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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Wednesday, December 8, 2021

Biden Orders Federal Vehicles and Buildings to Use Renewable Energy by 2050


Climate New York TimesBy BY LISA FRIEDMAN Via NYT To WORLD NEWS

सत्ता की राजनीति के लिए नेहरू ने राजद्रोह का कानून थोपा, वरिष्ठ पत्रकार की किताब में बड़ा दावा

नई दिल्ली देश की स्वतंत्रता के बाद से ही आम लोगों से लेकर न्यायपालिका तक बहस का विषय रहे राजद्रोह कानून के बारे में ने बड़ा दावा किया है। उन्होंने किताब में कहा है कि प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश के पहले संसदीय चुनाव के पूर्व ही सत्ता की राजनीति की बाध्यताओं के कारण एक असंवैधानिक संविधान संशोधन के जरिये इसे देश में फिर लागू कर दिया था। ‘रहबरी के सवाल’ सहित कई पुस्तकों के लेखक व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने अपनी नई पुस्तक में यह दावा किया है। राय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके हैं। इस पुस्तक का लोकार्पण नौ दिसंबर को राजधानी दिल्ली स्थित आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करेंगे। राय का दावा है कि यह पुस्तक भारतीय संविधान के ‘ऐतिहासिक सच, तथ्य, कथ्य और यथार्थ की कौतूहलता का सजीव चित्रण’ करती है। पुस्तक में राय ने आश्चर्य जताया है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हर मोड़ पर कांग्रेस को बौद्धिक, विधिक, राजनीतिक और नैतिक मार्गदर्शन दिया लेकिन संविधान के इतिहास से पता नहीं क्यों इसे ओझल कर दिया गया। उन्होंने कहा कि संविधान का इतिहास से जाहिर होता है कि नेहरू ‘बड़बोले’ नेता थे और उनका व्यक्तित्व ‘विरोधाभासी’ था। पुस्तक के आखिरी अध्याय ‘राजद्रोह की वापसी’ में राय ने दावा किया है कि नेहरू प्रेस और न्यायपालिका से इतने ‘कुपित’ हो गए थे कि ‘लोकतंत्र की हर मर्यादा को भुलाकर’ और तमाम विरोधों को धता बता देते हुए वह पहले संविधान संशोधन के जरिए राजद्रोह कानून को फिर से लागू करने का विधेयक लेकर आए। उन्होंने लिखा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए अंग्रेजी जमाने के प्रावधान और शब्द जाल को पुनः स्थापित किया गया। जैसे जनहित, राज्य की सुरक्षा और विदेशों से संबंध बिगड़ने जैसे अपरिभाषित शाब्दिक बहाने खोज निकाले गए।’ उन्होंने कहा, ‘मूल संविधान नागरिक को मौलिक अधिकारों से संपन्न बनाता था, नेहरू ने उसे राज्य तंत्र के पिंजरे में बंद करवाया। मूल संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा निर्धारित की गई थी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में किसी प्रकार अदालत की मानहानि, झूठे आरोप, किसी का अपमान और किसी को बदनाम करने जैसे कार्यों का निषेध था।’ राय ने पुस्तक में लिखा है कि संशोधन में से तीन आधार ऐसे जोड़े गए, जो कभी परिभाषित नहीं किए जा सकते और वह राज्य तंत्र की मर्जी से प्रयोग किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘इससे सरकार को मनमानी करने की पूरी आजादी मिल गई।’ पुस्तक में दावा किया गया है कि संविधान के लागू होते ही लोगों ने अपने अधिकारों के लिए ज्यादातर राज्यों में न्यायपालिका की शरण ली और जहां-जहां लोगों ने अपने अधिकार के लिए रोड़ा बने कानूनों को चुनौती दी, वहां-वहां फैसला सरकार के खिलाफ गया। उन्होंने लिखा, ‘इन फैसलों से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की चुनावी राजनीति में पलीता लगने लगा...विचित्र बात यह है जिस संविधान को बड़े धूमधाम से कांग्रेस के नेताओं ने महान उपलब्धि बताई थी, उसे वह अपनी सत्ता राजनीति के रास्ते में बाधा समझने लगे। नेहरू ने फार्मूला खोजा। अपने चेहरे से उदार और लोकतांत्रिक मुखौटे को उतार फेंका। न्यायिक हस्तक्षेप को असंभव बनाने के लिए संविधान संशोधन को रामबाण की तरह देखा और हर संविधानिक मर्यादा से बेपरवाह होकर अपने एजेंडे को मनवाया।’ पुस्तक के एक अन्य अध्याय ‘सरदार पटेल में गांधी दिखे’ में राय ने लिखा है कि देश के पहले राष्ट्रपति के रूप में राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल सहित अधिकतर की पसंद थे लेकिन नेहरू सी राजगोपालाचारी को इस पद पर देखना चाहते थे। उन्होंने पुस्तक में लिखा कि नेहरू ने संविधान सभा के कांग्रेसी सदस्यों की बैठक में राजगोपालाचारी को राष्ट्रपति बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जिसका भारी विरोध हुआ लेकिन सरदार पटेल की सूझबूझ की वजह से निर्णय को कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया।

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Science New York TimesBy POR CARL ZIMMER AND JONATHAN CORUM Via NYT To WORLD NEWS

वकीलों के फर्जी क्लेम मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- ये बर्दाश्त के काबिल नहीं

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में कुछ वकीलों के मोटर एक्सिडेंट के फर्जी क्लेम मामले में सख्त नाराजगी जताई है और कहा है कि मामले में हर एंगल से जांच की जाए। अदालत ने कहा कि वकीलों ने फेक क्लेम के लिए जो अर्जी दाखिल की है वह बेहद परेशानी वाली बात है और उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह की अगुवाई वाली बेंच ने यूपी स्टेट बार काउंसिल की इस बात लेकर खिंचाई की है कि वह अपने वकीलों को बचाने की कोशिश कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी स्टेट बार काउंसिंल के रवैये से लगता है कि जैसे वह अपने वकीलों को बचा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह गंभीर मामला है। हजारों करोड़ के फेक क्लेम का मामला है जो अदालतों में सालों से पेंडिंग है। लगता है कि आप गंभीर नहीं हैं। आपको एक्शन लेना चाहिए। मुझे लगता है कि आप (स्टेट बार काउंसिल) अपने वकीलों को बचा रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हजारों करोड़ के क्लेम का मामला है। फेक क्लेम का केस है और ऐसे में पुलिस हर एंगल से जांच करे। साथ ही इंश्योरेंस कंपनी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह जांंच में सहयोग करें। अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।

Khargone News: नाव से आया दूल्हा, नर्मदा किनारे हुए फेरे और नाव से ही हुई दुल्हन की विदाई, देखिए अनोखी शादी


खरगोन
मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर कसरावद विकासखंड के बलगांव में नर्मदा पार स्थित धार जिले के बलवाड़ा से नाव से बारात पहुंची। नर्मदा किनारे के बलगांव में बारात (Barat on Boat) नाव पर सवार होकर दुल्हन ब्याहने आई।

सजी-धजी नाव (Bridegroom on Boat in Khargone) में कपिल पटेल दूल्हे के लिबास और बाराती साफा बांधे सवार थे। तट पर कसरावद की दुल्हन दिव्या के परिजनों ने अगवानी की। नर्मदा तट पर बलगांव के मौनी बाबा आश्रम में फेरे और विवाह की रस्में पूरी की गईं। गुब्बारों से सजी नाव से ही बाराती संग दूल्हा-दुल्हन लौट गए। इस अनोखी शादी का वीडियो (Khargone Unique Marriage video) अब वायरल हो रहा है।

बाराती दिलीप पटेल ने बताया दोनों परिवारों ने बलगांव नर्मदा तट पर विवाह की रस्में पूरी करने का निर्णय लिया था। बलवाड़ा से बलगांव की सड़क मार्ग की दूरी करीब 20 किमी है। नदी मार्ग से ये केवल एक किमी है। परिजनों ने कम दूर होने के चलते नाव से आना तय किया। बलगांव के बुजुर्ग बताते हैं कि नर्मदा के उस पार के रिश्तेदारी की बारातें पहले भी नाव से आती रही हैं। वाहनों का प्रचलन बढ़ने के साथ नावों से बारातें आना कम हो गई। गांव में नाव से बारात आने का ऐसा नजारा करीब 20 साल बाद देखने को मिला है। #NBTMP, #Khargonemarriage, #Uniquemarriage


via WORLD NEWS

The Big Question: Is the World of Work Forever Changed?


Special Series New York TimesBy BY THE NEW YORK TIMES Via NYT To WORLD NEWS