का गवाह रहने के बारे में उल्लेख किया और कहा, ‘‘मैं बांग्लादेश के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई देती हूं।’’ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और पार्टी के कुछ अन्य नेताओं ने भी बांग्लादेश के लोगों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी और इंदिरा गांधी के योगदान का जिक्र क‍िया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- टाटा का यह फैसला था जिंदगी की सबसे बड़ी गलती?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रतन टाटा आज निश्चित ही चैन की सांस ले रहे होंगे। और, मैं साइरस मिस्त्री के गुणों, उनकी क्षमता, कुशाग्रता और नम्रता से प्रभावित हूं... 23 नवंबर 2011 को कहे अपने इन शब्दों के लिए उन्हें गहरा अफसोस भी जरूर होगा। यह वह तारीख थी जब लंबी तलाश के बाद रिटायरमेंट ले रहे टाटा को वारिस मिला था। इसके लिए साइरस टाटा संस में सबसे अधिक 18 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले शापूरजी पलोनजी के 43 साल के बेटे साइरस मिस्त्री को चुना था।लेकिन टाटा के लिए यह फैसला कैसे जिंदगी का सबसे बड़ा दुस्वप्न बना, यह सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी भी बताती है, जिसने इसे टाटा की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती करार दिया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने शुक्रवार को साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद से हटाए जाने को सही करार दिया था।

Tata Sons vs Cyrus Mistry Latest News: टाटा ग्रुप के हक में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साइरस म‍िस्‍त्री को कार्यकारी चेयरमैन बनाना रतन टाटा की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती थी।


Tata vs Mistry: सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- टाटा का यह फैसला था जिंदगी की सबसे बड़ी गलती?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रतन टाटा आज निश्चित ही चैन की सांस ले रहे होंगे। और, मैं साइरस मिस्त्री के गुणों, उनकी क्षमता, कुशाग्रता और नम्रता से प्रभावित हूं... 23 नवंबर 2011 को कहे अपने इन शब्दों के लिए उन्हें गहरा अफसोस भी जरूर होगा। यह वह तारीख थी जब लंबी तलाश के बाद रिटायरमेंट ले रहे टाटा को वारिस मिला था। इसके लिए साइरस टाटा संस में सबसे अधिक 18 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले शापूरजी पलोनजी के 43 साल के बेटे साइरस मिस्त्री को चुना था।

लेकिन टाटा के लिए यह फैसला कैसे जिंदगी का सबसे बड़ा दुस्वप्न बना, यह सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी भी बताती है, जिसने इसे टाटा की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती करार दिया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने शुक्रवार को साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी चेयरमैन पद से हटाए जाने को सही करार दिया था।



'साइरस को चेयरमैन बनाना टाटा की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती'
'साइरस को चेयरमैन बनाना टाटा की जिंदगी की सबसे बड़ी गलती'

सुप्रीम कोर्ट कहा कि एसपी समूह की कंपनियों का रतन टाटा को शैडो डायरेक्‍टर कहना ठीक नहीं। कोर्ट ने कहा कि साइरस मिस्त्री उस कंपनी के निदेशक मंडल के चेयरमैन थे, जिसने टाटा को 100 अरब डॉलर के टाटा समूह का मानद चेयरमैन नियुक्त किया था। चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने मिस्त्री की टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन के रूप में नियुक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि ‘जिस व्यक्ति को उसी दरवाजे से प्रवेश मिला है, बाहर निकलने पर वह उसकी आलोचना नहीं कर सकता।’’ पीठ ने कहा, ‘‘जिस बोर्ड के चेयरमैन साइरस मिस्त्री थे, उसी ने रतन टाटा को मानद चेयरमैन नियुक्त कर उनके समर्थन और मार्गदर्शन की इच्छा जताई थी, ऐसे में शिकायतकर्ता कंपनियों के लिए टाटा को छाया निदेशक कहना उचित नहीं है।’



उत्‍तराधिकारी ही लगा रहा ऐसे आरोप... विडंबना है: SC
उत्‍तराधिकारी ही लगा रहा ऐसे आरोप... विडंबना है: SC

कोर्ट ने कहा कि यह विडंबना है कि एक ऐसा व्यक्ति जो टाटा संस की कुल चुकता पूंजी के केवल 18.37 प्रतिशत के शेयरधारकों का प्रतिनिधित्व करता हो, फिर भी कंपनी के बोर्ड ने उसे कंपनी के औद्योगिक साम्राज्य के उत्तराधिकारी की मान्यता दे दी है, वह व्यक्ति उसी बोर्ड पर ‘अल्पांश शेयरधारकों के हितों का दमन और उनके साथ अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगा रहा है।’



फैसले पर रतन टाटा ने क्‍या कहा?
फैसले पर रतन टाटा ने क्‍या कहा?

न्यायालय ने शुक्रवार को एनसीएलएटी के 18 दिसम्बर 2019 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें सायरस मिस्त्री को टाटा समूह का दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करने का आदेश दिया गया था। टाटा समूह की कंपनियों की होल्डिंग फर्म टाटा संस ने शुक्रवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से उसका पक्ष सही साबित हुआ है। रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री के साथ विवाद के मामले में शुक्रवार को आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत का यह फैसला इस बात को साबित करता है कि टाटा संस अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर हमेशा अडिग रहा है।



'टाटा संस अपने स‍िद्धांतों पर अडिग'
'टाटा संस अपने स‍िद्धांतों पर अडिग'

रतन टाटा ने ट्वीट कर कहा कि मेरे ग्रुप की ईमानदारी और नैतिकता को लेकर लगातार हमले किए गए। यह फैसला इस बात को साबित करता है कि टाटा संस अपने सिद्धांतों और मूल्यों पर हमेशा अडिग रहा है। ट्वीट में रतन टाटा ने यह भी लिखा कि ये हमारी न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को प्रदर्शित करता है।



असम की जनता से बोले मनमोहन- इस बार समझदारी से मतदान करिएगा

नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को बीजेपी पर असम में लोगों को धर्म, भाषा एवं संस्कृति के आधार पर बांटने का आरोप लगाया और प्रदेश की जनता का आह्वान किया कि वे राज्य में समावेशी विकास के लिए कांग्रेस के नेतृत्व वाले ‘महाजोत’ (महागठबंधन) के पक्ष में मतदान करें। करीब तीन दशक तक राज्यसभा में असम का प्रतिनिधित्व करने वाले सिंह ने यह भी कहा कि असम की जनता को एक ऐसी सरकार को चुननी चाहिए जो संविधान और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बरकरार रखने वाली हो। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने असम में पहले चरण के मतदान के लिए प्रचार अभियान के आखिरी दिन एक वीडियो संदेश में कहा कि कई सालों तक असम मेरा दूसरा घर रहा है। यह मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने राज्यसभा में असम का 28 वर्षों तक प्रतिनिधित्व किया। मैं असम के लोगों के स्नेह और समर्थन के लिए उनका आभारी हूं। उन्होंने कहा कि असम के लोगों ने मुझे पांच साल तक देश के वित्त मंत्री और 10 साल तक प्रधानमंत्री के तौर पर देश की सेवा का मौका दिया....आज समय आ गया है कि इस विधानसभा चुनाव में लोग समझदारी के साथ मतदान करें। पूर्व प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि असम के लोगों ने लंबे समय तक उग्रवाद और अशांति को झेला। तरुण गोगोई की अगुवाई में असम ने शांति और विकास की दिशा में कदम बढ़ाया। अब वहां पर समाज को धर्म, भाषा और संस्कृति के आधार पर बांटा जा रहा है। लोगों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने बीजेपी का नाम लिए बगैर उस पर निशाना साधते हुए कहा कि नोटबंदी और गलत ढंग से जीएसटी लागू करने से अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई है। युवा रोजगार के लिए परेशान हैं। पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से आम आदमी परेशान है। गरीब और गरीब हो रहे हैं। कोविड के संकट ने लोगों के लिए और भी मुश्किल पैदा कर दी है। सिंह ने जनता का आह्वान किया कि आपको एक ऐसी सरकार के लिए वोट करना चाहिए जो संविधान और लोकतंत्र के सिद्धांतों को बरकरार रखे, हर नागरिक की परवाह करे और समावेशी विकास करे। असम में कांग्रेस उसकी भाषा, इतिहास और संस्कृति की रक्षा करने और विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने असम में सीएए को लागू नहीं करने समेत कांग्रेस के पांच प्रमुख वादों का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगों को कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधन के पक्ष में मतदान करना चाहिए। सिंह ने असम के लोगों से कहा कि आपका और आपके बच्चों का भविष्य आपके हाथ में है। मैं आप लोगों से कांग्रेस और महाजोत के पक्ष में वोट करने का आग्रह करता हूं। असम में कांग्रेस नीत महाजोत (महागठबंधन) में एआईयूडीएफ, बीपीएफ, माकपा, भाकपा और आंचलिक गण मोर्चा शामिल हैं। राज्य की 126 सदस्यीय विधानसभा के लिए 27 मार्च से तीन चरणों के चुनाव शुरू होगा।

बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह: पीएम के बयान पर थरूर - फर्जी खबर का स्वाद चखा रहे मोदी

नई दिल्ली कांग्रेस और भाजपा के बीच शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी को लेकर बहस छिड़ गई, जिसमें प्रधानमंत्री ने ‘‘बांग्लादेश की आजादी के लिए सत्याग्रह’’ करने की बात कही। प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को बांग्लादेश की आजादी की स्वर्ण जयंती और बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्म शताब्दी के अवसर पर ढाका में आयोजित मुख्य समारोह में वर्ष 1971 के युद्ध को याद किया। बांग्लादेश की आजादी के मैंने सत्याग्रह किया पीएम मोदी ने कहा कि यहां पाकिस्तान की सेना ने जो जघन्य अपराध और अत्याचार किए, उनकी तस्वीरें विचलित करती थीं और भारत में लोगों को कई-कई दिन तक सोने नहीं देती थीं। मोदी ने कहा, ‘‘बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था।’’ थरूर के साथ ही जयराम रमेश ने कसा तंज प्रधानमंत्री की टिप्पणी का हवाला देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा, ‘‘ अंतरराष्ट्रीय ज्ञान : हमारे प्रधानमंत्री बांग्लादेश को भारतीय ‘फर्जी खबर’ का स्वाद चखा रहे हैं। हर कोई जानता है कि बांग्लादेश को किसने आजाद कराया।’’ कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी निशाना साधते हुए इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘‘संपूर्ण राजनीतिक विज्ञान’’ करार दिया। बचाव में उतरा भाजपा का आईटी सेल इस पर पलटवार करते हुए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, ‘‘ क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश को पहचान दिलाने के लिए जन संघ द्वारा आयोजित सत्याग्रह का हिस्सा थे, हां, वह इसका हिस्सा थे।’’

पश्चिम बंगाल, असम चुनाव का पहला चरण: पीएम मोदी की वोटर्स से अपील- रेकॉर्ड मतदान करें

नई दिल्‍ली पश्चिम बंगाल और असम में विधानसभा चुनाव के तहत पहले चरण का मतदान हो रहा है। शनिवार सुबह मतदान शुरू होते ही प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में मतदाताओं से जमकर वोट डालने की अपील की। अलग-अलग ट्वीट में दोनों राज्‍यों के मतदाताओं से मोदी ने कहा कि वे भारी संख्‍या में निकलें और रेकॉर्ड मतदान करें। असम के युवाओं से उन्‍होंने खासतौर पर अपील की। पहले चरण में पश्चिम बंगाल की 30 विधानसभा सीटों, जबकि असम की 47 सीटों पर मतदान कराया जा रहा है। पीएम मोदी ने क्‍या कहा? असम के लिए: 'असम में पहले चरण का चुनाव शुरू हो गया है। जो भी योग्‍य हैं, उनसे रेकॉर्ड संख्‍या में मतदान की अपील करता हूं। मैं खासतौर से अपने युवा दोस्‍तों से मतदान का आह्वान करता हूं।' पश्चिम बंगाल के लिए: 'आज पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव का पहला चरण है। जिन सीटों पर आज मतदान है, वहां के वोटर्स से अपील करूंगा कि रेकॉर्ड संख्‍या में अपने अधिकार का प्रयोग करें।' बंगाल में भारी सुरक्षा व्‍यवस्‍था के बीच मतदानबंगाल में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत कड़ी सुरक्षा के बीच 30 सीटों के लिए शनिवार सुबह सात बजे मतदान शुरू हो गया। इन सीटों पर 73 लाख से अधिक मतदाता 191 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। इनमें से अधिकतम सीटें नक्सल प्रभावित जंगल महल क्षेत्र में हैं। पुरुलिया में सभी नौ सीटों, बांकुड़ा में चार, झारग्राम में चार, पश्चिमी मेदिनीपुर में छह सीटों और पूर्व मेदिनीपुर में सात सीटों पर कोविड-19 संबंधी गाइडलाइंस का पालन करते हुए मतदान कराया जा रहा है। चुनाव अधिकारियों ने बताया कि मतदान शाम छह बजे तक चलेगा और कड़ी सुरक्षा के बीच मतदान कराया जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने 7,061 परिसरों में बनाए 10,288 मतदान केंद्रों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय बलों की करीब 730 टुकड़ियों को तैनात किया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय बलों की प्रत्येक टुकड़ी में 100 सुरक्षाकर्मी हैं। असम: पहले चरण में 264 उम्‍मीदवारअसम में विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 47 सीटों के लिए मतदान हो रहा है। सुरक्षा बलों की कुल 300 कंपनियों को तैनात किया गया है। कुल 81,09,815 मतदाता पहले चरण में अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इनमें 40,77,210 पुरुष और 40,32,481 महिलाएं हैं, जबकि 124 थर्ड जेंडर मतदाता हैं, इसके अलावा नौ विदेशी मतदाता हैं। मतदान शाम छह बजे तक जारी रहेगा। ऊपरी असम के 12 जिलों और ब्रह्मपुत्र के उत्तरी तटीय जिलों में 11,537 मतदान केंद्रों पर मतदान हो रहा है। इस चरण में 23 महिलाओं सहित कुल 264 उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले ही चरण में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, मंत्रियों तथा कई विपक्षी नेताओं की राजनीतिक किस्मत का फैसला होगा। इन 47 सीटों में से अधिकांश पर सत्तारूढ़ भाजपा-अगप गठबंधन, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी महागठबंधन और नवगठित असम जातीय परिषद (एजेपी) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। (भाषा इनपुट्स सहित)

साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता कवयित्री अनामिका कहती हैं, कविता लिखना सूफियाना सिलसिला है

पिछले हफ्ते साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा हुई। इसमें हिंदी भाषा में सुप्रसिद्ध कवयित्री अनामिका को उनके काव्य संग्रह टोकरी में दिगंत : थेरीगाथा 2014 के लिए से सम्मानित किया गया है। मूलत: बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली अनामिका हिंदी में कविता संग्रह के लिए अकादमी पुरस्कार से सम्मानित होने वाली पहली कवयित्री हैं। अमितेश कुमार ने उनसे बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश : साहित्य अकादमी पुरस्कार मिलने पर आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी? मुझे लगा किसी ने मजाक किया है। लेकिन साहित्य अकादमी से फोन आया, तो लगा कि कुछ हुआ है। आश्चर्य हुआ, ये भी लगा कि हमारे साथ इतनी सारी स्त्रियां गांव-देहात की रहती हैं, उनकी आवाज कहीं पहुंची। हम एक ढनढनाता हुआ कुआं हैं, लेकिन हमारे भीतर कुछ आवाजें, कुछ परछाइयां रहती हैं। वे हमारे माध्यम से बोलती हैं, तो मुझे लगा कि इतने दिनों से एक दस्तक थी, कहीं सुनी गई। इस पुरस्कार को बहुत सारे लोगों ने इसलिए भी सेलिब्रेट किया क्योंकि एक स्त्री कवि या स्त्री कविता को पुरस्कार मिला? तो क्या कवि होना पर्याप्त नहीं है? देखिए कवि होना तो पर्याप्त है, लेकिन जिसकी आवाज कभी सुनी नहीं गई है, उसकी आवाज सुनी जाए तो यह एक नई घटना है ना! आज तक तो स्त्रियां ही सुनती रही हैं। हम एक जनतंत्र में रहते हैं, तो दोनों को एक-दूसरे को सुनना होगा। कोई भी बातचीत पूरी तो तभी होगी, जब हम थोड़ा आपसे कहेंगे या थोड़ा आपसे सुनेंगे। अगर खाली हम ही बोलेंगे या चाहे खाली आप ही बोलिएगा, तो वो भाषण, आदेश या संदेश तो हो सकता है, लेकिन वो बातचीत नहीं हो सकती है। हम तो एक बहुत साधारण स्त्री हैं, और हमारे मन में साधारण स्त्रियों की बात रहती है। ये पहली बार हुआ है कि सड़क की स्त्री, बस में चलने वाली स्त्री, गांव से आई स्त्री का आख्यान सामने आया है। आलोचकों का कहना है कि आपकी कविताओं में स्त्री को लेकर जितना अतीत मोह है उतना प्रतिरोध नहीं है... क्योंकि मैं बहुत साधारण स्त्री हूं, विशिष्ट नहीं हूं। जो साधारण स्त्री का संसार है, वही मेरा संसार है। अगर हम आपसे संवाद के लिए प्रस्तुत हैं तो मतलब है कि हमारे मन में कोई बात है। बिना प्रतिरोध के तो कोई संवाद करना नहीं चाहता है। मन मस्त हुआ तो क्या बोलें? तब तो चुप बैठेंगे। लेकिन प्रतिरोध का मतलब यह नहीं कि कोई आपको एक मुक्का मार रहा है, तो आप भी चार मुक्का मारिए। मेरी स्त्रियां साधारण हैं और वे संवाद के जरिए बदलाव चाहती हैं। पिछले दो-तीन साल में हिंदी के कई बड़े कवि चले गए। जिन्हें अस्सी के दशक के कवि कहा जाता रहा है। क्या अस्सी के दशक के कवियों का समय खत्म हो रहा है? नहीं-नहीं। किसी के भी यश की काया कभी नहीं जाती। जो वे लिख गए हैं, वे तो अक्षर हैं, अमर हैं, उनकी अनुगूंजें हमारे भीतर हमेशा टहलती रहेंगी। कविता लिखना तो एक सूफियाना सिलसिला है। वे जो लिख गए, उसकी मशाल हमने थामी। हमने जो थोड़ा-बहुत किया, उसकी मशाल आप थामेंगे। हिंदी समाज एक संयुक्त परिवार जैसा है, जिसमें चार-पांच पीढ़ियां एक साथ हमेशा कारगर रही हैं। हमारे समय में सोचते थे कि पचीस साल पर पीढ़ी बदलती है, लेकिन अब तो दस-दस साल पर पीढ़ियां, नजरिया और भाषा बदल जाती हैं। भाषा जैसे कभी खत्म नहीं होती, वैसे ही अनुगूंजें भी कभी खत्म नहीं होतीं। अक्षर तो अविनाशी है। एक पूरी पीढ़ी ऐसी गुजर गई, जिसे आलोचना की छांव मयस्सर नहीं हुई। रघुवीर सहाय के युग तक के कवियों का आलोचना ने मूल्यांकन किया, उस पर बहस भी हुई और वो सामाजिक बहस का हिस्सा भी बने। उसके बाद कवि अपना लिखते रहे और लोग सुनते रहे, मगर फ्रेंडली समीक्षाओं के अलावा इनको कसी हुई आलोचना नहीं मिली। रघुवीर सहाय के बाद कविता क्या सामाजिक विमर्श के परे चली गई है? आलोचकों की वह निगाह क्यों नहीं पड़ी, जैसी कि उनके वक्त पड़ती थी? इसका एक कारण यह हो सकता है कि अब उस तरह से लोक को समर्पित साहित्यिक जर्नल या अखबार नहीं रहे। एक यह भी कि चीजों का कैननाइजेशन होना चाहिए और यह काम प्रकाशकों और जर्नलों का होता है। लेकिन फंडिंग की कमी है। अखबारों में भी कविताएं छपनी बंद हो गईं। जो पत्रिकाएं हम अपनी जेब से पैसे लगाकर निकाल लेते थे, जिससे लोगों तक बात पहुंचती थी, आपस में भी बात करते थे, वह भी बंद हो गया। फिर इंटरनेट आ गया, जिसपर कोई लंबा नहीं लिख पाता। वहीं जो धनी हैं, उन्हें सरोकार से ज्यादा मनोरंजन का पक्ष समझ आता है। जिसे पालथी मारकर पढ़ना कहते हैं, वह मध्यवर्ग की विषय वस्तु है, पर वे भी अब रोजी-रोटी से जूझ रहे हैं। लेकिन जब ये नई पीढ़ी थिराएगी, तो उनके अंदर जो सरोकार जिंदा हैं, मन में जो नोट्स बने हुए हैं, वे फिर से गूंजेंगे। हालांकि अभी भी कुछ पत्र पत्रिकाएं हैं, जिन्होंने जिम्मेदारी संभाली हुई है, इतनी निराशा की बात नहीं है। फिर भी एक संस्थागत सपोर्ट नहीं है, जो हमें आपसदारी से ही ठीक करना होगा। आपसदारी की बात आपने की, मगर दिखता है कि आलोचना या समीक्षा से दूर हिंदी के साहित्यकार आपस में ही लड़ते रहते हैं.... मैं कभी कभी दुखी होती हूं तो सोचती हूं कि क्या तू-तू मैं-मैं लगा रखी है! इतने बुर्जुग लोग, सबके बाल भी पक गए, फिर भी तू-तू मैं-मैं। कोई आपसदारी नहीं, कोई सहकारिता नहीं। कुछ भी हो रहा हो, मगर हम एक ही समाज में एक ही टेक्स्ट जेनरेट कर रहे हैं, बस हम अलग-अलग सिरों से लिख रहे हैं। बचपन में हम चादर काढ़ने बैठते थे तो चार कोनों पर हम चार लोग बैठते थे और काम पूरा कर देते थे। अब अगर कोई एक खूंटा खींचकर कहे कि हमारा ही कोना सबसे अच्छा है, तो जान लीजिए कि बेहतरीन परिणाम सामूहिक श्रम से होता है, स्पर्धा से नहीं। वहीं आज साहित्यकार का समाज और खुद उसके अपने घर में ही अनादर है। अपने ही घर में बाल-बच्चे सोचते हैं कि ये तो किसी काम का नहीं है, दिन भर कागज काले करता रहता है।

ले बलईया..आरजेडी वाले ही बोलने लगे तेजस्वी यादव मुर्दाबाद, बीजेपी नेता निखिल मंडल ने VIDEO शेयर कर किया पलटवार


बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी लगातार सत्ताधारी एनडीए सरकार को घेरने का कोई मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती। इसी बीच सोशल मीडिया पर आरजेडी के प्रदर्शन का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें आरजेडी कार्यकर्ता नारेबाजी कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात ये है कि एक मौका ऐसा जब आरजेडी के ही एक कार्यकर्ता अचानक तेजस्वी यादव मुर्दाबाद के नारे लगाने लगते हैं। इस वीडियो को बीजेपी नेता निखिल मंडल ने फेसबुक पर शेयर किया है।

आरजेडी के प्रदर्शन में अचानक अजीब स्थिति हो गई जब प्रदर्शन के दौरान तेजस्वी यादव मुर्दाबाद के नारे लगे। इस पर बीजेपी नेता निखिल मंडल ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि 'जब भाड़े के लोगों से पार्टी का झंडा उठवाईएगा और जिंदाबाद करवाएंगे तो तेजस्वी भाई ऐसा ही होगा। अगली बार थोड़ा अधिक पैसा देकर लोगों को बुलाइएगा वरना गाना गाते रहिएगा।'


via WORLD NEWS

Modi’s Visit to Bangladesh Sets Off Violent Protests


World New York TimesBy BY THE ASSOCIATED PRESS Via NYT To WORLD NEWS

Corrections: March 27, 2021


Corrections New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

More vaccine production sites have been approved in the E.U. to aid with recent vaccine shortfalls.


World New York TimesBy BY ISABELLA GRULLÓN PAZ Via NYT To WORLD NEWS

ब्लॉगः क्यों न कोलकाता बने देश की राजधानी

हमने इसे शास्त्रसम्मत जैसा मान लिया है कि दिल्ली ही देश की राजधानी हो सकती है। इतने बड़े देश में एक ही शहर को लगातार राजधानी होने का आभिजात्य सुख मिले, यह भी क्या कोई बहुत ठीक बात है? ऐतिहासिक और विश्वप्रसिद्ध तथ्य है कि ब्रिटिश काल में 1911 तक कोलकाता भारत की राजधानी रहा। देश का शायद ही कोई और शहर होगा जिसमें जन्मे या कभी न कभी निवास कर चुके इतने सारे ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी, ऑस्कर और नोबेल पुरस्कार विजेता हों। टैगोर से मदर टेरेसा तक, अमर्त्य सेन से अभिजीत बनर्जी तक, आशापूर्णा देवी और महाश्वेता देवी से लेकर ऋत्विक घटक और सत्यजीत रे तक। यह कोई छोटी बात है?

No Small Favor


Crosswords & Games New York TimesBy BY CAITLIN LOVINGER Via NYT To WORLD NEWS

Advocates are pushing for D.C. statehood to be included in a broader voting rights bill.


U.S. New York TimesBy BY CARL HULSE Via NYT To WORLD NEWS

Stop the Executions, President Biden


Opinion New York TimesBy BY THE EDITORIAL BOARD Via NYT To WORLD NEWS

Georgia Law Kicks Off Partisan Battle Over Voting Rights


U.S. New York TimesBy BY NICK CORASANITI AND REID J. EPSTEIN Via NYT To WORLD NEWS

Analysis: Biden reveals how he views the threat from China.


U.S. New York TimesBy BY DAVID E. SANGER Via NYT To WORLD NEWS

How to Protect Massage Workers


Opinion New York TimesBy BY ELENA SHIH Via NYT To WORLD NEWS

After the Tornadoes, Small Towns Grieve for Lost Lives and Wrecked Homes


U.S. New York TimesBy BY EDDIE BURKHALTER, RICHARD FAUSSET, RICK ROJAS AND JESUS JIMÉNEZ Via NYT To WORLD NEWS

What to Watch: Philip K. Dick on Film


Movies New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS