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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Friday, December 17, 2021

Boeing joins other federal contractors in dropping its vaccine mandate.


Business New York TimesBy BY NIRAJ CHOKSHI Via NYT To WORLD NEWS

N.F.L. Reschedules 3 Games Amid Coronavirus Outbreaks Among Teams


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Kimberly Potter breaks down while testifying about a chaotic scene and her missing memory.


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France plans to tighten restrictions on the unvaccinated.


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Love Letter: An Unspoken Gesture of Love


Style New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

Who are the lawyers in the Kim Potter trial? And who are the other key players?


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Can This Woman Save American Public Education?


Opinion New York TimesBy BY MICHELLE GOLDBERG Via NYT To WORLD NEWS

To Eat Oysters Better, Treat Them Like Wine


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The Best of Late Night This Week 🌙


Arts New York TimesBy BY TRISH BENDIX Via NYT To WORLD NEWS

Minister Cleans Toilet: छात्राओं ने गंदे टॉयलेट की शिकायत की तो सफाई करने पहुंच गए ऊर्जा मंत्री तोमर, देखिए वीडियो


ग्वालियर
एमपी के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (Pradyuman singh Tomar) शुक्रवार को अपने पुराने रंग में नजर आए। उन्होंने ग्वालियर के हजीरा में सरकारी गर्ल्स स्कूल का टॉयलेट साफ किया। तोमर इससे पहले भी कई बार सार्वजनिक शौचालयों की सफाई करते और सड़क पर झाड़ू लगाते हुए नजर आ चुके हैं।

प्रद्युम्न सिंह तोमर शुक्रवार को हजीरा इलाके में शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय (Govt Girls School Hajira) का निरीक्षण करने पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने स्कूल की छात्राओं से बातचीत की। छात्राओं ने मंत्री को बताया कि स्कूल का शौचालय काफी गंदा है। इसके चलते उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

यह सुनते ही ऊर्जा मंत्री सीधे स्कूल के शौचालय में पहुंच गए। उन्होंने देखा कि स्कूल का शौचालय वाकई में बहुत गंदा था। बिना कोई समय गवाएं उन्होंने अपने हाथों से ही शौचालय की सफाई करनी शुरू कर दी। ऊर्जा मंत्री ने रगड़ रगड़ कर पूरे शौचालय को अच्छे तरीके से साफ किया।


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Movies New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

प्रधानमंत्री कार्यालय में चुनाव आयुक्तों की बैठक से भड़का विपक्ष, केंद्र सरकार पर जमकर बोला हमला

नई दिल्ली मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और साथी आयुक्त राजीव कुमार और अनूप चंद्र पांडे ने हाल ही में चुनाव आयोग और कानून मंत्रालय के बीच प्रमुख चुनावी सुधारों की समझ में अंतर को पाटने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ एक अनौपचारिक बातचीत की। इस बातचीत को लेकर विपक्ष ने केंद्र पर कड़ा हमला किया है। हालांकि चुनाव आयोग के सूत्रों ने शुक्रवार को जोर देते हुए कहा कि ऐसा करने में औचित्य का कोई सवाल नहीं उठता है। उन्होंने बताया कि आयोग चुनाव कानूनों में सुधारों और संबद्ध मुद्दों पर जोर देता रहा है तथा नवंबर में डिजिटल माध्यम से हुई बातचीत कानून मंत्रालय एवं निर्वाचन आयोग के बीच विभिन्न बिंदुओं पर परस्पर समझ को समान बनाने के लिए की गई। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर प्रहार किया और आरोप लगाया कि वह निर्वाचन आयोग से अपने मातहत जैसा व्यवहार कर रही है। कांग्रेस महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि सरकार देश में संस्थाओं को नष्ट करने के मामले में और अधिक नीचे गिर गई है। सुरजेवाला ने कहा, ‘ चीजें बेनकाब हो गई हैं। अब तक जो बातें कही जा रही थी वे सच हैं।' 'स्वतंत्र भारत में कभी नहीं सुना PMO ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को तलब किया' उन्होंने आरोप लगाया, ‘स्वतंत्र भारत में कभी नहीं सुना गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा मुख्य निर्वाचन आयुक्त को तलब किया गया हो। निर्वाचन आयोग के साथ अपने मातहत के तौर पर व्यवहार करने से साफ है कि (नरेंद्र) मोदी सरकार हर संस्था को नष्ट करने के मामले में और भी नीचे गिर चुकी है।’ निवार्चन आयोग सूत्रों ने कहा कि चुनाव सुधारों पर सरकार और आयोग के बीच सिलसिलेवार पत्राचार के बीच, पीएमओ ने तीनों आयुक्तों के साथ अनौपचारिक बातचीत आयोजित करने की पहल की। शुक्रवार को प्रकाशित इस खबर के बारे में पूछे जाने पर कि कानून मंत्रालय ने आयोग को एक पत्र भेज कर कहा था कि प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव सामान्य मतदाता सूची पर एक बैठक की अध्यक्षता करेंगे और ‘उम्मीद की जाती है कि सीईसी उपस्थित रहेंगे, सूत्रों ने कहा कि तीनों आयुक्त औपचारिक बैठक में शरीक नहीं हुए। इस खबर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्य निवार्चन आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने कहा कि यह बिल्कुल ही स्तब्ध कर देने वाला है। अपनी टिप्पणी को विस्तार से बताने का आग्रह किये जाने पर उन्होंने कहा कि उनके शब्दों में हर चीज का सार है। सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्रालय के अधिकारयों के अलावा आयोग के वरिष्ठ अधिकारी औपचारिक बैठक में शरीक हुए। कानून मंत्रालय में विधायी विभाग निर्वाचन आयोग से जुड़े विषयों के लिए नोडल एजेंसी है। सूत्रों ने बताया कि पीएमओ के साथ अनौपचारिक बातचीत का परिणाम बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में दिखा, जिसने विभिन्न चुनाव सुधारों को मंजूरी दी, जिस पर आयोग जोर दे रहा था। इन सुधारों में आधार को स्वैच्छिक आधार पर मतदाता सूची से जोड़ना, हर साल चार तारीखों को पात्र युवाओं को मतदाता के तौर पर अपना पंजीकरण कराने की अनुमति देना आदि शामिल हैं। सूत्रों ने इस बात का जिक्र किया कि महत्वपूर्ण चुनाव सुधार पिछले 25 वर्षों से लंबित हैं। आयोग चुनाव सुधारों के लिए जोर देते हुए सरकार को पत्र लिखता रहा है और कानून मंत्रालय स्पष्टीकरण मांगता रहा है। सूत्रों ने बताया कि अनौपचारिक बातचीत ने मुख्य मुद्दों पर सहमति बनाने में मदद की। आयोग के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘इस तरह से सुधार करने होंगे।’ 'मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने चुनाव सुधार में मांगी मदद सूत्रों ने कहा कि सुधारों के लिए जोर देने में कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि मुख्य निर्वाचन आयुक्तों ने (पूर्व कानून मंत्री) रविशंकर प्रसाद सहित मौजूदा कानून मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखे थे तथा चुनाव सुधार लागू करने में उनकी मदद मांगी थी। आमतौर पर, कानून मंत्री और विधायी सचिव निर्वाचन सदन में विभिन्न मुद्दों पर निर्वाचन आयुक्तों के साथ बैठक करते रहे हैं। आयुक्तों ने प्रोटोकॉल के तहत कभी मंत्रियों के साथ बैठक नहीं की क्योंकि आयोग एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है। इस बीच, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चुनाव सुधार पर पीएमओ में एक बैठक के लिए आयोग को तलब करने के मुद्दे पर शुक्रवार को लोकसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। तिवारी ने नोटिस में निर्वाचन आयोग की स्वायत्ता पर सवाल खड़े किये। हालांकि लखीमपुर खीरी मामले पर हंगामे की वजह से निचले सदन की कार्यवाही स्थगित हो गई। तिवारी ने कहा कि वह सोमवार को फिर से इस विषय पर कार्यस्थगन का नोटिस देंगे। द्रमुक नेता टीआर बालू ने कहा कि निर्वाचन आयोग जैसे एक संवैधानिक प्राधिकार को तलब करना सरकार के वर्चस्ववादी रवैये को प्रदर्शित करता है और यह अलोकतांत्रिक है।

Rajasthan: कोरोना बढ़ रहा है और स्कूल भी खुल रहे हैं, ऐे में पेरेंट्डस को सता रहा है डर, देखें- क्या कह रहे बच्चे और बड़े?


कोटा। राजस्थान में कोरोना वायरस का संक्रमण फिर से बढ़ रहा है। शुक्रवार को प्रदेश में फिर से 16 और कोविड-19 केस सामने आए हैं। इनमें से 7 अकेले जयपुर से हैं। वहीं 23 कोरोना मरीजों की रिपोर्ट नेगेटिव आई है। कोरोना संक्रमण के चलते शुक्रवार को एक मरीज की मौत भी हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 7 जिलों में अब भी कोरोना के 259 एक्टिव केस हैं। लेकिन राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की गाइडलाइन्स के मुताबिक फिर भी स्कूल खुल रहे हैं। लेकिन अधिकांश स्कूलों में ऑनलाइन क्लास का विकल्प ही नहीं है। ऐसे में अभिभावक बच्चों को स्कूल तो भेज रहे हैं, लेकिन यह भी कह रहे हैं कि डर तो लगता है।

प्रदेश की शिक्षा नगरी कोटा के सरकारी स्कूलों के बच्चे छुट्टी होने पर घर जाते हैं, तो वह सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। बच्चे स्कूल से बाहर निकलने पर ग्रुप में नजर आ रहे हैं। हालांकि स्कूल से छुट्टी होने का नजारे में यह देखने को मिला कि अधिकांश बच्चे मास्क में नजर आ रहे हैं। कुछ लापरवाह बच्चे हैं जो ही मास्क होने के बावजूद उसका उपयोग नहीं कर रहे हैं। बातचीत करने पर अभिभावकों और स्टूडेंट का कहना है कि स्कूल में बिना मास्क के एंट्री नहीं है स्कूल के अंदर जब स्टूडेंट बैठते हैं तो सामाजिक दूरी भी स्कूल प्रशासन की ओर से बच्चों से करवाई जाती है।
अभिभावकों और स्टूडेंट से बातचीत करने पर बताया गया कि कोरोना - कोरोना के नए वेरिएंट कों लेकर दोनों में डर जरूर है। लेकिन पढ़ाई भी जरूरी है। एनबीटी ने स्टूडेंट और उनके अभिभावकों से कोरोना को लेकर बरती जा रही सावधानियों और ओमीक्रोन को लेकर लोगों में पैदा हुए डर के बारे में बातचीत की है।


via WORLD NEWS

Some U.S. Schools Close After Shooting Rumors on Social Media


U.S. New York TimesBy BY DERRICK BRYSON TAYLOR, AMANDA HOLPUCH AND MARIA CRAMER Via NYT To WORLD NEWS

पीएम मोदी ने नाश्ते पर उत्तर प्रदेश के 36 बीजेपी सांसदों से की मुलाकात, नदारद रहे अजय मिश्र

नई दिल्ली लखीमपुर खीरी मामले में एसआईटी रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी से इस्तीफे की मांग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के कई बीजेपी सांसदों से नाश्ते पर मुलाकात की। हालांकि, प्रधानमंत्री ने क्या इसी मुद्दे पर यूपी सांसदों के साथ बैठक की थी, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। बताया जा रहा है कि पीएम के साथ बैठक में सांसद और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा मौजूद नहीं थे। लखीमपुर हिंसा को लेकर विपक्ष लगातार उनके इस्तीफे की मांग कर रहा है। गैर-राजनीतिक मुद्दों पर हुई चर्चा? सूत्रों ने बताया कि पीएम ने सांसदों से राजनीति से हटकर कई मुद्दों पर चर्चा की। उनके मुताबिक, इस मीटिंग में प्रधानमंत्री ने सांसदों से पार्टी कार्यकर्ताओं एवं राजनीति से इतर लोगों के साथ अधिक जुड़ने की सलाह दी। पीएम दो अलग-अलग समूहों में पार्टी के 36 सांसदों से मिले। सूत्रों ने बताया कि बैठक में 36 सांसदों के अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने भी शिरकत की। सूत्रों ने कहा कि यहां अपने सरकारी आवास पर बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने ज्यादातर गैर-राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की और यह एक अनौपचारिक बैठक थी। बीजेपी सांसदों के साथ यह चौथी मुलाकात सूत्रों ने बताया कि सांसदों ने काशी विश्वनाथ गलियारे के निर्माण के लिए मोदी की सराहना की और गलियारे के निर्माण में जुटे श्रमिकों के साथ प्रधानमंत्री के दोपहर का भोजन करने का विशेष उल्लेख किया। सांसदों ने कहा कि विशेषकर उत्तर प्रदेश की जनता ने इस कदम को खूब सराहा। संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र के दौरान भाजपा सांसदों के विभिन्न समूहों के साथ प्रधानमंत्री की यह चौथी मुलाकात थी। वह अब तक पूर्वोत्तर राज्यों, दक्षिणी राज्यों और मध्य प्रदेश के सांसदों से मिल चुके हैं। अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग पर गतिरोध जारी उधर, लखीमपुर खीरी मामले में संसद के मौजूदा सत्र के 15वें दिन भी गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी रहा। शुक्रवार को सदन का कामकाज शुरू होते ही विपक्ष इस्तीफे की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगा। हंगामा थमता न देख पहले सदन को दो बजे तक के लिए और फिर दो बजे के बाद कुछ देर के कामकाज के बाद सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

Judge Pushpa Ganediwala: क्यों हुआ स्किन-टू-स्किन कॉन्टैक्ट का फैसला देने वाली जज का डिमोशन


अपने विवादित फैसलों के कारण सुर्खियों में रहीं जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट कलेजियम ने जस्टिस गनेडीवाला को बॉम्बे हाई कोर्ट में स्थायी जज बनाए जाने के लिए नाम की सिफारिश नहीं करने का फैसला लिया है। उनका कार्यकाल फरवरी 2022 में समाप्त हो रहा है। ऐसे में डिमोशन होकर उनकी नियुक्ति वापस जिला न्यायाधीश के तौर पर हो जाएगी। लेकिन ऐसा क्यों हुआ और एक जज का प्रमोशन के बजाय डिमोशन क्यों। चलिए आज आपको बताते हैं जस्टिस पुष्पा वी गनेडीवाला के बारे में और उनके विवादित फैसलों के बारे में।


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