नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि का इस्तेमाल असहमति को दबाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। नागरिकों को प्रताड़ित करने और असहमति को दबाने के लिए एंटी टेरर लॉ जैसे आपराधिक कानून का दुरुपयोग गलत है। इंडिया- यूएस जॉइंट समर कॉन्फ्रेंस के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लिबर्टी से वंचित किए जाने की स्थिति में कोर्ट को उसे बचाने के लिए आगे आना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल के दिनों में देशभर में गैर कानूनी गतिविधियों से संबंधित कानून (एंटी टेरर लॉ) के कई मामलों की खासी चर्चा रही है। एंटी टेरर लॉ में आरोपी 84 साल के स्टेन स्वामी की मौत के बाद देश में इसको लेकर काफी बहस देखने को मिली थी। 84 साल के एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी की मौत जेल में हुई थी। उनके खिलाफ भी एंटी टेरर लॉ का केस पेंडिंग था और बॉम्बे हाई कोर्ट में मेडिकल ग्राउंड पर बेल पर सुनवाई होने वाली थी। लेकिन, उनकी मौत जेल में ही हो गई। वहीं, गैर कानूनी गतिविधियों के मामले में हाल में यह काफी चर्चा में रहा है। कुछ दिनों पहले ही असम के नेता अखिल गोगोई को 17 महीने जेल के बाद जमानत मिली है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले महीने तीन एक्टिविस्ट स्टूडेंट को गैर कानूनी गतिविधियों के मामले में जमानत देते हुए सख्त टिप्पणी की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विरोध करना संवैधानिक अधिकार है और इसे आतंकी गतिविधि नहीं कहा जा सकता है और जमानत दे दी थी। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। नहीं होना चाहिए कानून का गलत इस्तेमाल जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एंटी टेरर लॉ सहित अन्य का गलत इस्तेमाल लोगों की असहमति दबाने या फिर नागरिकों को प्रताड़ित करने के लिए नहीं होना चाहिए। कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने जजमेंट का हवाला दिया और कहा कि कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों की लिबर्टी के अधिकार से अगर उन्हें वंचित किया जा रहा है तो उसके खिलाफ कोर्ट को फ्रंट लााइन डिफेंस की तरह बना रहना होगा। अगर किसी की लिबर्टी एक दिन के लिए भी छीनी जाती है तो वह काफी ज्यादा है। संविधान ह्यूमन राइट्स का आदर करने के लिए प्रतिबद्ध अमेरिकन बार एसोसिएशन, सोसायटी ऑफ इंडियन लॉ फर्म और द चार्टर्ड इंस्टिट्यूट ऑफ आरबिट्रेटर्स इंडिया की ओर से 12 जुलाई को आयोजित कॉन्फ्रेंस में चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का आदर्श बहुआयामी संस्कृति, बहुलतावादी समाज है और यहां का संविधान ह्यूमन राइट्स का आदर करने के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट आखिरी कोर्ट है और अपील में लोगों को अधिकार है कि वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकें। लोगों के मौलिक अधिकार को प्रोटेक्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को व्यापक अधिकार मिले हुए हैं।
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