एम्स्टर्डम लद्दाख गतिरोध और 15-16 जून की रात में के साथ हिंसक संघर्ष में भारतीय सेना के 20 जवानों की शहादत के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों पर बड़ा असर पड़ा है। एक ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जाहिर की है। की रिपोर्ट में कहा गया है, '15 जून को एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) के पास गलवान घाटी में हुई घटना पड़ोसी देशों पर चीन की बढ़ती आक्रामकता को दिखाती है।' रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमवार को चीन ने भारतीय जवानों पर हमला किया था और यह जानबूझकर और सोची-समझी साजिश के तहत किया गया था। ऐसा करके चीन ने दोनों देशों के बीच दशकों पहले हुए समझौते का उल्लंघन किया है। 'चीन का हमला 21वीं सदी का टर्निंग पॉइंट बनेगा' रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 45 साल के बाद एलएसी पर चीन की ओर से किए गए हमले ने भारत के लिए सुरक्षा को लेकर गंभीर चुनौती पैदा कर दी है। चीन की ऐसी आक्रामकता भविष्य में दोनों देशों के बीच संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक चीन की ओर से गलवान में भारतीय सैनिकों पर किया गया हमला दोनों देशों के लिए 21वीं सदी में टर्निंग पॉइंट साबित हो रहा है। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव के और ज्यादा गहराने के साथ ही नए विवादों के पैदा होने की आशंका भी बढ़ेगी। हमले से साबित हुई चीन की हठधर्मिता यूरोपीय थिंक टैंक के मुताबिक, चीन की ओर से भारतीय सैनिकों पर किया गया हमला उसकी हठधर्मिता को दिखाता है। दक्षिण चीन सागर से लेकर ताइवान और हॉन्गकॉन्ग तक, चीन अपने पांव पसारने की कोशिश कर रहा है। दक्षिण चीन सागर में मलेशिया और वियतनाम के जहाजों को रोककर, हॉन्गकॉन्ग में नई ताकतें स्थापित करके और दो बार संवेदनशील वियतनाम की खाड़ी में एयरक्राफ्ट करियर के जरिए चीन अपने इरादे साफ कर चुका है। भारत बोला- चीन का दावा झूठा दूसरी ओर भारत के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि चीन के 'वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संबंध में अस्थिर दावे स्वीकार्य नहीं हैं'। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी चीन में स्थित है, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान का यह दावा झूठा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत का ईमानदारी से पालन करेगा।'
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