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Sunday, February 20, 2022

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'जाकिर नाइक से हमदर्दी, मौत पर बोली जाने वाली लाइन ल‍िख सांसद का विरोध...' कौन हैं जफरुल इस्लाम खान?

नई दिल्‍ली: जामिया मिलिया इस्‍लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) के अंजुमन (सभा या कोर्ट) में राज्‍यसभा सदस्‍य राकेश सिन्‍हा (Rakesh Sinha) को शामिल किए जाने से एक शख्‍स को बहुत ज्‍यादा दुख हुआ है। इनका नाम है जफरुल इस्लाम खान (Zafarul-Islam Khan)। जफरुल इस्‍लाम दिल्‍ली अल्‍पसंख्‍यक आयोग के अध्‍यक्ष रह चुके हैं। उनके अफसोस का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उन्‍होंने सिन्‍हा की नियुक्ति का विरोध उन लाइनों को लिख किया है जो मुस्लिम समुदाय के लोग इंसान की मौत पर बोलते हैं। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब जफरुल इस्‍लाम खान का मजहबी चेहरा सामने आया है। वो पहले भी ऐसी करतूत कर चुके हैं। शुरुआत सबसे ताजा मामले से करते हैं। जामिया यूनिवर्सिटी के अंजुमन में सदस्‍य के तौर पर राकेश सिन्‍हा की नियुक्‍ति पर जफरुल इस्‍लाम खान ने घोर निराशा जताई। इसका कारण सिन्‍हा का राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (RSS) के साथ जुड़ाव है। सिन्‍हा को संघ विचारक के तौर पर जाना जाता है। उनकी नियुक्ति 11 फरवरी को हुई थी। खान ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'संघी विचारक को जामिया मिलिया अंजुमन का सदस्‍य बनाया गया है। इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही राजिऊन।' 'इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही राजिऊन' का मतलब होता है कि 'हम अल्लाह के हैं और हमें अल्लाह के पास ही जाना है'। मुस्लिम ये लाइनें उस वक्‍त बोलते हैं जब किसी शख्‍स की मौत हो जाती है या वो कुछ बहुत महत्‍वपूर्ण चीज खो देते हैं। इन लाइनों से उनका क्‍या मतलब था यह अब तक साफ नहीं हुआ है। क्या उनका मतलब था कि जामिया मिलिया अंजुमन अब नहीं रह जाएगी या फिर वो सिन्हा के गुजर जाने की कामना करते हैं। कौन हैं जफरुल इस्‍लाम खान? जफरुल इस्‍लाम ऑनलाइल इस्‍लामिक पब्लिकेशन मिली गैजेट के संस्‍थापक हैं। इसे कट्टरपंथी विचारधारा के साथ जोड़ा जाता है। पिछले साल नवंबर में हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने वाले स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के बचाव में मिली गैजेट ने गोधरा ट्रेन हिंसा का समर्थन तक किया था। जफरुल इस्‍लाम खान जब दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन थे तो उनका एक पोस्ट काफी विवादों में आया था। इसमें उन्‍होंने दावा किया था कि मुसलमानों पर भारत में अत्याचार हो रहा है और अरब देश इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में अगर भारतीय मुसलमानों ने उनसे (अरब देशों) शिकायत कर दी तो भारत में सैलाब आ सकता है। विवाद के बाद जफरुल इस्‍लाम ने सफाई दी थी। उन्‍होंने कहा था कि उन्‍होंने किसी भी विदेशी मुल्‍क या संस्‍था से भारत की शिकायत नहीं की है। न ही भविष्‍य में वो ऐसी कोई मंशा रखते हैं। उन्‍होंने कहा था कि वो एक देशभक्‍त हैं और विदेश में हमेशा अपने देश के पक्ष में बोलते हैं। जाकिर नाइक को बताया था हीरो जफरुल इस्‍लाम खान ने इसी पोस्‍ट में भगोड़े जाकिर नाइक को हीरो की तरह पेश किया था। उन्‍होंने पोस्ट में लिखा था कि कट्टर लोग यह भूल गए कि अरब देश भारतीय मुसलमानों को प्यार करते हैं क्योंकि उन्होंने सालों से इस्लाम की सेवा की है। आगे उन्होंने जाकिर नाइक समेत अन्य लोगों के नाम लिखे थे और कहा था कि सभी भारत से हैं और अरब और मुस्लिम देशों में उनकी बड़ी इज्जत है। जाकिर नाइक पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। जफरुल इस्लाम ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि सीएए दंगों के आरोपियों को वह प्रताड़ित कर रही है।

इलेक्शन कमीशन का बड़ा फैसला, विधानसभा चुनावों में स्टार प्रचारकों की संख्या बढ़ाने की दी अनुमति

नई दिल्ली: कोविड-19 मामलों में कमी का हवाला देते हुए चुनाव आयोग ने रविवार को स्टार प्रचारकों की उस संख्या को बहाल कर दिया, जो एक पार्टी पांच राज्यों में हो रहे चुनावों में प्रचार के लिए मैदान में उतार सकती है। अब मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियां अधिकतम 40 स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार सकती हैं। अन्य पार्टियां जो पंजीकृत हैं, लेकिन मान्यता प्राप्त नहीं हैं, अब 20 स्टार प्रचारकों को प्रचार के लिए उतार सकती हैं। आयोग ने अक्टूबर 2020 में मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तर के दलों के लिए स्टार प्रचारकों की संख्या 40 से घटाकर 30 कर दी थी, क्योंकि कोरोना वायरस महामारी के बीच बिहार विधानसभा चुनाव और कई राज्यों में उपचुनावों के प्रचार के दौरान काफी भीड़ देखी गई थी। आयोग ने राजनीतिक दलों को लिखे एक पत्र में कहा, ‘कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों और नये मामलों की संख्या घट रही है और केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा महामारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को धीरे-धीरे हटाया जा रहा है। चुनाव आयोग ने उचित विचार-विमर्श के बाद स्टार प्रचारकों की संख्या की अधिकतम सीमा बहाल करने का निर्णय लिया है।’ पत्र में कहा गया है कि अब मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तर के राजनीतिक दलों के लिए स्टार प्रचारकों की संख्या की अधिकतम सीमा ‘40 होगी और मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के अलावा अन्य के लिए यह 20 होगी।’ इसमें कहा गया है कि मणिपुर विधानसभा चुनाव के दोनों चरणों, उत्तर प्रदेश चुनाव के चरण 5, 6 और 7 और असम में माजुली विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए अतिरिक्त स्टार प्रचारकों की सूची निर्वाचन आयोग या संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारी को 23 फरवरी की शाम पांच बजे तक सौंपी जा सकती है।

जामिया में सिन्हा की नियुक्ति, जफरुल ने मौत के बाद बोली जाने वाली लाइन से जताया विरोध

नई दिल्‍ली: दिल्‍ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष जफरुल इस्‍लाम खान (Zafarul-Islam Khan) का मजहबी चेहरा फिर बेनकाब हुआ है। उन्‍हें जामिया मिलिया इस्‍लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia University) के अंजुमन (सभा या कोर्ट) में राकेश सिन्‍हा (Rakesh Sinha) का शामिल किया जाना बहुत ज्‍यादा अखरा है। जफरुल इस्‍लाम खान की नफरत का सबूत उनका ट्वीट है। उन्‍होंने राज्‍यसभा सदस्‍य राकेश सिन्‍हा की नियुक्ति पर वो लाइनें लिखी हैं जो मुस्लिम समुदाय के लोग इंसान की मौत के बाद बोलते हैं। यह पहली बार नहीं है जब जफरुल इस्‍लाम ने इस तरह की घटिया करतूत की हो। उनके ट्वीट पर कई यूजरों ने कड़ी आपत्ति जताई। उन्‍हें याद दिलाया कि कभी कुंभ मेला समिति की कमान आजम खान को सौंपी गई थी। सिन्‍हा को संघ विचारक के तौर पर जाना जाता है। जामिया यूनिवर्सिटी के अंजुमन में सदस्‍य के तौर पर उनकी नियुक्‍ति पर ऑनलाइल इस्‍लामिक पब्लिकेशन मिली गैजेट के संस्‍थापक जफरुल इस्‍लाम खान ने घोर निराशा जताई है। इसका कारण सिन्‍हा का राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (आरएसएस) के साथ जुड़ाव है। सिन्‍हा की नियुक्ति 11 फरवरी को हुई थी। खान ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'संघी विचारक को जामिया मिलिया अंजुमन का सदस्‍य बनाया गया है। इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही राजिऊन।' 'इन्ना लिल्लाही वा इन्ना इलैही राजिऊन' का मतलब होता है कि 'हम अल्लाह के हैं और हमें अल्लाह के पास ही जाना है'। मुस्लिम ये लाइनें उस वक्‍त बोलते हैं जब किसी शख्‍स की मौत हो जाती है या वो कुछ बहुत महत्‍वपूर्ण चीज खो देते हैं। इन लाइनों से उनका क्‍या मतलब था यह अब तक साफ नहीं हुआ है। क्या उनका मतलब था कि जामिया मिलिया अंजुमन अब नहीं रह जाएगी या फिर वो सिन्हा के गुजर जाने की कामना करते हैं। क्‍या करती है यूनिवर्सिटी की अंजुमन कोर्ट? जामिया मिलिया इस्लामिया की अंजुमन कोर्ट विश्वविद्यालय का सर्वोच्च प्राधिकरण है। इसमें 59 सदस्य शामिल हैं। इसमें कुलपति और अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारियों के अलावा लोकसभा के दो सदस्य और राज्यसभा से एक सदस्य भी होता है। अंजुमन कोर्ट के सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होता है। अंजुमन कोर्ट विश्वविद्यालय के निर्णय लेने की प्रक्रिया में हिस्‍सा लेती है। विवादों से जुड़ा रहा है जफरुल इस्‍लाम का नाम जफरुल इस्‍लाम का इतिहास विवादों से घिरा रहा है। ये वही हैं जिन्‍होंने कहा था कि भारत के मुसलमानों ने अभी तक कट्टरपंथियों के अत्‍याचार, लिंचिंग और दंगों की शिकायत अरब और मुस्लिम देशों से नहीं की है। जिस दिन वो ऐसा कर देंगे कट्टरपंथियों पर सैलाब आ जाएगा। इतना ही नहीं जफरुल इस्‍लाम भगोड़े जाकिर नाइक के भी प्रशंसक रहे हैं। नवंबर 2021 में उन्होंने गोधरा में लोगों को जिंदा जलाए जाने को जायज ठहराया था।

कमजोर हुई कोरोना की तीसरी लहर, 51 दिनों के बाद आए 20 हजार से कम मामले

नई दिल्ली: देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के मामलों में एक बार फिर कमी देखी गई है। भारत में रविवार को 19,968 नए मामले सामने आए (Covid Updates India) वहीं 48,847 लोग स्वस्थ होकर घर गए हैं। एक दिन में इस वायरस से 673 लोगों की मौत हुई है। भारत में दैनिक पॉजिटिविटी रेट (Daily Positivity Rate) 1.68 प्रतिशत पर पहुंच गया है। 51 दिनों के बाद 20 हजार से कम मामले भारत में कोविड-19 के दैनिक मामले 51 दिनों बाद 20,000 से कम हैं जिससे महामारी के कुल मामलों की संख्या 4,28,22,473 पर पहुंच गई है। एक्टिव मरीजों (Active Cases) की बात करें तो ये संख्या कम होकर 2,24,187 रह गई है। मंत्रालय के अनुसार, भारत में पिछले साल 30 दिसंबर को कोरोना वायरस संक्रमण के 16,764 मामले सामने आए थे। एक्टिव मरीजों में आई कमी देश में एक्टिव मरीजों की संख्या संक्रमण के कुल मामलों का 0.52 प्रतिशत है जबकि कोविड-19 से स्वस्थ होने की राष्ट्रीय दर (Recovery Rate) 98.28 प्रतिशत है। पिछले 24 घंटों में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 29,552 की कमी दर्ज की गई है। टीकाकरण का आंकड़ा 175 करोड़ के पार जैसे-जैसे कोरोना के मामलों में कमी आ रही है वहीं दूसरी ओर टीकाकरण (Vaccination) की रफ्तार में भी तेजी देखी जा रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय के रविवार के आंकड़े के अनुसार, देश में अब तक 175 करोड़ वैक्सीन डोज दी जा चुकी है। भारत में अब तक कुल रिकवरी 4,20,86,383 पर पहुंच गई है। अब तक भारत में कुल मौतों का आंकड़ा 5,11,903 पर पहुंच गई है। देश में ऐसे बढ़े आंकड़े उल्लेखनीय है कि देश में सात अगस्त 2020 को संक्रमितों की संख्या 20 लाख, 23 अगस्त 2020 को 30 लाख और पांच सितंबर 2020 को 40 लाख से अधिक हो गई थी। संक्रमण के कुल मामले 16 सितंबर 2020 को 50 लाख, 28 सितंबर 2020 को 60 लाख, 11 अक्टूबर 2020 को 70 लाख, 29 अक्टूबर 2020 को 80 लाख और 20 नवंबर को 90 लाख के पार चले गए थे। देश में 19 दिसंबर 2020 को ये मामले एक करोड़ के पार हो गए थे। पिछले साल चार मई को संक्रमितों की संख्या दो करोड़ के पार और 23 जून 2021 को तीन करोड़ के पार पहुंच गई थी। इस साल 26 जनवरी को मामले चार करोड़ के पार पहुंच गए।

हिंदुत्व, धर्म संसद और हिजाब विवाद पर शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की बड़ी बातें


रायपुर : गोवर्धन मठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती (Swami Nischalanand Saraswati in raipur) रविवार को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे। यहां उन्होंने धर्म संसद, हिजाब विवाद (Nischalanand Saraswati on Hijab Controversy) और हिंदुत्व जैसे मुद्दों पर अपनी राय रखी है। उन्होंने हिंदुत्व को लेकर बात करते हुए कहा कि हिंदुओं के लिए जो खतरा है, जो हिंदुओं को काफिर कहते हैं। वह अपने पूर्वजों को काफिर कह रहे हैं। हमने कहा कि क्योंकि हिंदू सब के पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू हैं।



निश्चलानंद सरस्वती ने हिजाब विवाद पर कहा कि नेता आएंगे तो सारी स्थिति समझेंगे। मेरे निर्णय को सुप्रीम कोर्ट भी नहीं काट सकता, विवाद चल रहा है, अभी मुंह खोलना मेरे लिए उचित नहीं है, कहीं बवंडर ना हो जाए, पहले परिस्थिति को समझेंगे। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदुओं के लिए जो खतरा है, उन पर खतरा अधिक है, जो हिंदूओं को काफिर कहते हैं, वो अपने पूर्वजों को काफिर कहते हैं, क्योंकि सबके पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू हैं। हम विश्व का कल्याण हो कहते हैं, मुसलमान, हिंदुओं का बंटाधार हो सोचते हैं ।



उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र में हर पंथ, कौम समुदाय के योगदान का स्वागत जो सुसंस्कृत, सुरक्षित समाज बनाने में योगदान देंगे। धर्म संसद को लेकर निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म संसद को लेकर अशोक सिंघल मेरे पास 70 बार आए, उन्होंने धर्म संसद की स्थापना की थी लेकिन अब भाजपाई, कांग्रेसी सपा-बसपा सब यही चाह रहे हैं कि धर्म संसद वो चलाएं, पर यह तो कूटनीति है। #ShankaracharyaOnHijabRow #ShankaraCharyaInRipur


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PM Modi Rally In Hardoi : पीएम मोदी का सपा पर अटैक, बोले- 'इनका जो चुनाव चिन्ह साइकिल है उस पर रखे थे अहमदाबाद में बम'


यूपी चुनाव 2022 (UP Assembly Election) के तीसरे चरण (Third Phase of UP Election) में 59 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं। इसी बीच अहमदाबाद ब्लास्ट केस (Ahmedabad blast Case) के फैसले पर पर सियासत तेज हो गई है। रविवार को हरदोई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी को घोर परिवारवादी और आतंकवादियों का समर्थक करार देते हुए कहा कि हमें ऐसे राजनीतिक दलों से सतर्क रहना है जो अपनी कुर्सी के लिए देश को दांव पर लगा देते और देश की सुरक्षा से भी खिलवाड़ करते हैं।

पीएम मोदी ने हरदोई में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए आतंकवाद का मुद्दा उठाया और कहा,‘एक समय था जब देश में हर सप्ताह बम धमाके होते थे और हिंदुस्तान के कितने शहरों में निर्दोष नागरिक मारे गये। पीएम मोदी ने आगे कहा कि मैं उस दिन को भूल नहीं सकता जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था और अहमदाबाद में सीरियल बम धमाके हुए थे... मैंने उस खून से गीली हुई मिट्टी को उठाकर संकल्प लिया था कि मेरी सरकार इन आतंकवादियों को पाताल से भी खोज कर सजा देगी।’ अहमदाबाद धमाके में अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘आज मैं विशेष तौर पर इसका जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि कुछ राजनीतिक दल ऐसे ही आतंकवादियों के प्रति मेहरबान रहे हैं और ये राजनीतिक दल वोट बैंक के स्वार्थ में आतंकवाद को लेकर नरमी बरतते रहे हैं।'


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