बात है साल 1988 की। तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh News Hindi) अपने प्रत्याशी के पक्ष में अमरोहा के रहरा में एक जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। जनसभा के बीच कल्याण सिंह को फोन आया। खबर आई कि कल्याण सिंह की सरकार गिर गई है। जानकारी मिली कि कांग्रेस के जगदंबिका पाल मुख्यमंत्री बना दिए गए हैं। दरअसल 21 फरवरी 1998 को कल्याण सिंह को राज्यपाल ने बर्खास्त कर दिया था। तत्कालीन गवर्नर रोमेश भंडारी के इस फैसले से सभी हैरान थे। गवर्नर ने जगदंबिका पाल को रात के तकरीबन साढ़े 10 बजे मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी। इससे पहले जगदंबिका पाल कल्याण सिंह की ही कैबिनेट में मंत्री हुआ करते थे। राज्यपाल के इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने विरोध करना शुरू कर दिया। बीजेपी यूपी की सत्ता से बेदखल हुई तो अटल आमरण अनशन पर बैठ गए। मामला हाई कोर्ट पहुंचा। कोर्ट का फैसला बीजेपी के खाते में करिश्मा ले आया। राज्यपाल के फैसले पर रोक लगा दी गई। हाई कोर्ट ने राज्यपाल को बदलने का आदेश दिया। विधानसभा में जगदंबिका पाल बहुमत साबित नहीं कर पाए। उन्हें कुर्सी से उतरना पड़ा। अब यह किस्सा वन डे वंडर ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स के नाम से मशहूर हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी की बदौलत कल्याण फिर सत्ता में लौटे।
via WORLD NEWS
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