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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Monday, April 26, 2021

कोरोना संकट के बीच PM मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से की बात, जानें क्या हुई चर्चा

नई दिल्ली कोरोना संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से टेलीफोन पर बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने बाद में बताया कि जो बाइडन के साथ सार्थक बातचीत हुई, हमने दोनों देशों में कोविड-19 की मौजूदा स्थिति पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि मैंने अमेरिका की ओर से भारत को मुहैया कराए जा रहे सहयोग के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का शुक्रिया अदा किया। प्रधानमंत्री मोदी ने आगे बताया कि उन्होंने बाइडन के साथ बातचीत के दौरान वैक्सीन संबंधी कच्चे माल, दवाओं की सुचारू आपूर्ति श्रृंखला की महत्ता को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्यसेवा क्षेत्र में भारत और अमेरिका की साझेदारी से कोविड-19 की वैश्विक चुनौती से निपटा जा सकता है। एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि अमेरिका संसाधनों का तेजी से इस्तेमाल करके कोविड-19 से निपटने के भारत के प्रयासों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत की तेजी से मदद करने का संकल्प लिया। व्हाइट हाउस ने बताया कि बाइडन ने मोदी से कहा कि अमेरिका और भारत कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में निकटता से मिलकर काम करेंगे। व्हाइट हाउस ने फोन पर हुई बातचीत की जानकारी मुहैया कराते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति ने कोविड-19 मामलों में हालिया बढ़ोतरी से प्रभावित भारत के लोगों को अमेरिका की ओर से लगातार समर्थन दिए जाने का संकल्प लिया।’ व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका ऑक्सीजन संबंधी आपूर्ति, टीके संबंधी सामग्री और चिकित्सा संबंधी सामग्री समेत आपात सहायता मुहैया करा रहा है। उसने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के बीच मजबूत सहयोग की सराहना की। दोनों नेताओं ने संकल्प लिया कि अमेरिका एवं भारत अपने नागरिकों और अपने समुदायों के स्वास्थ्य की रक्षा के प्रयासों के लिए कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।’ भारत में कोविड-19 की ताजा लहर के बाद दोनों नेताओं ने पहली बार फोन पर बात की है। भारत में संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,73,13,163 हो गई है जबकि उपचाराधीन मरीजों की संख्या 28 लाख को पार कर गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से सोमवार सुबह आठ बजे तक की गई जानकारी के अनुसार, संक्रमण से 2,812 लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1,95,123 हो गई है। सभी तरह की मदद का दिया आश्वासन इससे पहले दिन में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भारत को आवश्यक जीवन रक्षक दवाइयां और मेडिकल इक्यूपमेंट्स सहित अन्य सभी प्रकार के मदद का आश्वासन दिया था ताकि इस संकट से देश उबर सके। बिडेन ने ट्वीट कर कहा था, ‘‘महामारी की शुरुआत में जब हमारे अस्पताल भर गए थे और जिस प्रकार भारत ने ने हमें सहायता भेजी, उसी प्रकार आवश्यकता की इस घड़ी में भारत को मदद करने को हम प्रतिबद्ध है।’’ वैक्सीन के लिए कच्चा माल देने पर राजी हुआ था अमेरिका व्हाइट हाउस ने रविवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन कोविड-19 महामारी से लड़ाई में भारत को आपातकालीन सहायता मुहैया कराने के साथ ही कोविशील्ड टीके के भारतीय निर्माता को तत्काल कच्चा माल उपलब्ध कराने को लेकर दिन-रात काम कर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवान और उनके भारतीय समकक्ष अजित डोभाल के बीच फोन पर हुई वार्ता के बाद अमेरिका की ओर से यह निर्णय लिया गया है। भारत ने अमेरिका से कोविशील्ड टीके के उत्पादन के लिए कच्चे माल की आपूर्ति का अनुरोध किया था। तत्काल आधार पर ऑक्सीजन उत्पादन के विकल्प पर काम अमेरिका ने कहा कि भारत के अग्रिम मोर्च के कर्मियों और कोविड-19 मरीजों की सहायता के मद्देनजर अमेरिका ने जांच किट, वेंटिलेटर और पीपीई किट के अलावा अन्य उपकरण भारत को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका तत्काल आधार पर ऑक्सीजन उत्पादन एवं संबंधित आपूर्ति भारत को उपलब्ध कराने के विकल्पों पर काम कर रहा है। अमेरिका पर पड़ रहा था चौतरफा दबाव अमेरिका के इस फैसले को कई नजरिए से देखा जा रहा है। अमेरिका पर भारत की मदद के लिए चौतरफा दबाव पड़ रहा था। अमेरिका के भीतर ही इसको लेकर मुहिम चलाई जा रही थी। वहीं भारत में भी अमेरिका के इस कदम को लेकर उसके खिलाफ सेंटीमेंट हो रहा था। कुछ वैसा ही जैसा चीन के साथ पिछले दिनों देखने को मिला था।

ऑक्सिजन का पर्याप्त भंडार तो मरीजों को मिल क्यों नहीं रही, सरकार ने बताई पूरी बात

नई दिल्ली केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मेडिकल ऑक्सिजन की उपलब्धता को लेकर लोगों से न घबराने की अपील की है। मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि देश में ऑक्सिजन का पर्याप्त भंडार है, लेकिन भारी मांग वाले क्षेत्रों में इनकी आपूर्ति करने का मुद्दा है जिसका समाधान बेहतर से बेहतर ढंग से करने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें वायुसेना की मदद भी ली जा रही है। ढुलाई है सबसे बड़ी चुनौती मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल ने इसका भी उल्लेख किया कि अस्पतालों को जल्द से जल्द ऑक्सिजन उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से क्या प्रयास किए गए हैं। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘घबराएं नहीं, पैनिक मत करें। हमारे पास ऑक्सिजन का पर्याप्त भंडार है। ढुलाई का मसला है। ढुलाई एक बड़ी चुनौती है जिसे हम सभी संबंधित पक्षों की सक्रिय भागीदारी से हल करने का प्रयास कर रहे हैं।’ गोयल ने इस बात पर जोर दिया, ‘बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऑक्सीजन की ढुलाई के मुद्दे को हल करने का प्रयास हम कर रहे हैं।’ उन्होंने यह भी बताया कि ऑक्सिजन उत्पादक राज्य मुख्यत: पूर्वी और मध्य भारत में हैं। यह इस बात का संकेत है कि यह उत्पादक राज्य उन राज्यों से दूर हैं जहां ऑक्सिजन की मांग ज्यादा है। पिछले सप्ताह सर गंगा राम और मैक्स समेत दिल्ली के कई अस्पतालों ने ऑक्सिजन की कमी होने का विषय सोशल मीडिया और दूसरे मंचों पर उठाया गया था। कुछ अस्पतालों ने तो दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख भी किया। स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही गोयल ने कहा कि वायु मार्ग से ऑक्सिजन भरे टैंकरों को लाना संभव नहीं था, इसलिए वायुसेना के परिवहन विमान की मदद ली गई है। यह ऑक्सिजन को पहुंचाने में चार-पांच दिन की बजाय एक से दो घंटे का समय लग रहा है। उन्होंने बताया कि ऑक्सिजन टैंकर को जल्द पहुंचाने के लिए बीते शुक्रवार से स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही हैं। गृह मंत्रालय देश में विभिन्न हिस्सों में मौजूद ऑक्सिजन भरने के स्टेशनों तक खाली टैंकरों एवं कंटेनरों को ले जाने के लिए प्रयासों में समन्वय कर रहा है ताकि जरूरतमंद कोरोना मरीजों तक ऑक्सिजन जल्द से जल्द पहुंचाई जा सके। जीपीएस के जरिए स्थिति पर पूरी नजर गृह मंत्रालय के अधिकारी ने यह जानकारी भी दी कि केंद्र सरकार जीपीएस के माध्यम से ऑक्सीजन लाने वाले टैंकरों को लाने-ले जाने की स्थिति पर नजर बनाए हुए है तथा अस्पतालों को कम से कम समय में ऑक्सिजन उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्यों से अस्पतालों को यह बताने के लिए कहा गया कि वे ऑक्सिजन का उचित ढंग से उपयोग करें तथा अगर कोई लीकेज है तो उसे ठीक करें। गोयल ने यह भी बताया कि ऑक्सिजन टैंकरों को जल्द पहुंचाने के लिए ‘ग्रीन कोरिडोर’ प्रदान किया जा रहा है तथा इनको सुरक्षा भी दी जा रही है। देश में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति गंभीर बनी हुई है। पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 3,52,991 नए मामले आने के बाद सोमवार को संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,73,13,163 हो गई और संक्रमण से 2,812 लोगों की मौत होने से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 1,95,123 हो गया। उधर, तरल ऑक्सिजन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के एक दिन बाद सोमवार को सरकार ने तीन क्षेत्रों - शीशियों, दवा और रक्षा बलों - को इसका उपयोग करने की अनुमति दी। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने देश के कई हिस्सों, विशेष रूप से दिल्ली में चिकित्सीय ऑक्सिजन की कमी के बीच रविवार को गैर-चिकित्सकीय उद्देश्यों के लिए तरल ऑक्सिजन के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।

अगर लक्षण है तो बिना रिपोर्ट के भी कोविड पॉजिटिव मान लेना चाहिए : एम्स डायरेक्टर

नई दिल्ली कोविड टेस्ट के लिए कहीं किट की कमी पड़ रही है तो कहीं लैब ने घर से सैंपल लेने से मना कर दिया है। अगर सैंपल ले भी रहे हैं तो रिपोर्ट आने में कई दिन लग जा रहा है। ऐसे में क्या जिन्हें बुखार या खांसी है वह रिपोर्ट के इंतजार में बैठे रहें? नहीं। एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अगर किसी का टेस्ट नहीं हो पा रहा है या टेस्ट रिपोर्ट आने में देरी हो रही है और उसे कोविड की तरह से क्लासिक लक्षण हैं तो इस महामारी के वक्त उन लोगों को कोविड पॉजिटिव मान लेना चाहिए। कोविड पॉजिटिव मानते हुए उसी हिसाब से उनका इलाज शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब वक्त है कि क्लीनिकल सिमटम्स यानी लक्षण के हिसाब से किसी को कोविड पॉजिटिव माना जाए। अगर इस वक्त किसी को बुखार, जुकाम, नजला, खांसी है तो इसके हाई चांस है कि वह कोविड ही है। उन्होंने कहा कि आरटीपीसीआर रिपोर्ट नेगेटिव भी आ सकती है लेकिन अगर सिमटम्स हैं तो मान कर चलें कि कोरोना संक्रमित हैं। सेचुरेशन 94 या ज्यादा तो ऑक्सिजन की जरूरत नहीं एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि लोग गैरजरूरी पैनिक ना करें। उन्होंने कहा कि कुछ लोग पहले ही दवाई स्टोर कर ले रहे हैं जिसकी दवाई की कमी पैदा हो रही है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कुछ लोग यह सोचकर पहले ही दवाई खाना शुरू कर दे रहे हैं कि इससे संक्रमण नहीं होगा लेकिन यह गलत है। इससे साइडइफेक्ट ज्यादा होता है, फायदा नहीं। उन्होंने कहा कि यह भी गलत धारणा है कि अगर पहले ही ऑक्सिजन लेना शुरू कर दें तो बाद में जरूरत नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अगर ऑक्सिजन सेचुरेशन 94 या इससे ज्यादा है तो इसका मतलब है कि खून में पर्याप्त ऑक्सिजन है और सभी अंगों को ऑक्सिजन पहुंच रही है। उसे 94-95 से बढ़ाकर 98 करने के लिए ऑक्सिजन का मिसयूज नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह ऑक्सिजन उनके काम आ सकती है जिनका ऑक्सिजन सेचुरेशन 90 या इससे कम है। उन्होंने ऑक्सिजन की लीकेज बचाने पर भी जोर देने को कहा। साथ ही कहा कि अगर ऑक्सिजन कम हो रही है तो पेट के बल लेटकर डीप ब्रीदिंग कर सकते हैं। 85 पर्सेंट लोग घर पर ही ठीक डॉ. गुलेरिया ने कहा कि 85 पर्सेंट लोगों को माइल्ड इलनेस है। इन्हें बुखार, जुकाम, नजला, खांसी हो रही है और यह बुखार, जुकाम की दवाई लेने और भाप लेने से ही ठीक हो जाएंगे। इन्हें बस होम आइसोलेशन की जरूरत है। वॉर्निंग साइन करीब 15 पर्सेंट लोगों में ही हैं जिन्हें हॉस्पिटल एडमिट करने की जरूरत पड़ रही है। उन्होंने कहा कि अगर तेज बुखार, सुस्ती, उल्टी हो रही है तो डॉक्टर से संपर्क करें।

कोरोना का असली डेटा क्या छिपा रही सरकार? राहुल गांधी का केंद्र पर निशाना

नई दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर कोरोना महामारी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि रोजगार और विकास की तरह केंद्र सरकार कोरोना का असली डेटा भी जनता तक नहीं पहुंचने दे रही। महामारी ना सही, महामारी का सच तो नियंत्रण में कर ही लिया! दरअसल राहुल उस मीडिया रिपोर्ट के संदर्भ में बात कर रहे थे जिसमें कहा गया था कि सरकार की तरफ से राज्यों पर कोरोना से जुड़े आंकड़े छिपाने का दबाव है। रिपोर्ट में कहा गया कि मौतें के वास्तविक आंकड़े और सरकारी आंकडें में करीब पांच गुना का अंतर है। रिपोर्ट में यूपी और गुजरात के आंकड़ों पर भी सवाल उठाया गया है। भाजपा के सिस्टम का शिकार नहीं बनाया जाए इससे पहले राहुल गांधी ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ मुफ्त टीकाकरण की पैरवी करते हुए कहा कि भारत को भाजपा के 'सिस्टम' का शिकार नहीं बनाया जाए। उन्होंने ट्वीट किया, '' चर्चा बहुत हो चुकी। देशवासियों को वैक्सीन मुफ़्त मिलनी चाहिए- बात ख़त्म। मत बनाओ भारत को भाजपा सिस्टम का शिकार।'' सभी नागरिकों को मिले मुफ्त वैक्सीन राहुल गांधी और कांग्रेस पिछले कई हफ्तों से यह मांग कर रहे हैं कि देश के सभी नागरिकों को मुफ्त टीका उपलब्ध कराया जाए। उल्लेखनीय है कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित कोविशील्ड टीका राज्य सरकारों को 400 रुपये प्रति खुराक और निजी अस्पतालों को 600 रुपये में मिलेगा। कई राज्यों ने की है मुफ्त वैक्सीन की घोषणा दूसरी तरफ, भारत बायोटेक का टीका कोवैक्सीन टीका प्रति खुराक राज्यों को 600 रुपये और निजी अस्पतालों को 1200 रुपये में मिलेगा। वैसे, महाराष्ट्र, राजस्थान, झारखंड, दिल्ली समेत कई राज्य सरकारों ने घोषणा की है कि उनके यहां लोगों को मुफ्त में टीका लगाया जाएगा।

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दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में 21 भारत के हैं। अपने देश में साल 2019 में अकेले वायु प्रदूषण से 17 लाख लोगों की मौत हुई। यह किसी से छिपा नहीं है कि कोरोना वायरस जब श्वास-तंत्र पर कब्जा जमाता है तो रोगी की मृत्यु की आशंका बढ़ जाती है। जिन शहरों के लोगों के फेफड़े वायु प्रदूषण से जितने कमजोर है, वहां कोविड का हमला उतना ही संहारक रूप लेता दिख रहा है। यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि कि जैसे-जैसे तापमान बढ़ेगा, दिल्ली-एनसीआर और आसपास के तमाम इलाकों में सांस के रोगी तो बढ़ेंगे ही, कोरोना का कहर भी बढ़ने के पूरे आसार हैं।

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