चंद्रयान-2, भारत का सबसे महत्वाकांक्षी दूसरा चंद्र अभियान 15 जुलाई को सुबह तड़के लॉन्च किया जाएगा। सफल लॉन्चिंग के बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 के लैंड करने में करीब 2 महीने का वक्त लगेगा। यह अपनी तरह का पहला अभियान होगा जो यह चंद्रमा के दक्षिण-ध्रुवीय क्षेत्र में एक पूरी तरह से अस्पष्टीकृत खंड पर प्रकाश डालेगा। चंद्रयान -2 को भारत के सबसे ताकतवर रॉकेट GSLV MK-3 का इस्तेमाल कर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (GSLV Mk-III) को लॉन्च व्हीकल मार्क 3 के रूप में भी जाना जाता है। इसरो द्वारा विकसित जीएसएलवी एमके III एक तीन चरण का भारी लिफ्ट प्रक्षेपण यान है, और इससे भारी उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च करने के लिए बनाया गया है। GSLV MK III द्वारा पहला सफल कक्षीय प्रक्षेपण 5 जून 2017 को आयोजित किया गया था, जब इसने GSAT-19 नामक एक प्रयोगात्मक भूस्थिर संचार उपग्रह लॉन्च किया था। चंद्रयान-2 मिशन की खास बात यह है कि इस बार यह चांद की सतह पर उतरेगा। 2008 में लॉन्च हुआ चंद्रयान-1 चंद्रमा की कक्षा में गया जरूर था लेकिन वह चंद्रमा पर उतरा नहीं था। उसे चांद की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कक्षा में स्थापित किया गया था।
via WORLD NEWS
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