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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Sunday, December 27, 2020

मोदी सरकार ने चीनी निवेश को पीछे धकेल दिया, चीनी सैनिकों को नहीं : शिवसेना

मुंबईशिवसेना सांसद ने रविवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने शायद चीनी निवेश को पीछे धकेला होगा, लेकिन वह भारतीय भू-भाग में घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिकों को पीछे धकेल पाने में सक्षम नहीं रही है। शिवसेना के (मराठी) मुखपत्र ‘सामना’ में अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोकटोक’ में राउत ने यह दावा किया। राउत के स्तंभ में कहा गया है, ‘हम चीनी सैनिकों को पीछे धकेलने में अक्षम रहे, लेकिन हमने चीनी निवेश को पीछे धकेल दिया। निवेश बंद करने के बजाय, हमें चीनी सैनिकों को लद्दाख से पीछे धकेलना चाहिए था।’ वहीं, बीजेपी ने शिवसेना के राज्यसभा सदस्य के इस दावे को हास्यास्पद बताया है। महाराष्ट्र बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने कहा, ‘मोदी सरकार को निशाना बनाने का उनका यह एकसूत्री अजेंडा है।’ उपाध्ये ने कहा कि उन्होंने राउत के स्तंभ को अभी नहीं पढ़ा है। हालांकि, उन्होंने कहा, ‘खैर लोग इस तरह के दावे को गंभीरता से नहीं लेते हैं।’ राउत ने यह भी लिखा है कि राज्यों और केंद्र के बीच संबंधों में खटास आई है। उन्होंने लिखा, ‘सच्चाई यह है कि जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता में नहीं हैं, वे भी देश का ही हिस्सा हैं लेकिन उन्हें भुलाया जा रहा है।’ उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी सरकार ने हर नागरिक के लिए प्रति मास कोरोना वायरस राहत पैकेज के तौर पर 85,000 रुपये मुहैया किए हैं लेकिन भारत में इस तरह का राहत पैकेज नहीं लाया गया। उन्होंने लिखा, ‘केंद्र के पास पैसा नहीं है लेकिन चुनाव जीतने के लिए, सरकारें गिराने के लिए और नई सरकार बनाने के लिए पैसा है। देश के ऊपर कर्ज का बोझ राष्ट्रीय राजस्व प्राप्ति से कहीं अधिक है। यदि हमारे प्रधानमंत्री ऐसी स्थिति में भी चैन की नींद सोते हैं, तो वह सराहना के पात्र हैं।’ उन्होंने कहा, ‘महामारी के चलते लोगों की जान चली गई, लेकिन संसद ने अपनी आत्मा गंवा दी। तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी भावनाओं को नजरअंदाज कर रही है और इसके बजाय अयोध्या में राम मंदिर (निर्माण) जैसे भावनात्मक मुद्दे उठा रही है।’ राउत ने कहा, ‘अयोध्या में राम मंदिर के लिए लोगों से चंदा लिया जा रहा। यदि नए संसद परिसर के लिए भी इसी तरह लोगों से चंदा मांगा जाता, तो इस तरह के भवन के लिए एक लाख रुपया भी नहीं एकत्र होता क्योंकि इस तरह के भवन लोगों के लिए अनुपयोगी हो गए हैं।’

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