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Tuesday, November 24, 2020

अहमद पटेलः सोनिया का वह सबसे वफादार सिपाही, जिस पर राहुल को भी झुकना पड़ा

कांग्रेस के वफादार सिपाही मांने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। गांधी परिवार के खास माने जाने वाले अहमद पटेल हमेशा ही कांग्रेस के लिए एक खेवनहार के रूप में सामने आए। गांधी परिवार से उनकी नजदीकी साफ थी। कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों में उनके दोस्त और दुश्मन मुख्यत: इसी वजह से बने थे। 71 वर्षीय पटेल (Ahmed Patel dies) भारतीय संसद में गुजरात का 8 बार प्रतिनिधित्व कर चुके थे। तीन बार वह लोकसभा (1977 से 1989) और 5 बार राज्यसभा से चुनकर संसद पहुंचे हैं। गुजरात से वह फिलहाल एकमात्र मुस्लिम सांसद थे। आइए जानते है कांग्रेस और गांधी परिवार की उनके जीवन में क्या महत्ता रही..

Ahmed Patel Dies: 71 वर्ष के अहमद पटेल (Ahmed Patel) का कांग्रेस के शीर्ष परिवार की तीन पीढ़ियों (इंदिरा,राजीव और सोनिया व राहुल) से भरोसे का रिश्ता रहा। कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद कांग्रेस के सीनियर नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद अहमद पटेल (Ahmed Patel Dies) को गुरुग्राम के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।


अहमद पटेलः सोनिया का वह सबसे वफादार सिपाही, जिस पर राहुल को भी झुकना पड़ा

कांग्रेस के वफादार सिपाही मांने जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। गांधी परिवार के खास माने जाने वाले अहमद पटेल हमेशा ही कांग्रेस के लिए एक खेवनहार के रूप में सामने आए। गांधी परिवार से उनकी नजदीकी साफ थी। कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों में उनके दोस्त और दुश्मन मुख्यत: इसी वजह से बने थे। 71 वर्षीय पटेल (Ahmed Patel dies) भारतीय संसद में गुजरात का 8 बार प्रतिनिधित्व कर चुके थे। तीन बार वह लोकसभा (1977 से 1989) और 5 बार राज्यसभा से चुनकर संसद पहुंचे हैं। गुजरात से वह फिलहाल एकमात्र मुस्लिम सांसद थे। आइए जानते है कांग्रेस और गांधी परिवार की उनके जीवन में क्या महत्ता रही..



16 साल तक रहे सोनिया के राजनीतिक सचिव
16 साल तक रहे सोनिया के राजनीतिक सचिव

अहमद पटेल को 10 जनपथ का चाणक्य भी कहा जाता था। वो कांग्रेस परिवार में गांधी परिवार के सबसे करीब और गांधियों के बाद ‘नंबर 2’ माने जाते थे। बेहद ताकतवर असर वाले अहमद लो-प्रोफाइल रखते थे, साइलेंट और हर किसी के लिए सीक्रेटिव थे। गांधी परिवार के अलावा किसी को नहीं पता कि उनके दिमाग में क्या रहता था। गांधी परिवार और प्रधानमंत्रियों से लगातार मिलते रहने के बावजूद उनके साथ पटेल की तस्वीरें बेहद चुनिंदा हैं। राजीव के रहते उन्होंने यूथ कांग्रेस का नेशनल नेटवर्क तैयार किया, जिसका सबसे ज्यादा फायदा सोनिया को मिला। अहमद के आलोचक कहते हैं कि गांधी परिवार के प्रति उनकी न डिगने वाली निष्ठा ही हैं, जिस पर कोई सवाल नहीं उठा सकता। उन्होंने करीब 16 सालों तक सोनिया के राजनीतिक सचिव रहे।



राहुल के अध्यक्ष बनने पर किया गया साइड लाइन
राहुल के अध्यक्ष बनने पर किया गया साइड लाइन

एक समय में कांग्रेस की कमान संभालने के बाद राहुल गांधी ने अहमद पटेल को साइडलाइन करने की भी तैयारी की थी क्योंकि तब पार्टी युवाओं को तरजीह देने की तरफ आगे बढ़ रही थी। तब अहमद पटेल कांग्रेस में कोषाध्यक्ष के पद पर तैनात थे। हालांकि अपने प्रभाव के चलते ये कभी नहीं हो सका और अहमद पटेल की संगठन में मजबूत पकड़ एक बार फिर से सबके सामने आई और वे सोनिया के साथ-साथ राहुल के लिए भी एक मजबूत रणनीतिकार के रूप में उभरकर सामने आए।



निधन पर सोनिया बोलीं- नहीं ले सकता कोई उनकी जगह
निधन पर सोनिया बोलीं- नहीं ले सकता कोई उनकी जगह

सोनिया गांधी ने कहा कि मैंने एक वफादार सहयोगी, एक दोस्त और एक ऐसे कॉमरेड को खो दिया, जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता है। मैं उनके निधन पर शोक व्यक्त करती हूं और मैं उनके शोक संतप्त परिवार के लिए को सांत्वना देती हूं। अहमद पटेल के परिवार के प्रति सहानुभूति और समर्थन की सच्ची भावना प्रदान करती हूं।



गांधी परिवार के हमेशा रहे विश्वासपात्र
गांधी परिवार के हमेशा रहे विश्वासपात्र

अहमद पटेल का ये क़द सिर्फ़ इसलिए नहीं बड़ा था कि वो तीन बार लोकसभा में कांग्रेस के सांसद रहे और पांच बार कांग्रेस की तरफ़ से राज्यसभा सांसद रहे, बल्कि कांग्रेस के सबसे शीर्ष परिवार यानी गांधी परिवार के प्रति उनकी वफ़ादारी से उन्हें ये क़द हासिल हुआ। बात 1977 की है जब कांग्रेस की हार के घावों से जूझ रहीं इंदिरा गांधी को अहमद पटेल और उनके साथी सनत मेहता ने अपने चुनाव क्षेत्र भरूच बुलाया, इंदिरा गांधी की वापसी की कहानी की शुरुआत इसी दौरे से हुई थी। लेकिन अहमद पटेल कांग्रेस की पहली पंक्ति में 1980 और 1984 के बीच आए जब इंदिरा गांधी के बाद ज़िम्मेदारी संभालने के लिए बेटे राजीव गांधी को तैयार किया जा रहा था, तब शर्मीली शख्सियत वाले अहमद पटेल राजीव गांधी के क़रीब आए।



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