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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Saturday, April 10, 2021

बंगाली उपराष्ट्रवाद का अभेद्द किला, दुर्गा उपासक राम और जय श्रीराम का शस्त्र

कल सिल्लीगुड़ी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण शुरू किया तो उद्घोष वही पुराना था - भारत माता की जय। देश को एक माले में पिरोने के इस सूत्र के अलावा आज नंदीग्राम, सिंगूर समेत पश्चिम बंगाल में भगवा झंडे के साथ जय श्रीराम का घोष सुनाई दे रहा है। राममय बंगाल के पीछे सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना में बदलाव है। ये भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अथक प्रयासों से सामने आया है। राम कभी भी एक बंगाली हिंदू की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चेतना में शीर्ष पुरुष नहीं रहे। चैतन्य महाप्रभु के वैष्णव बंगाल की विरासत और शक्ति की पूजा में राम का स्थान सर्वोच्च नहीं रहा। चैतन्य महाप्रभु को कृष्ण का अवतार भी माना जाता है। कृत्तिबासी ओझा ने श्रीराम पांचाली में लिखा कि भगवान राम ने रावण को हराने के लिए दुर्गा की अराधना की थी। कृत्तिबासी रामायण को वाल्मीकि रामायण का अनुवाद माना जाता है। अब आप शायद समझ पाएं कि ममता बनर्जी जय श्रीराम से क्यों चिढ़ती हैं और सार्वजनिक मंच से कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे क्यों बोलती हैं। ये भी कि मंदिर आंदोलन के दौरान भी पश्चिम बंगाल में बीजेपी की लहर क्यों नहीं आई। ममता बनर्जी को पता है कि राम के सहारे बीजेपी पर वार नहीं हो सकता। उधर बीजेपी को पता है कि अगर एक बार जय श्रीराम का प्रवेश बंगाली हिंदुओं की आध्यात्मिक चेतना में हो गया तो राजनैतिक सफलता हासिल करना आसान है। और ये होता दिखाई दे रहा है।

1866 में बांग्ला में एक किताब प्रकाशित हुई उनाबिंग्सबो पुराण। इसमें पहली बार भारत माता का जिक्र किया गया। फिर 1870 के दशक में बंकिम चंद्र चटर्जी ने वंदे मातरम की रचना की। 1892 में गुरुदास चटर्जी ने किताब लिखी जिसका नाम हीं हिंदुत्व था। यानी जनसंघ से काफी पहले बंगाल में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की अलख जगाने का काम हो चुका था। इसके बावजूद श्यामा प्रसाद मुखर्जी और उनके उत्तराधिकारी हिंदू राष्ट्रवाद को पश्चिम बंगाल में राजनीतिक सफलता का हथियार नहीं बना सके।


West Bengal Assembly Election : बंगाली उपराष्ट्रवाद का अभेद्द किला, दुर्गा उपासक राम और जय श्रीराम का शस्त्र

कल सिल्लीगुड़ी में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण शुरू किया तो उद्घोष वही पुराना था - भारत माता की जय। देश को एक माले में पिरोने के इस सूत्र के अलावा आज नंदीग्राम, सिंगूर समेत पश्चिम बंगाल में भगवा झंडे के साथ जय श्रीराम का घोष सुनाई दे रहा है। राममय बंगाल के पीछे सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना में बदलाव है। ये भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के अथक प्रयासों से सामने आया है। राम कभी भी एक बंगाली हिंदू की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक चेतना में शीर्ष पुरुष नहीं रहे। चैतन्य महाप्रभु के वैष्णव बंगाल की विरासत और शक्ति की पूजा में राम का स्थान सर्वोच्च नहीं रहा। चैतन्य महाप्रभु को कृष्ण का अवतार भी माना जाता है। कृत्तिबासी ओझा ने श्रीराम पांचाली में लिखा कि भगवान राम ने रावण को हराने के लिए दुर्गा की अराधना की थी। कृत्तिबासी रामायण को वाल्मीकि रामायण का अनुवाद माना जाता है।

अब आप शायद समझ पाएं कि ममता बनर्जी जय श्रीराम से क्यों चिढ़ती हैं और सार्वजनिक मंच से कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे क्यों बोलती हैं। ये भी कि मंदिर आंदोलन के दौरान भी पश्चिम बंगाल में बीजेपी की लहर क्यों नहीं आई। ममता बनर्जी को पता है कि राम के सहारे बीजेपी पर वार नहीं हो सकता। उधर बीजेपी को पता है कि अगर एक बार जय श्रीराम का प्रवेश बंगाली हिंदुओं की आध्यात्मिक चेतना में हो गया तो राजनैतिक सफलता हासिल करना आसान है। और ये होता दिखाई दे रहा है।



​रामनवमी पर जय श्रीराम
​रामनवमी पर जय श्रीराम

तारीख, 5 अप्रैल, 2017। दिलीप घोष की अगुआई में बीजेपी स्टेट यूनिट ने तय किया कि इस बार की रामनवमी अलग होगी। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल के लोग सामने आए। रामनवमी पर राम, लक्ष्मण और सीता की झांकियां निकाली गईं। इस दौरान हाथों में तलवार, त्रिशूल लिए लोग जय श्रीराम और रामलला की जय के नारे लगा रहे थे। पश्चिम बंगाल पहली बार रामनवमी के त्यौहार को इस रूप में देख रहा था। दिलीप घोष खुद खड़गपुर में इस कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हतप्रभ थीं। उन्हें इसका अंदाजा ही नहीं था कि बीजेपी रामनवमी को इस तरह भुना लेगी। बीरभूम और पुरुलिया में तो स्कूली बच्चे तलवार के साथ झांकियों में हिस्सा लेते देखे गए। शाम को ममता ने बीजेपी पर रामनमवी के राजनीतिकरण का आरोप लगाया। उन्होंने कहा इस तरह के कार्यक्रम की पुलिस से अनुमित नहीं ली गई थी।



​रामजादा बनाम हरामजादा
​रामजादा बनाम हरामजादा

बीजेपी के फायरब्रांड नेता दिलीप घोष ने ममता बनर्जी को खुली चुनौती दी- राम पूरी दुनिया के हैं। वो सृष्टि के रचनाकार हैं। हम इसमें विश्वास रखते हैं। जो लोग राम से डरते हैं उनके लिए भगवान राम नहीं हैं। रामजादा और हरामजादा (इसका मतलब आपको बताने की जरूरत नहीं है) के बीच यहां लड़ाई लड़ी जा रही है.. ये परीक्षा घड़ी है... ये देखने का कि कौन राम के साथ हैं और कौन खिलाफ। बीजेपी ने राम को दुर्गा पूजा से कनेक्ट किया। रामनवमी में ही दिलीप घोष ने इसका ऐलान कर दिया... विजयादशमी में त्रिशूल बांटने की योजना बनाई गई। इसने बंगाल में नया विवाद पैदा कर दिया। अब तक यहां की दुर्गा पूजा में शस्त्रपूजन का महत्व गौण था। गुस्से से बौखलाई ममता बनर्जी ने सचिवालय में पत्रकारों से कहा कि बीजेपी और संघ आग से खेलने का काम न करे, ये सब बाहर से आएंगे और हमारे त्यौहार को बर्बाद करेंगे।



​जय श्रीराम बनाम जॉय बांग्ला
​जय श्रीराम बनाम जॉय बांग्ला

ममता बनर्जी और बीजेपी की आक्रामकता से परेशान लोगों ने ये जताने की कोशिश कर दी कि उत्तर भारतीय लिबरल बंगालियों पर सांस्कृतिक प्रभुत्व स्थापित करने का षडयंत्र रच रहे हैं। उन्होंने जॉय बांग्ला का नारा दिया। ये नारा 1970-71 में बांग्लादेश युद्ध के समय का था। इसे सेक्युलर करार देते हुए जय श्रीराम के खिलाफ आगे किया गया। यही नहीं जॉय मां काली को भी जय श्रीराम की काट के तौर पर इस्तेमाल किया गया। सोशल मीडिया पर राम को लेकर पहली बार पूरे पश्चिम बंगाल में बहस छिड़ गई। भगवा खेमा मुस्कुरा रहा था। रणनीति काम कर रही थी।



​बांग्ला उपराष्ट्रवाद के अभेद्द किले में सेंध
​बांग्ला उपराष्ट्रवाद के अभेद्द किले में सेंध

बिहार के लोगों में आप कोई क्षेत्रीय राष्ट्रीयता का पुट नहीं पाएंगे। वो मराठा या बंगाली की तरह बिहारी नहीं कहलाना चाहता। उसके लिए भारतीयता ज्यादा अहम है। मतलब राष्ट्रवाद एकल है। पर ये बात बंगाल में कालांतर से नहीं रही। सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विशिष्टता से ओत-प्रोत बंगाली उपराष्ट्रवाद एक ऐसा अभेद्द किला था जिसमें बीजेपी - संघ का पॉलिटिकल हिंतुत्व सेंध नहीं लगा पाया था। ये बंगाल में कितना प्रभावी था, इसे देशबंधु की कलम से समझिए। चित्तरंजन दास ने 1921 में कहा था - बंगालियों की भाषाई एकता उन्हें विभाजित करने वाली किसी भी चीज से बहुत बड़ी है, हिंदू, मुसलमान या ईसाई.. वो बंगाली पहले है। उसका चरित्र अलग है। बंगाली वास्तव में एक विशिष्ट राष्ट्रीयता है। अलग बांग्लादेश के समय भी ये भावना उभर कर सामने आई जब नजरुल इस्लाम, फजलुल हक और सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई शरत चंद्र बोस ने पूर्वी पाकिस्तान से बेहतर हिंदुओं और मुसलमानों को मिलाकर बांग्लाभाषियों की एक अलग देश बनाने की मांग कर दी थी।



​बीजेपी का पॉलिटिकल गेमप्लान
​बीजेपी का पॉलिटिकल गेमप्लान

बीजेपी को पता था कि बंगाली हिंदुओं के बीच पैठ बनाने की कोशिश करते ही क्षेत्रीय उपराष्ट्रवाद की दीवार और चौड़ी होगी। स्निगधेंदु भट्टाचार्य ने अपनी किताब मिशन बंगाल में बताया है कि 216 में ही बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने इसकी चेतावनी दे दी थी.. हिंदुत्व की धार को कुंद करने के लिए ममता बंगाली अस्मिता को सामने लाएगी। इसके लिए पार्टी ने सख्त फैसले किए। रीतेश तिवारी, राजकमल पाठक और प्रभाकर तिवारी जैसे हिंदीभाषी नेताओं को पर्दे के पीछे किया गया। संघ ने प्रणब मुखर्जी के सहारे बंगाली सेंटीमेंट को साधने की कोशिश की। 2017 की दुर्गा पूजा में मुखर्जी के घर अद्वैत चरण दत्त के साथ संघ से जुड़े चार वरिष्ठ स्वयंसेवक पहुंचे। इसी के बाद अगले ही साल प्रणब दा नागपुर में संघ के कार्यक्रम में चीफ गेस्ट बने थे जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई ।



​काली-कृष्ण-शिव के साथ राम की चर्चा
​काली-कृष्ण-शिव के साथ राम की चर्चा

2017 में रामनवमी एक ऐसा पड़ाव था जब पश्चिम बंगाल में हिंदुओं का अध्यात्मिक बोध निजता के दायरे से बाहर निकला। काली-कृष्ण-शिव की धरती बताकर ममता बंगाली अस्मिता की आड़ में जिस अभेद्द किले का बचाव कर रही थी उसे रामबाण ने भेद दिया। भारतीय राष्ट्रवाद के आगे किसी तरह के क्षेत्रीय उपराष्ट्रवाद को रोकने की रणनीति सफल होने लगी थी। संघ और बीजेपी ने काउंटर अटैक करते हुए ये बताया कि उनका भारतीय राष्ट्रवाद बंगाल में ही जन्मा है और दोनों अलग नहीं हैं। इसके लिए बंकिम चंद्र से लेकर सिस्टर निवेदिता का जिक्र किया गया जो भारत माता की तस्वीर लेकर पूरे देश में घूमी थीं। इधर दिल्ली स्थित श्यामा प्रसाद रिसर्च फाउंडेशन ने भारतीय राष्ट्रवाद को बंगाली क्षेत्रीय राष्ट्रवाद को एक ही बताने के लिए लगातार कई आयोजन किए। इससे जुड़े अनिर्बान गांगुली इस चुनाव में बोलपुर से किस्मत आजमा रहे हैं।



बड़े-बड़े गेट, आलीशान पोर्च और अंडरग्राउंड ट्रांजिट... सेंट्रल विस्‍टा में यूं बदला-बदला दिखेगा राजपथ

नई दिल्‍ली राजपथ के दोनों तरफ बनने वाली नई इमारतें भव्‍य और एक जैसी नजर आएंगी। ऐसी तीन इमारतों के लिए अगले हफ्ते टेंडर जारी किया जाएगा। करीब 3,200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली ये इमारतें IGNCA वाले प्‍लॉट पर बनेंगी। सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) को दिल्ली शहरी कला आयोग (DUAC) और विरासत संरक्षण समिति (HCC) से हरी झंडी मिल चुकी है। टाइम्‍स ऑफ इंडिया के अनुसार, इन इमारतों में बड़े एंट्री और एग्जिट गेट होंगे। पोर्च लंबा-चौड़ा और आलीशान होगा कि एक वक्‍त में दर्जन भर से ज्‍यादा कारें खड़ी हो पाएं। सरकार ने इन इमारतों के नाम तय नहीं किए हैं मगर इन्‍हें एक सामान्‍य (CCS) के तहत रखा जाएगा। हर इमारत का अपना नाम होगा। बनेगी अंडरग्रांडर ट्रांजिट फैसिलिटीएक सूत्र ने कहा, "पहले से मौजूद कार्यालय परिसरों में कितने लोग और गाड़‍ियां आ-जा सकते हैं, इसपर एक स्‍टडी की गई है। भविष्‍य में बनने वाली इमारतों के एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स में इन जरूरतों का ध्‍यान रखा जाएगा।" उन्‍होंने कहा कि इन ऑफिस बिल्डिंग्‍स तक पहुंचने के लिए अभी 40% लोग मेट्रो का इस्‍तेमाल करते हैं। अनुमान है कि यह बढ़कर 50% तक हो सकता है। ऐसे में ऑफिस जाने वालों के लिए एक अंडरग्राउंड ट्रांजिट फैसिलिटी का भी प्‍लान बनाया गया है। यह राजपथ पर पड़ने वाली सभी इमारतों को जोड़ेगा। एक सूत्र ने कहा, "बेसमेंट्स के जरिए इमारतों में दाखिल होने से पहले, ऑफिस जाने वालों की पहचान चेक करने और उनकी तलाशी लेने के लिए पर्याप्‍त सुरक्षा इंतजाम होंगे।" ऑफिस स्‍पेस ऐसा होगा कि आधुनिक और आईटी की जरूरतों को पूरा कर सके। सभी ऑफिसेज में वर्कस्‍टेशंस को एक जैसा बनाया जाएगा। जैसे अभी संयुक्‍त सचिवों के कमरे अलग-अगल डिजाइन व आकार के होते हैं, उन्‍हें एक जैसा बना दिया जाएगा। एक अन्‍य अधिकारी ने कहा, "ऐसे ऑफिस स्‍पेस को तैयार करने का मकसद जरूरी सुविधाएं मुहैया कराकर कर्मचारियों की दक्षता को बढ़ावा है। एक जगह होंगे सारे केंद्रीय मंत्रालयCCS में योग, जिम, क्रेश, फार्मेसी और फर्स्‍ट-एड सेंटर भी होगा। सरकार ने राजपथ आने वाले सभी राउंडअबाउट्स और सड़कों की जियोमीट्रिक्‍स सुधारने का प्‍लान बनाया है ताकि भविष्‍य में ट्रैफिक की डिमांड से निपटा जा सके। अभी सेंटल विस्‍टा पर 30 मंत्रालय मौजूद हैं जबकि करीब 27 मंत्रालयों के ऑफिस बाहर हैं। सरकार का प्‍लान है कि सभी मंत्रालयों को एक लोकेशन पर ले आया जाए।

Katihar News : सीतामढ़ी, किशनगंज और अब कटिहार... पुलिस टीम पर हमले का ये वीडियो आपको थर्रा देगा


श्याम कुमार, कटिहार: सीतामढ़ी में दारोगा की हत्या फिर किशनगंज के दारोगा की पश्चिम बंगाल में हत्या और अब कटिहार का ये वीडियो। ये साफ दिखाता है कि सीतामढ़ी की तरह ही कटिहार में भी शराब माफिया पुलिस क्या, कानून को ही कुछ नहीं समझते। शुक्रवार को शराब माफिया को पकड़ने के लिए गई कटिहार के बारसोई थाने की पुलिस टीम पर हमला बोल दिया गया। आप इस वीडियो में देख सकते थे हैं कि रघुनाथपुर इलाके में माफिया ने महिलाओं की आड़ लेकर कैसे पुलिस टीम पर हमला बोल दिया। दारोगा को भीड़ ने बाकी टीम से अलग करके घेर लिया और ऑन ड्यूटी पुलिस ऑफिसर को जमकर पीटा। इस टीम में महिला पुलिसकर्मी भी थीं और उनके साथ भी मारपीट की गई। इस दौरान पुलिस के कब्जे में आए शराबियों को भी छुड़ा लिया गया। पुलिस ने पूरे मामले में केस दर्ज करते हुए 17 नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। जबकि एक महिला और एक पुरुष को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।


via WORLD NEWS

कोरोना से मौत, शिवराज सरकार छिपा रही है आंकड़े? बीजेपी विधायक ने CM के सामने ही उठाए सवाल


जबलपुर
कोरोना की स्थिति को देखते हुए सीएम शिवराज सिंह चौहान हर हिन रिव्यू मीटिंग करते हैं। शनिवार को सीएम सभी जिलों के क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के साथ वर्चुअल मीटिंग कर रहे थे। इस दौरान बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई ने सरकारी आंकड़ों पर ही सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि मरीजों और मृतकों की सही संख्या सामने नहीं आ रही है। सरकारी आंकड़ों से कई गुना अधिक शव श्मशान घाटों पर पहुंच रहे हैं।

कोरोना के नाश के लिए एयरपोर्ट पर बैठकर देवी अहिल्या की पूजा करने लगीं शिवराज की मंत्री


अजय विश्नोई ने कहा कि हम क्राइसिस मैनेजमेंट करना चाहते हैं, उसके लिए क्राइसिस की साइज को भी समझ लें, प्रजेंटेशन में नंबर आ रहे हैं, उससे मैं इत्तेफाक नहीं रखता हूं, जो एफेक्टेड लोगों के नंबर आ रहे हैं, वो आरटीपीसीआर टेस्ट के नंबरों पर आधारित हैं। अधिकांश अस्पतालों में आरटीपीसीआर की व्यवस्था नहीं है। आरटीपीसीआर की रिपोर्ट आने में दो से तीन दिन लग जाते हैं। वो सीधे रैपिड एंटीजन टेस्ट करता है। निजी अस्पतालों में इस तरह से कोरोना का टेस्ट किया जा रहा है।

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उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों का रेकॉर्ड शासकीय रेकॉर्ड से मेल नहीं खा रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी रिपोर्ट में कोरोना से मरने वालों की संख्या कम बताई जा रही है। कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद जिन श्मशान घाटों में उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा है, वहां पर उनकी संख्या ज्यादा है। आम नागरिकों के सामने अगर सच सामने लाएंगे तो लोग कोरोना संक्रमण से डरेंगे और सावधानियां बरतेंगे।


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He Sought Refuge in Online Poker: ‘This Is Never About the Cards’


Sports New York TimesBy BY SOPAN DEB Via NYT To WORLD NEWS

The Nets Could Have Had It All With Dr. J


Sports New York TimesBy BY HARVEY ARATON Via NYT To WORLD NEWS

Don’t Take Your Head Out of the Clouds!


At Home New York TimesBy BY REBECCA RENNER Via NYT To WORLD NEWS

Review Your Social Media Etiquette


At Home New York TimesBy BY COURTNEY RUBIN Via NYT To WORLD NEWS

Schedule an Appointment With Those Clothes You Haven’t Worn in a Year


At Home New York TimesBy BY JESSICA TESTA Via NYT To WORLD NEWS

Quotation of the Day: For This Surge, Whitmer Takes Hands-Off Tack


Today’s Paper New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

Corrections: April 11, 2021


Corrections New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

Take a Flying Leap, but Bring Your Paper Parachute


At Home New York TimesBy BY GODWYN MORRIS AND PAULA FRISCH Via NYT To WORLD NEWS

मुंबई में कोरोना से हाहाकार, अस्पतालों में ICU-वेंटिलेटर बेड की भारी किल्लत

मुंबई मुंबई में कोरोना मरीजों की तेजी से बढ़ती संख्या के कारण अस्पतालों में बेड को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है। हालांकि, प्रशासन अस्पतालों में बेड की कमी की बात से इनकार कर रहा है, लेकिन बीएमसी के ही डैश बोर्ड के आंकड़े गंभीर मरीजों के लिए सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के आईसीयू और वेंटिलेटर बेड की किल्लत की ओर इशारा करते हैं। डैश बोर्ड के मुताबिक, मुंबई के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में कुल मिलाकर आईसीयू में 87 बेड और वेंटिलेटर के 30 बेड खाली हैं। बीएमसी डैश बोर्ड के मुताबिक डीसीएच, डीसीएचसी और सीसीसी-2 केंद्र में 24,873 बेड उपलब्ध कराए गए थे, जिसमें से 5114 बेड खाली हैं। महालक्ष्मी का जंबो सेंटर फिर से होगा ऐक्टिवेट बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने बताया कि डीऐक्टिवेट हुए महालक्ष्मी के जंबो सेंटर को फिर से ऐक्टिवेट किया जा रहा है। 2 दिन में आईसीयू के 100 बेड और बढ़ाए जाएंगे। पोद्दार अस्पताल में 193 बेड कोरोना मरीजों के लिए शुरू किए जा रहे हैं। वरली नेहरू साइंस सेंटर में 150 बेड का कोविड अस्पताल फिर से शुरू किया जा रहा है। मुंबई में कोरोना के 9327 नए मरीज मुंबई में कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या की बीच मौत की संख्या भी बढ़ रही है। मुंबई में शनिवार को कोरोना के 9327 नए मरीज मिले है और 50 लोगों की मौत हुई है। इसके पहले 24 अक्टूबर को मुंबई में 50 लोगों की मौत हुई थी और उस समय मरीजों की संख्या 1257 थी। बीते 24 घंटे में मुंबई में 48749 लोगों का कोरोना का टेस्ट हुआ है, जिसमें 19 फीसद लोग कोरोना संक्रमित पाए गए। इसके साथ ही राज्य में कोरोना के 55,411 नए मरीज मिले हैं और 309 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। देश में पहली बार 1,45,384 नए मामले देश में कोरोना वायरस के 1,45,384 नए मामले आए हैं। चार दिनों से लगातार कोरोना के एक लाख से ज्यादा केस आ रहे हैं। देश में पहली बार ऐक्टिव केस 10,46,631 तक पहुंचे हैं। पिछले साल सितंबर पीक में ऐक्टिव केस सवा 10 लाख तक रिपोर्ट किए गए थे। उसके बाद से लगातार कम होने लगे। 24 घंटे में 1,45,384 नए केस के साथ 77,567 लोग रिकवर हुए हैं और 794 लोगों की मौत हुई है। अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस जैसे देशों में अब भारत से कम केस आ रहे हैं। महाराष्ट्र में रोजाना 50 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं।

Chloé Zhao Becomes Second Woman to Win Top Directors Guild Award


Movies New York TimesBy BY KYLE BUCHANAN Via NYT To WORLD NEWS

Hideki Matsuyama Charges Into the Lead at the Masters


Sports New York TimesBy BY BILL PENNINGTON Via NYT To WORLD NEWS

Maryland Passes Sweeping Police Reform Legislation


U.S. New York TimesBy BY MICHAEL LEVENSON AND BRYAN PIETSCH Via NYT To WORLD NEWS

Alex Rodriguez Near Deal to Purchase the Minnesota Timberwolves


Sports New York TimesBy BY MARC STEIN Via NYT To WORLD NEWS

'जुर्म का पता नहीं, फिर भी मैडम के कहने पर पुलिस ने हथकड़ी डाल थाने में बैठा दिया'


छतरपुर
एमपी के छतरपुर जिले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। वायरल वीडियो में एक जन औषधि केंद्र संचालक को पुलिस ने हथकड़ी पहनाकर थाने में बैठा दिया है। बताया जा रहा है कि छतरपुर की नायब तहसीलदार अंजू लोधी ने जन औषधि केंद्र के संचालक अभय गुप्ता पर अपना व्यक्तिगत गुस्सा निकालते हुए उन्हें हथकड़ी लगवाकर थाने में बैठवा दिया। अभय गुप्ता का दोष इतना था कि वह अपना मेडिकल स्टोर बंद कर घर लौट रहे थे।


ग्वालियर में नहीं बढ़ेगा लॉकडाउन, सीएम के साथ बैठक में बाजारों को शाम छह बजे बंद करने पर सहमति

जानकारी अनुसार छतरपुर शहर के सागर रोड पर अभय गुप्ता प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र संचालित करते हैं। नौ अप्रैल शुक्रवार से मप्र के सभी नगरीय क्षेत्र में 60 घंटे का लॉकडाउन घोषित है, जिसमें आवश्यक सेवाओं को छूट दी गई है। शुक्रवार की रात करीब 8 बजे अभय गुप्ता अपना मेडिकल स्टोर बंद कर घर लौट रहे थे। तभी छत्रसाल चौराहे पर नायब तहसीलदार अंजू लोधी ने उन्हें पकड़ लिया। अभय गुप्ता मास्क भी लगाए थे और उन्होंने मैडम लोधी को बताया कि वह मेडिकल स्टोर बंद कर घर जा रहे हैं, लेकिन मैडम उससे आई कार्ड मांगती रहीं। मैडम लोधी, पुलिस फोर्स के साथ अभय गुप्ता कि बहस हुई, जिससे मैडम को इतना गुस्सा आ गया कि उन्होंने अभय गुप्ता को कोतवाली में बंद करवा हथकड़ी लगवा दी।

MP News: दो लोगों के विवाद में उलझी दो जिलों की पुलिस- कौन आरोपी और कौन पीड़ित, पता नहीं

कानूनी जानकारों के अनुसार देश के प्रधानमंत्री की योजना के तहत मेडिकल स्टोर संचालित करने वाला अपराधी नहीं हो सकता। अभय गुप्ता पर धारा 151 की कार्यवाही भी विधि के विरुद्ध की गई। जानकारों के अनुसार धारा 151 मात्र प्रतिबंधात्मक कार्रवाई है, जिसमें सजा का प्रावधान नहीं है। इन हालात में उसे हथकड़ी लगाना बेहद संवेंदनशील मामला है। सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन है।


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Mother in Custody After 3 Children Are Found Dead, Police Say


U.S. New York TimesBy BY BRYAN PIETSCH Via NYT To WORLD NEWS

Virus Fader


Briefing New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

A Hole in One Pushes Corey Conners Up the Masters Leaderboard


Sports New York TimesBy BY ALAN BLINDER Via NYT To WORLD NEWS

Prisoners have contracted the coronavirus at rates three times as high as others in the U.S.


World New York TimesBy BY EDDIE BURKHALTER, IZZY COLÓN, BRENDON DERR, LAZARO GAMIO, REBECCA GRIESBACH, ANN HINGA KLEIN, DANYA ISSAWI, K.B. MENSAH, DEREK M. NORMAN, SAVANNAH REDL, CHLOE REYNOLDS, EMILY SCHWING, LIBBY SELINE, RACHEL SHERMAN, MAURA TURCOTTE AND TIMOTHY WILLIAMS Via NYT To WORLD NEWS

Mets and Yankees are Both Shut Out in Frustrating Losses


Sports New York TimesBy BY THE ASSOCIATED PRESS Via NYT To WORLD NEWS

देश में OBC कितने? नीतीश-अखिलेश बेचैन, पर जनगणना में यह राज नहीं खोलेगी सरकार

नई दिल्ली लंबे वक्त से उठ रही अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की आबादी की गिनती की मांग जल्द पूरी होती नहीं दिख रही है। सूत्रों की मानें तो इस साल की जनगणना में भी ओबीसी जातियों की आबादी की गिनती की उम्मीद लगभग खत्म हो गई है। सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में पहले ही फैसला ले लिया गया था और निकट भविष्य में सरकार की ओर से फैसले में बदलाव की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। सपा, आरजेडी, एनसीपी जैसी विपक्षी पार्टियां तो पिछले कुछ वक्त से की मांग कर ही रहीं हैं, सत्ताधारी बीजेपी के बड़ी सहयोगी जेडीयू भी इसके पक्ष में है। केंद्र ने की मांग को ठुकराया हाल ही में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर एसएसी-एसटी और अल्पसंख्यकों की तर्ज पर जातीय जनगणना की मांग की थी। केंद्र से ओबीसी जनगणना की मांग पिछले महीने हुई राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की बैठक के बाद की गई है। इस बैठक में राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी समाज से आने वाले लोगों की गिनती की मांग वाली सुप्रीम कोर्ट की याचिका पर चर्चा हुई। बैठक में पैनल ने फैसला किया कि सरकार को सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी जनगणना से जुड़ी याचिका का समर्थन करना चाहिए, इसके बाद आयोग की ओर से समाजिक न्याय मंत्रालय को पत्र लिखा गया। सूत्र बता रहे हैं कि संभव है कि आयोग ने सीधे देश में जनगणना की जिम्मेदारी संभालने वाले 'रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया' को चिट्ठी लिखी हो। आखिरी बार साल 1931 में हुई थी ऐसी जनगणना अगर कोरोना महामारी की वजह से पिछले साल चीजें प्रभावित नहीं होतीं तो अब तक हाउस लिस्टिंग का काम पूरा हो गया होता। हालांकि जनगणना की प्रक्रिया में देरी ने ओबीसी गणना का मांग करने वालों को थोड़ा और वक्त दे दिया है। गौरतलब है कि ओबीसी समाज की संख्या पता लगाने के लिए आखिरी बार ऐसी जनगणना 1931 में हुई थी, लेकिन साल 2018 में तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 2021 में ओबीसी जनगणना की बात कही थी। हालांकि मोदी सरकार को दूसरा कार्यकाल शुरू होने के बाद से केंद्र इस जनगणना को लेकर पलट गया। विपक्षी पार्टियां लंबे वक्त से कर रहीं जाति आधारित जनगणना की मांग आपको बता दें कि विपक्षी पार्टियां जैसे आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव, अखिलेश यादव समेत बीजेपी के कई नेता भी ओबीसी जनगणना की मांग पिथले कुछ वक्त से कर रहे हैं। लालू प्रसाद यादव अकसर और पीएम नरेंद्र मोदी पर जानबूझकर जाति आधारित जनगणना रोकने का आरोप लगाते रहते हैं। सपा नेता अखिलेश यादव भी लगातार जाति आधारित जनगणना की मांग करते रहें हैं। महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने भी केंद्र से जातिगत जनगणना की मांग की है, पिछे साल विधानसभा में इससे संबंधित प्रस्ताव भी पारित किया जा चुका है। बीजेपी के 'अपने' भी कर चुके हैं मांग ऐसा नहीं है कि केवल विपक्षी पार्टियां ही जाति ओबीसी जातियों की जनसंख्या पता करने की मांग कर रही हैं, बीजेपी की सहयोगी जेडीयू के नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी हाल ही में जाति आधारित की जनगणना की मांग उठाई थी। नीतीश का तर्क है कि जातियों की जनसंख्या का सही आंकड़ा पता चलने पर सरकार को उसी अनुसार योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। बीजेपी के कुछ नेता भी ओबीसी जनगणना की मांग कर चुके हैं, पिछले साल सांसद गणेश सिंह ने लोकसभा में ओबीसी जनगणना की मांग की थी। आखिर क्यों जाति आधारित जनगणना पर जोर दे रहा है विपक्ष जेडीयू, आरजेडी, समाजवादी पार्टी जैसी क्षेत्रीय पार्टियों की जोरशोर से जाति आधारित जनगणना की मांग की वजह समझने के लिए आपको इन पार्टियो की राजनीति को समझना होगा। चाहे नीतीश हो, लालू हों या अखिलेश ये सभी नेता पिछड़े समाज से आते हैं और पिछड़ी जातियों की राजनीति करते हैं। इन पार्टियों का मानना है कि देश में ओबीसी की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है, जबकि इस वर्ग को इस हिसाब से शिक्षा, रोजगार और अन्य संसाधानों में हिस्सेदारी नहीं मिली है। इसलिए जाति आधारित जनगणना कराई जानी चाहिए, जिससे कि आबादी के अनुपात में सबको प्रतिनिधित्व मिल सके।

यूपी में कोरोना बेकाबू, मिले 9695 केस, लखनऊ में फिर टूटा रेकॉर्ड, UP की टॉप-5 खबरें


यूपी में कोरोना वायरस का संक्रमण बेकाबू हो गया है। शुक्रवार को प्रदेश में कोरोना संक्रमण के कुल 9 हजार 6 सौ 95 नए मामले सामने आए। वहीं महामारी के चलते 37 लोगों की मौत हो गई। राजधानी लखनऊ में कोरोना के नए मामलों का आंकड़ा तीन हजार के करीब पहुंच गया। लखनऊ में रेकॉर्ड 2 हजार 9 सौ 34 नए मामले सामने आए। वहीं, प्रयागराज में 1 हजार 16, वाराणसी में 845, कानपुर नगर में 522 और नोएडा में 225 मरीज मिले।


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Coronavirus Reality check : क्या 'कोरोना सीरियल ब्लास्ट' का है इंतजार? देख लीजिए आरा स्टेशन का रियलिटी चेक


चंदन कुमार, भोजपुर
बिहार में अचानक से कोरोना वायरस के मामले बढ़ोतरी आ गई है। शुक्रवार को सूबे में इस महामारी के 2174 नए पॉजिटिव केस सामने आए। इसी के साथ कोरोना के मामले एक झटके में 10 हजार के पार पहुंच गए। कोरोना संकट के बीच कई राज्यों में बढ़ती सख्ती के मद्देनजर अब प्रवासी लोग बिहार लौट रहे हैं। निर्देश के मुताबिक, इन यात्रियों का रेलवे स्टेशन पर टेस्ट जरूरी है लेकिन आरा रेलवे स्टेशन का हाल देखकर सवाल खड़े होने लगे हैं।

एनबीटी की टीम शनिवार सुबह 6 बजे आरा रेलवे स्टेशन पर मौजूद थी। इस दौरान बड़ी संख्या में यात्री ट्रेन से यहां उतरे। तय नियम के मुताबिक, इनकी जांच स्टेशन पर होनी चाहिए। लेकिन जैसा कि आप देख रहे हैं रेलवे स्टेशन पर याद करने के लिए जांच केंद्र बनाया गया है वहां मेडिकल टीम की तैनाती भी की गई है। लेकिन इससे लापरवाह और अनजान बन यात्री बिना जांच कराए वापस अपने घर की ओर निकल जा रहे हैं। रेलवे स्टेशन पर इस तरह की लापरवाही बेहद चौंकाने वाली है, सवाल उठ रहा कहीं ये कदम भारी न पड़ जाए...


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Delhi Lockdown News: दिल्ली में कोराना विस्फोट के बीच लॉकडाउन पर क्या बोले सीएम अरविंद केजरीवाल?


नई दिल्ली
राजधानी दिल्ली में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच लॉकडाउन की आशंका पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने दो टूक कहा है कि राजधानी में अभी लॉकडाउन नहीं लगेगा। सीएम ने कहा कि अभी लॉकडाउन नहीं लगेगा लेकिन कुछ नए प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। साथ ही केजरीवाल ने कहा है कि अगर कोरोना वैक्सीन की पर्याप्त डोज हो और उम्र की सीमा हटा दी जाए तो राजधानी के सभी लोगों को 2-3 महीने में वैक्सीन लगाई जा सकती है।

गौरतलब है कि दिल्ली में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 8521 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 39 लोगों की मौत हुई है। ये दिल्ली में एक दिन में आए कोरोना वायरसके मामलों की दूसरी बड़ी संख्या है। इससे पहले बीते साल 11 नवंबर को 8593 नए केस आए थे।


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Why corona vaccine is important: वैक्सीन लेने के बाद भी हो रहा कोरोना, फिर भी टीका क्यों जरूरी, समझिए एक्सपर्ट डॉक्टर से


देश में ऐसे कई केस आ रहे हैं, जिनमें वैक्सीन लेने के बावजूद लोगों को कोरोना हो रहा है। ऐसे में लोगों के जहन में ये सवाल है कि जब वैक्सीन लेने के बाद भी कोरोना का खतरा रहेगा तो फिर टीके की क्या जरूरत है? इसके अलावा कई लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर एक डर या हिचक भी है। ऐसे में हमने जाने माने कैंसर सर्जन और कोरोना एक्सपर्ट डॉक्टर अंशुमान कुमार से इस बारे में बात की। उन्होंने वैज्ञानिक तरीके से समझाया कि वैक्सीन दरअसल काम क्या करती है और इसे लेना सबके लिए क्यों जरूरी है। ध्यान से सुनिए डॉक्टर अंशुमान की बात।


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