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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Wednesday, March 9, 2022

MP Budget : न महंगाई कम करने के उपाय, न नौकरियों की चिंता, बजट से उम्मीदें पूरी नहीं होने की निराशा


छतरपुरः बुधवार को पेश किए गए मध्य प्रदेश के बजट से आम लोग खुश नहीं हैं। लोगों को उम्मीद थी कि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम कम करने के उपाय बजट में किए जाएंगे। बढ़ती बेरोजगारी से परेशान युवाओं ने भी बजट से उम्मीदें लगा रखी थीं, लेकिन उन्हें भी निराशा हाथ लगी है। एनबीटी ने मध्य प्रदेश के छतरपुर में लोगों से बजट पर प्रतिक्रिया जानी तो अधिकांश ने असंतुष्टि ही जताई।

फोटोग्राफर संतोष सेन ने कहा कि वे रोज 30 किलोमीटर दूर से जिला मुख्यालय आते हैं। आने-जाने में पेट्रोल पर खर्च लगातार बढ़ रहा है। बजट से उम्मीद थी कि पेट्रोल-डीजल पर वैट कम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पेट्रोल के दाम का असर सीधा रोजमर्रा के जीवन पर पड़ता है। कोचिंग का संचालन करने वाले विजय वर्मा ने भी बजट से पेट्रोल की कीमतों पर लगाम लगाने की उम्मीद लगाई थी।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे पुष्पेंद्र ने बताया कि बजट से बेरोजगार युवाओं की उम्मीदें भी पूरी नहीं हुईं। उन्हें लग रहा था कि सरकार बड़ी संख्या में नौकरियां निकालेगी। बजट में कुछेक हजार भर्तियों की चर्चा ही की गई है। बढ़ती बेरोजगारी को देखते यह काफी नहीं है| एक अन्य युवक संजय का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी कर रहे हैं। सरकार 10 साल बाद नौकरियों की घोषणा करती है। यह ऊंट के मुंह में जीरे के जैसा है।

छतरपुर में रहकर पढ़ने वाली प्रीति अहिरवार बताती हैं कि बजट में महंगाई पर नियंत्रण के लिए कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं। रसोई गैस के दाम आसमान छू रहे हैं। बजट में सरकार ने रसोई गैस के दामों में कमी लाने की ओर ध्यान नहीं दिया।


via WORLD NEWS

Stephen K. Bannon


U.S. New York TimesBy Unknown Author Via NYT To WORLD NEWS

रूस-यूक्रेन पर न्‍यूट्रल स्‍टैंड... कहीं पश्चिमी देशों के साथ भारत के रिश्‍तों पर तो नहीं आएगी आंच?

India-EU Relations: यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia Ukraine War) को करीब दो हफ्ते बीत चुके हैं। इस हमले में सैकड़ों लोगों ने जान गंवाई है। 20 लाख से ज्‍यादा लोग पलायन करने को मजबूर हुए हैं। यह सिर्फ दो देशों के बीच जंग नहीं है। इसने दुनिया के तमाम मुल्‍कों की विदेश नीति की भी परीक्षा ली है। भारत (India Foreign Policy) भी उन देशों में शामिल है। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी सहित ज्‍यादातर देशों ने यूक्रेन पर हमले की खुलकर आलोचना की है। लेकिन, भारत इसमें शरीक नहीं हुआ है। इस मामले में उसने बीच का रास्‍ता अपनाया हुआ है। अब तक उसका स्‍टैंड न्‍यूट्रल रहा है। यह बात पश्चिमी देशों को अखरी भी है। वह तराजू के दोनों पलड़ों को संभालता दिख रहा है। ऐसे में एक सवाल उठने लगा है। वह यह है कि क्‍या पर न्‍यूट्रल स्‍टैंड (India's Neutral Stand) से पश्चिमी देशों के साथ भारत के रिश्‍तों पर आंच आएगी? दुनिया में अमेरिका के बाद रूस हथियारों का सबसे बड़ा एक्‍सपोर्टर है। एक अनुमान के मुताबिक, हथियारों की कुल बिक्री में उसकी हिस्‍सेदारी करीब 20 फीसदी है। हाल के सालों में रूस के हथियारों का सबसे बड़ा इंपोर्टर भारत रहा है। रूस के कुल हथियारों की बिक्री में भारत की हिस्‍सेदारी 23.3 फीसदी है। इस बात से ही समझा जा सकता है कि रूस पर भारत की निर्भरता कितनी ज्‍यादा है। इस बात को अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश भी बखूबी समझते हैं। ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस का हालिया बयान इसकी बानगी है। उन्‍होंने कहा था कि यूक्रेन संकट पर भारत का रुख रूस पर उसकी निर्भरता के कारण है। आगे की राह यह सुनिश्चित करना है कि भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक के साथ रक्षा संबंध मजबूत हों। यूक्रेन पर हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्‍ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्‍की दोनों के साथ बात की। इस दौरान उन्‍होंने युद्ध को तत्‍काल रोकने की भी अपील की। हालांकि, अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर उसने रूस की किसी भी तरह की आलोचना से दूरी बनाई है। संयुक्‍त राष्‍ट्र में रूस की आलोचना वाले अब तक आए पांच प्रस्‍तावों में से किसी में भी उसने हिस्‍सा नहीं लिया। उसने बार-बार यही कहा है कि वह यूएन चार्टर के सिद्धांतों को लेकर प्रतिबद्ध है। वह अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों के अनुसार, सभी देशों की संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्‍मान करता है। भारत ने अपने इस तटस्‍थ रुख से पश्चिमी देशों और रूस दोनों को साधकर रखा है। लेकिन, उस पर अपने रुख में सख्‍ती लाने का भी जबर्दस्‍त दबाव है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, यूरोपीय संघ के तमाम आला अधिकारी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ संपर्क में है। पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन संकट को लेकर कई यूरोपीय नेताओं से बातचीत हुई। इनमें फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुअल मैक्रों, पोलैंड के राष्‍ट्रपति आंद्रजेज डूडा और यूरोपीय परिषद के अध्‍यक्ष चार्ल्‍स मिशेल शामिल हैं। मामले से जुड़े जानकार कहते हैं कि भारत के साथ काम कर रहे यूरोपीय अधिकारी भारत के स्‍टैंड से निराश हैं। हालांकि, वो उसकी पोजिशन को समझते हैं। ऐसे में भारत के साथ सब कुछ पहले की तरह चलेगा। इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं आने वाला है। उसे आगे बहुत फूंकफूंककर कदम बढ़ाने होंगे। यूक्रेन संकट पर किसी की तरफादारी न कर भारत ने अपने दोस्‍त रूस का भी भरोसा कामय रखा है। 2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्‍जा किया था तब भी संयुक्‍त राष्‍ट्र में उसने अपना रुख न्‍यूट्रल रखा था। भारत को सबसे ज्‍यादा नजर चीन पर रखनी होगी। यूक्रेन संकट को लेकर उसका स्‍टैंड भारत के नजरिये से काफी अहम है। हाल के वर्षों में चीन की रूस के साथ करीबी बहुत बढ़ी है। इसे भारत को देखना होगा। चीन भारत के लिए खतरा है। ऐसे में भारत इस हद तक कभी नहीं जाएगा जिससे उसके हित ही खतरे में पड़ जाएं।

Videos show devastating strike at Mariupol hospital maternity ward.


World New York TimesBy BY AINARA TIEFENTHÄLER, EVAN HILL, DMITRIY KHAVIN AND MASHA FROLIAK Via NYT To WORLD NEWS

12-17 साल के बच्चों के लिए आ गया कोरोना का नया टीका कोवोवैक्स, डीसीजीआई ने दी आपात इस्तेमाल की मंजूरी

नई दिल्ली: ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के कोविड-19 रोधी टीके कोवोवैक्स (Covovax) के सीमित आपातकालीन इस्तेमाल (Emergency Approval) की मंजूरी दे दी है। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि टीके को 12 से 17 साल के बच्चों के लिए विकसित किया गया है। डीसीजीआई की ओर से मंजूरी मिलने की पुष्टि करते हुए एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला (CEO Adar Poonawala) ने मंगलवार को ट्वीट कर इसकी पुष्टि भी कर दी। अदार पूनावाला ने ट्वीट कर जताया हर्ष अदार पूनावाला ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के ब्रांड कोवोवैक्स को लेकर देश में शोध पूरा हो चुके हैं। डीसीजीआई ने 12 साल से ऊपर के बच्चों के लिए इस टीके के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। छोटे उम्र के बच्चे इस दिशा में जल्द बढ़ेंगे।’’ आपको बता दें कि देश में 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए उपलब्ध यह कोरोना वायरस रोधी चौथा टीका होगा। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने कोविड-19 से संबंधित विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के आधार पर कोवावैक्स के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी। सरकार ने अभी तक 15 साल से कम उम्र वालों को टीका लगाने पर कोई फैसला नहीं लिया है। 'अधिक प्रतिरोधक क्षमता उतपन्न करने वाला सुरक्षित टीका' डीसीजीआई को दिये गए आवेदन में 21 फरवरी को सीरम इंस्टीट्यूट में निदेशक (सरकारी और नियामक मामले) प्रकाश कुमार सिंह ने कहा कि 12 से 17 साल के लगभग 2707 बच्चों पर दो अध्ययनों से पता चलता है कि कोवोवैक्स अधिक असरदार, अधिक प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करने वाला एक सुरक्षित टीका है। यह भी कहा गया कि इस उम्र वर्ग के बच्चे इस टीके को अच्छी तरह बर्दाश्त कर सकते हैं। 'टीके की मंजूरी मिलना देश के लिए फायदेमंद' एक आधिकारिक सूत्र के मुताबिक, आवेदन में सिंह की ओर से कहा गया कि यह मंजूरी न केवल अपने देश के लिए फायदेमंद होगी, बल्कि इससे पूरा विश्व लाभान्वित होगा। सिंह की ओर से कहा गया, ‘‘यह हमारे प्रधानमंत्री के मेकिंग इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड दृष्टिकोण के अनुरूप है। हमारे सीईओ डॉ. अदार सी पूनावाला के दर्शन के अनुरूप मुझे यकीन है कि कोवोवैक्स देश और दुनिया के बच्चों को बड़े पैमाने पर कोविड-19 बीमारी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।’’ डीसीजीआई ने पहले ही 28 दिसंबर को वयस्कों में आपातकालीन स्थिति में सीमित उपयोग के लिए कोवोवैक्स को मंजूरी दे दी थी। हालांकि, इसे अभी तक देश के टीकाकरण अभियान में शामिल नहीं किया गया है। डीसीजीआई ने 21 फरवरी को कुछ शर्तों के अधीन 12 से 18 वर्ष से कम आयु वर्ग के लिए बायोलॉजिकल-ई के कोविड-19 रोधी टीके कॉर्बेवैक्स (Corbewax) के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। कोवावैक्स को नोवावैक्स से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण द्वारा निर्मित किया गया है। इस टीके को यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी द्वारा बाजार में बिक्री को लेकर सशर्त मंजूरी दी गई है। भारत में 15-18 साल के किशोरों का टीकाकरण (Children Vaccination) करने के लिए भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन (Covaxin) का उपयोग किया जा रहा है। डीजीसीआई ने सबसे पहले जाइकोव-डी (ZyCov-D) टीके को 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी।