Featured Post

Don’t Travel on Memorial Day Weekend. Try New Restaurants Instead.

Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Tuesday, February 8, 2022

Where to Stream ‘The Power of the Dog,’ ‘Belfast’ and More 2022 Oscar Nominees


Movies New York TimesBy BY SCOTT TOBIAS Via NYT To WORLD NEWS

‘Finlandization’ of Ukraine is part of the diplomatic discourse. But what does that mean?


World New York TimesBy BY CORA ENGELBRECHT Via NYT To WORLD NEWS

टुकड़े-टुकड़े, पकौड़े, नदियों में शव.... चिदंबरम का मोदी को जवाब, NDA मतलब नो डेटा अवेलेबल

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में जब 'कांग्रेस न होती तो क्या होता' पर एक के बाद एक कई संभावनाएं गिना दीं तो जवाब में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने उनकी सरकार को आंकड़ों के अभाव वाली सरकार बता दिया। दिग्गज कांग्रेसी नेता ने बीजेपी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय प्रजातांत्रिक गठबंधन (NDA) को '' सरकार करार दे दिया। इसके लिए उन्होंने अलग-अलग मामलों पर सरकार के जवाबों का हवाला दिया। चिदंबरम ने राज्यसभा में बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए ये बातें कहीं। चिदंबरम का करारा जवाब उन्होंने कहा कि कांग्रेस को धन्यवाद दिया जाना चाहिए जिसके कारण वह राज्यसभा में बोल पा रहे हैं अन्यथा भारत सरकार के 1919 के कानून के अनुसार इसे 'काउंसिल ऑफ प्रिंसेस' कहा जाता। चिदंबरम ने कहा, 'मैं टुकड़े टुकड़े गैंग का सदस्य हूं... मैं इससे निराश नहीं हूं। इसी संसद में प्रश्न किया गया था कि टुकड़े टुकड़े गैंग के कौन-कौन सदस्य हैं? तब माननीय मंत्री ने कहा था कि हमारे पास टुकड़े-टुकड़े गैंग के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।' उन्होंने कहा कि 31 जनवरी 2021 को 8,72,243 सरकारी पद रिक्त थे और 'सर्वशक्तिमान भारत सरकार ने 78,264 पदों को भरा एवं करीब आठ लाख पदों को खाली रहने दिया गया।' NDA मतलब No Data Available कांग्रेस नेता ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौतों के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, नदियों में बहने वाले शवों के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, कितने प्रवासी अपने घरों तक पैदल चल कर गये, इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय को दोगुना करने के बारे में कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जो काम 2022 में किया जाना था। चिदंबरम ने कहा कि यह सरकार 'नो डाटा एवेलेबल (कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है) सरकार यानी एनडीए सरकार है।' राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर तंज उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में वित्त मंत्री ने 6.8 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा होने का अनुमान व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री को इसके लिए उन्होंने आगाह भी किया था, लेकिन वित्त मंत्री ने तब कहा था कि हम इससे बेहतर करेंगे। चिदंबरम ने कहा कि वास्तव में यह 6.9 प्रतिशत रहा। चिदंबरम ने कहा कि विनिवेश के लिए एक लाख 75 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य तय किया गया था। उन्होंने कहा कि वो सरकार के आभारी हैं कि इस लक्ष्य में मात्र 75 हजार करोड़ रुपये ही एकत्र किए गए। एयर इंडिया के लोन पर सवाल उन्होंने कहा कि 2021-22 के बजट अनुमान में 5,54,236 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) रहने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि पूंजीगत व्यय से विकास को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि संशोधित अनुमान एक सुखद आश्चर्य के रूप में आया जिसमें इसे बढ़ाकर 6,02,711 करोड़ रुपये बताया गया। उन्होंने कहा कि इसमें एयर इंडिया के एकबारगी ऋण भुगतान (Loan Payment) के लिए दी गई 51,971 करोड़ राशि शामिल थी। उन्होंने सवाल किया कि एयर इंडिया को दी गई राशि पूंजीगत व्यय कैसे हो सकती है? उन्होंने सरकार के पूर्व बजट में कुछ ट्रेनों के निजीकरण सहित कई घोषणाओं पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि इन संबंध में कुछ नहीं किया गया। चिदंबरम ने समझाई थ्री W की नीति पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी की नीति तीन डब्ल्यू पर आधारित हैं अर्थात वर्क (कार्य), वेलफेयर, (कल्याण) और वेल्थ (संपत्ति)। उन्होंने कहा कि हम संपत्ति के निर्माण के विरुद्ध नहीं हैं किंतु वर्क यानी नौकरियां भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रति वर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था और सरकार को हमें (संसद) को यह बताना चाहिए कि कितनी नौकरियां सृजित की गई? रोजगार पर 'पकौड़े तलेंगे' वाला तंज कांग्रेस नेता ने कहा कि बजट भाषण में गति शक्ति के जरिए पांच साल में 60 लाख रोजगार सृजित करने की बात की गई है यानी एक वर्ष में 12 लाख। उन्होंने कहा कि देश में हर वर्ष वर्क फोर्स में 49.5 लाख लोग नए जुड़ जाते हैं। उन्होंने पूछा कि यदि केवल 12 लाख लोगों को रोजगार मिलेंगे तो बाकी लोग क्या 'पकौड़े तलेंगे?' उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े देते हुए कहा कि सरकार विकास की तेज रफ्तार की बात कर रही है किंतु आंकड़े देखकर सवाल उठता है कि देश का विकास क्या वहीं पहुंचने के लिए हो रहा है जहां से हमने शुरू किया था। बजट आवंटनों पर आपत्ति पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि दो साल में देश ने लाखों नौकरियां गंवाई और 60 लाख एमएसएमई बंद हुए। उन्होंने कहा कि परिवारों की आय और प्रति व्यक्ति आय में कमी आई है। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम एवं अन्य वस्तुओं पर सब्सिडी घटा दी गई। उन्होंने कहा कि कल्याण को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया, काम दिया नहीं जा रहा है और सरकार संपत्ति बनाने की बात करती है। उन्होंने कहा कि यह संपत्ति किसके लिए बनायी जा रही है, उन चंद अरबपतियों के लिए जिनकी संपत्ति लगातार बढ़ती ही जा रही है। गरीबों को भूल गई मोदी सरकार: चिदंबरम चिदंबरम ने कहा, 'यह सरकार गरीबों को भूल गई है। बजट में केवल दो बार गरीब शब्द का इस्तेमाल किया गया। नौकरी शब्द का इस्तेमाल केवल तीन बार किया गया। एक नाम छह बार लिया गया और मैं वित्त मंत्री को बधाई देते हूं कि वह अपने प्रधानमंत्री के प्रति निष्ठावान रहीं।' उन्होंने सरकार को आगाह किया, 'आप गरीबों को भूल गए किंतु गरीब आपको नहीं भूलेंगे उनकी स्मृति बहुत लंबी होती है।' प्रधानमंत्री मोदी ने बोला था हमला ध्यान रहे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का राज्यसभा में जवाब देते हुए कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला। कि महात्मा गांधी की इच्छा के मुताबिक कांग्रेस पार्टी को 1947 में भंग कर दिया गया होता तो देश आज कई संकटों से बच जाता। महात्मा गांधी ने देश को आजादी मिलने के बाद इच्छा जताई थी कि अब कांग्रेस को भंग कर दिया जाए क्योंकि इसका गठन ही भारत को ब्रिटेन की गुलामी से मुक्त करवाना था।

For China, the Games are dominated by one region, and one accent.


Sports New York TimesBy BY CHRIS BUCKLEY Via NYT To WORLD NEWS

पूर्व पीएम वाजपेयी की साफ छवि बिगाड़ सकता है सुप्रीम कोर्ट का यह संदेह? जानें पूरा मामला

नई दिल्ली : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के राजनीतिक जीवन की मिसाल दी जाती है। हालांकि, उनकी सरकार के कार्यकाल में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की बिक्री को लेकर कुछ ऐसे तथ्य उभरने लगे हैं जो अटल की साफ-सुथरी छवि को बट्टा लगा सकते हैं। हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) और स्टर्लाइट अपॉर्च्युनिटीज एंड वेंचर्स लिमिटेड (SOVL) के बीच हुई डील में भी ऐसी ही गड़बड़ी का मामला अभी में है जहां सरकार ने अपनी जांच एजेंसी सीबीआई को ही 'झूठा' बता दिया है। अटल सरकार में धड़ाधड़ बिकी थीं सरकारी कंपनियां कोर्ट ने कहा कि इस डील के विभिन्न बिंदुओं की पड़ताल करने के बाद मामले की गहन जांच करवाने की जरूरत समझ में आई है। कोर्ट ने कहा कि डील की एक दो नहीं बल्कि 18 बिदुओं को लेकर संदेह है जिनकी जांच होनी ही चाहिए। ध्यान रहे कि वाजपेयी सरकार में अरुण शौरी विनिवेश मंत्री थे जिनकी देखरेख में सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों की धड़ाधड़ बिक्री हुई। अब कुछ बिक्रियों पर सवाल उठ रहे हैं और कहा जा रहा है कि तत्कालीन सरकार ने इन कंपनियों को औने-पौने दामों में निजी कंपनियों को बेच दीं। तत्कालीन विनिवेश मंत्री शौरी पर हो चुका है केस इससे पहले, राजस्थान में जोधपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने सितंबर 2020 में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी समेत पांच लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। तब अदालत के सामने लक्ष्मी विलास होटल को बाजार मूल्य से बहुत कम दाम में बेचने के मामला आया था। कोर्ट ने कहा था कि जिस होटल की कीमत ढाई सौ करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी, उन्हें सिर्फ सात करोड़ रुपये के औने-पौने दाम लेकर बेच दिया गया। 2001 को अगल विनिवेश मंत्रालय का हुआ था गठन वाजपेयी सरकार ने सरकारी कंपनियों को निजी हांथों में सौंपने के मकसद से 10 दिसंबर, 1999 को अलग विनिवेश विभाग का गठन कर दिया था। फिर 6 सितंबर, 2001 को विनिवेश मंत्रालय बना दिया गया जिसकी कमान अरुण शौरी के हाथों सौंप दी गई। प्रधानमंत्री वाजपेयी के भरोसेमंद होने के कारण शौरी ने कई कंपनियों का सौदा कर डाला। यहां तक कि 14 मई 2002 को मारुति उद्योग लि. के विनिवेश को भी मंजूरी दे दी गई। दो चरणों में विनिवेश के बाद 2006 में भारत सरकार का मारुति उद्योग में स्वामित्व पूरी तरह खत्म हो गया। निजी हाथों में चली गईं बड़ी-बड़ी कंपनियां इसमें कोई शक नहीं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने सरकारी कंपनी को बेचने को लेकर जनविरोधी छवि बनने की बिल्कुल भी परवाह नहीं की। हिंदुस्तान जिंक लि. और भारत ऐल्युमीनियम (BALCO), उन सरकार कंपनियों में शामिल हैं जो वाजपेयी के शासनकाल में निजी हाथों में चली गईं। तब टाटा ग्रुप ने सीएमसी लि. और विदेश संचार निगम लि. (VSNL) खरीदी थीं। विनिवेश की प्रक्रिया यूं ही धड़ल्ले से चलती गई और सरकारी एफएमसीजी कंपनी मॉडर्न फूड इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्प (IPCL), प्रदीप फॉस्पेट्स, जेसॉप ऐंड कंपनी भी प्राइवेट सेक्टर को दे दी गईं। अपनी एजेंसी को ही झूठा बता रही है सरकार! बहरहाल, अब हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) की बिक्री के मामले में केंद्र सरकार ने एक बेहद अप्रत्याशित रुख दिखाते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अटल बिहार वाजपेयी सरकार में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) की बिक्री को लेकर सीबीआई ने शीर्ष अदालत को गलत जानकारी दी है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने देश की शीर्ष अदालत में यह बात कही है। उन्होंने कहा, 'सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में जो मौलिक तथ्य पेश किए थे वो झूठे थे या संभवतः गलत... विनिवेश की निर्णय प्रक्रिया को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में सीबीआई की कही गई एक-एक पंक्ति झूठी थी या गलत।' CBI को गलत बताने की क्या है सरकार की दलील ने अपनी दलील में कहा, 'किसी एक व्यक्ति ने फैसला नहीं लिया जैसा कि सीबीआई की तरफ से जताया गया है। (यह तथ्यात्मक रूप से गलत है)। यह त्रीस्तरीय सामूहिक फैसला था। अधिकार प्राप्त सचिवों के समूह ने प्रस्ताव की पड़ताल की थी जिनमें विभिन्न विभागों के 10 से 12 सचिव शामिल थे। उनके विचारों की पड़ताल विनिवेश प्रस्तावों पर फैसले के लिए गठित प्रमुख समूह (Core Group of Disinvestment) ने की। आखिर में केंद्रीय कैबिनेट ने सभी के विचारों को जांचा-परखा और तथ्यों एवं विचारों के पूरे पुलिंदे के मद्देनजर पूरी तरह सोच-विचार के बाद फैसला लिया।' उन्होंने कहा कि सीबीआई ने गलत तथ्य रखे जिनके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने भी गलत निष्कर्ष निकाला। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को सोचना चाहिए कि वह मामले में सीबीआई को एक रेग्युलर केस दर्ज करने के अपने निर्देश को वापस लेकर या उसमें सुधार करके अपनी गलती सुधारने पर विचार करे। हिंदुस्तान जिंक डील पर सुप्रीम कोर्ट का रुख इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि उसने दस्तावेजों और सीबीआई की जांच रिपोर्टों के साथ-साथ उसकी क्लोजर रिपोर्ट का भी गहन अध्ययन किया है और इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि मामले की शुरू से जांच की जरूरत है। एसजी ने पीठ का रुख भांपकर कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट से पुनविर्चार का आवेदन वापस ले लेंगे और इसकी जगह एक याचिका दायर करके पिछले साल 18 नवंबर को सीबीआई को दिए निर्देश की समीक्षा की गुहार लगाएंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उन्हें आवेदन वापस लेने की अनुमति दे दी। नवंबर 2021 के आदेश से खुल सकेंगे राज? दरअसल, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 18 नवंबर 2021 के अपने फैसले में सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने सवाल किया था कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) की बिक्री में कई गड़बड़ियां दिख रही हैं, फिर भी सीबीआई किस आधार पर प्राथमिक जांच (PE) को बंद करने का आवेदन दे रहा है? जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट पेश करने से पहले सीएजी रिपोर्ट को भी किनारे कर दिया। इन सारी टिप्पणियों के साथ बेंच ने सीबीआई को मामले में रेग्युलर केस दायर करने का आदेश दिया था। डील की 18 बिंदुओं पर संदेह आदेश में कहा गया था कि सीबीआई हिंदुस्तान जिंक लि. और स्टरलाइट के बीच हुई डील में 18 संदिग्ध बिंदुओं की गहराई से जांच करे और समय-समय पर जांच से जुड़ी गतिविधियों की जानकारी कोर्ट को देते रहे। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने तब कहा था, 'केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2002 में एचजेडएल के 26% विनिवेश को लेकर रेग्युलेर केस दर्ज करने की दृष्टि से पर्याप्त मटीरियल हैं।' पीठ ने अपने आदेश में एचजेडएल में सरकार की और 29.5% हिस्सेदारी बेचने के फैसले को हरी झंडी दे दी। तत्कालीन यूपीए सरकार ने वर्ष 2012 में हिंदुस्तान जिंक लि. के और 29.5 प्रतिशत शेयर बेचे थे। वाजपेयी की छवि पर पड़ सकता है असर अटल बिहारी वाजपेयी उन महान नेताओं में शामिल रहे हैं जिनके निधन के बाद कहा गया कि भारत में लोकतांत्रिक राजनीति के एक युग का अंत हो गया है। उन्होंने केंद्र में पूरे पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर-कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व करने की उपलब्धि हासिल की थी। वाजपेयी सरकार ने स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, नदी जोड़ परियोजना समेत देश को जोड़ने की अनेक परियोजनाएं, पोखरण परमाणु परीक्षण, सर्व शिक्षा अभियान जैसे कई क्रांतिकारी योजनाएं बनाईं। इसी कड़ी में वाजपेयी सरकार ने घाटे के सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने के लिए अलग से विनिवेश मंत्रालय बनाया और इसकी जिम्मेदारी अरुण शौरी को दी गई। इस मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों की बिक्री की। अब उनके कुछ फैसलों पर विवाद हो रहा है जिनमें हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की डील भी शामिल है।