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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Sunday, December 27, 2020

बंगाल में चुनावी जंग से पहले कौन सी लड़ाई चल रही है? जारी है शह और मात का खेल

नई दिल्लीपश्चिम बंगाल में चुनावी माहौल दिनों-दिन गरम होता जा रहा है। वोटों की जंग में तो अभी कुछ वक्त है लेकिन बंगाल में परसेप्शन की जंग तेजी होती जा रही है। बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के बीच चल रही इस जंग में दोनों तरफ से जीतने की कोशिश हो रही है। दरअसल जो पार्टी समर्थक हैं उनका वोट तो उसी पार्टी को जाएगा लेकिन बड़ी संख्या में वह वोटर होते हैं जो माहौल देखकर तय करते हैं किस पार्टी के पक्ष में वोट डालना है। ऐसे वोटर्स को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए परसेप्शन का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसलिए बंगाल में परसेप्शन की जंग जारी है। बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस दोनों खुद को मजबूत और दूसरी पार्टी को कमजोर दिखाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। परसेप्शन की इस जंग में शह और मात का खेल जारी है। पढ़ें, शुभेंदु का पाला बदलना बीजेपी की बड़ी जीतबीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की स्टाइल के अनुसार ही बीजेपी पश्चिम बंगाल में दूसरी पार्टी के लोगों को तोड़कर अपने साथ ला रही है। हर राज्य में चुनाव से पहले बीजेपी में दूसरी पार्टी से लोगों का आना शुरू हो जाता है। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि हम लोग तोड़ते नहीं है बल्कि बीजेपी के पक्ष में माहौल देखकर लोग खुद बीजेपी से जुड़ना चाहते हैं। पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस में नंबर 2 माने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी सहित तृणमूल कांग्रेस के एक सांसद और 9 विधायकों को पार्टी में शामिल किया। शुभेंदु का बीजेपी में जाना तृणमूल कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक पावरफुल नाम हैं। वह नंदीग्राम आंदोलन के सूत्रधार रहे हैं। उनका असर राज्य की 65 सीटों पर है जो विधानसभा चुनाव को देखते हुए बेहद अहम है। वह तृणमूल कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकते हैं। प्रशांत किशोर फैक्टर से जंग दिलचस्पतृणमूल कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं की संख्या से बीजेपी यह माहौल बनाने की कोशिश कर रही है कि बीजेपी राज्य में लगातार मजबूत हो रही है और का किला ध्वस्त हो रहा है। इसी परसेप्शन की जंग को तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में करने के लिए चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया कि बीजेपी बंगाल में सीटों के मामले में दहाई की संख्या तक भी नहीं पहुंच पाएगी। फिर कहा कि बीजेपी 100 से कम सीटें हासिल करेगी और अगर बीजेपी को इससे ज्यादा सीटें मिलती हैं तो मैं अपना काम (चुनाव रणनीतिकार) छोड़ दूंगा। प्रशांत किशोर ने 2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान में काम किया था। अभी वह पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के लिए चुनावी रणनीति पर काम कर रहे हैं। बीजेपी ने बंगाल में अब की बार 200 पार का नारा दिया है। प्रशांत किशोर के दावे के बाद यह चर्चा भी गरम है कि बीजेपी पश्चिम बंगाल में अपने लक्ष्य को 200 से बढ़ाकर सवा दो सौ कर सकती है ताकि यह संदेश दे सके कि बीजेपी पश्चिम बंगाल को जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है। इससे बीजेपी को अपने पक्ष में माहौल बनाने में मदद मिलेगी। लोकसभा चुनाव के नतीजों से टीएमसी चौकन्ना2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतीं जो विरोधी दलों के लिए झटका भी था और हैरानी भी। बीजेपी पश्चिम बंगाल में अपनी रफ्तार बरकरार रखना चाहती है। इसलिए बीजेपी के सीनियर मंत्री से लेकर नेता तक इस मिशन में जुटे हैं। बीजेपी नेता अमित शाह ने पश्चिम बंगाल दौरे पर ना सिर्फ ममता बनर्जी सरकार पर जमकर निशाना साधा पर बल्कि लोगों को लुभाने की भी भरपूर कोशिश की। उन्होंने बाउल गायल बासुदेव दास के घर पर भोजन किया। बीजेपी जहां इस दांव में एक कदम आगे दिख रही थी वहीं कुछ दिन बाद ही तृणमूल कांग्रेस ने यह दांव बीजेपी पर ही पलट दिया। बासुदेव दास ने तृणमूल कांग्रेस नेता की मौजूदगी में पत्रकारों से कहा कि वह अमित शाह जैसे बड़े व्यक्ति को बाउल कलाकारों की स्थिति के बारे में बताना चाहते थे लेकिन उनसे एक शब्द भी बात करने का मौका नहीं मिला। बासुदेव ने यह भी कहा कि अमित शाह के वहां से जाने के बाद बीजेपी के किसी नेता ने ना तो उनसे बात की और ना ही कोई फिर पूछने आया। बीजेपी का आरोप है कि बासुदेव यह बातें तृणमूल कांग्रेस के दबाव में कह रहे हैं। किस का किस पर दबाव है, इससे इतर यह बात तो साफ है कि पश्चिम बंगाल में चुनाव हो जाने तक इस तरह के दांव-पेंच और शह-मात का खेल लगातार देखने को मिलेगा।

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