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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Tuesday, July 20, 2021

3 डोज, सुई की जरूरत नहीं...देश में बन रही पहली DNA वाली कोरोना वैक्सीन

नई दिल्ली कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत को जल्द ही एक बड़ा हथियार मिलने वाला है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को संसद में बताया कि कैडिला की कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण का क्लीनिकल ट्रायल जारी है। यह डीएनए वैक्सीन होगी। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में पहला ऐसा देश बन सकता है जिसके पास इस महामारी से बचाव के लिए डीएनए आधारित टीका होगा। मंडाविया ने कहा कि कई भारतीय कंपनियां कोरोना से बचाव के अपने टीकों का उत्पादन बढ़ा रही हैं। उन्होंने ‘देश में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन, टीकाकरण का कार्यान्वयन और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए नीति और चुनौतियां’ विषय पर उच्च सदन में हुई अल्पकालिक चर्चा के जवाब में बताया कि कैडिला हेल्थकेयर लि. के डीएनए आधारित टीके का तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण चल रहा है। कैसे काम करती है डीएनए वैक्सीन जायडस कैडिला की यह कोरोना वैक्सीन दुनिया की पहली डीएनए वैक्सीन होगी। इसके जरिए जेनेटिकली इंजीनियर्ड प्लास्मिड्स को शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। इससे शरीर कोविड-19 के स्पाइक प्रोटीन का उत्पादन होता है और इस तरह वायरस से बचाव वाले एंटीबॉडी पैदा होते हैं। ज्यादातर कोरोना वैक्सीन के 2 डोज लगते हैं लेकिन कैडिला की इस वैक्सीन के 3 डोज लगेंगे। नहीं होगा दर्द, सूई से नहीं बल्कि खास डिवाइस से लगेगी इस वैक्सीन के बारे में एक और खास बात है। यह सूई से नहीं लगाई जाएगी। इसे एक खास डिवाइस के जरिए लगाया जाएगा। जायडस कैडिला का दावा है कि इस मेथड से वैक्सीन लगने की वजह से दर्द नहीं होगा। कंपनी का तो यहां तक दावा है कि इससे वैक्सीन के साइड इफेक्ट भी कम हो सकते हैं। बहुत ज्यादा ठंडे तापमान में भी रखने की जरूरत नहीं फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को बहुत ही ज्यादा ठंड तापमान में रखने की जरूरत होती है। इस वजह से उनके ट्रांसपोर्टेशन और स्टोरेज में तमाम तरह की चुनौतियां होती हैं। इसके उलट कैडिला की इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि इसे आसानी से ट्रांसपोर्ट और स्टोर किया जा सकेगा और वैक्सीन की बर्बादी कम होगी। कोरोना की डीएनए वैक्सीन वाला पहला देश होगा भारत स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘इसने आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी हासिल करने के वास्ते भारत के औषधि महानियंत्रक (Drugs Controller General of India) के सामने अंतरिम आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।' उन्होंने कहा कि अपेक्षित मानक पूरे होने पर जब यह टीका बाजार मे आ जाएगा तब यह देश का, पहला डीएनए आधारित टीका होगा और तब भारत भी ऐसा पहला देश होगा जिसके पास कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए डीएनए आधारित टीका होगा।’ नाक से दिए जाने वाले टीके का भी चल रहा ट्रायल मंडाविया ने बताया कि भारतीय कंपनियों को कोविड-19 रोधी टीकों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया जा रहा है। इसके अलावा नाक से दिए जाने वाले टीके का भी परीक्षण चल रहा है। उन्होंने कहा, ‘मुझे देश के वैज्ञानिकों और कंपनियों पर पूरा भरोसा है।' भारत बायोटेक और कैडिला की वैक्सीन का बच्चों पर भी ट्रायल स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारत बायोटेक और जाइडस कैडिला ने बच्चों पर टीकों का परीक्षण शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि इसमें सफलता मिलेगी और बच्चों के लिए भी टीका उपलब्ध हो जाएगा।

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