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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Saturday, December 4, 2021

सिरोही में आया 'बहरूपिया', बताया सिनेमा ने कितनी बदल दी उनकी दुनिया


सिरोही
आइए मिलते हैं आज ऐसे आम शख्स है , जो सिर्फ लोगों को हंसाने और आईना दिखाने का काम करते हैं। दरअसल हम आए दिन राजनेता, ब्यूरॉकेट्स या फिर बड़ी-बड़ी सेलिब्रिटी के इंटरव्यू देखते हैं और उन्हें कवर भी करते हैं, मगर एक इंसानियत का ऐसा कुनबा भी हमारे बीच मौजूद है, जिन्हें लोग दिन-ब-दिन भूलते जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं बहरूपिया की। बहरूपिया कला आज से कई दशकों पहले लोगों के मनोरंजन का एक मात्र साधन हुआ करता था। मगर 21वीं सदी के साथ बढ़ते आधुनिकरण के कारण लोगों ने मनोरंजन के तरीके बदल दिए। अब तो बच्चे इंटरनेट की दुनिया के जाल में इस कदर फंसते जा रहे हैं कि उन्हें वास्तविक हंसने हंसाने या खेलना ही भूल रहे है। आज बच्चे बहरूपिया के बारे में शायद ही जानते होंगे।

आजीविका के लिए मुखड़ा पहनते....
वैसे कोरोना की मार ने हर किसी को आर्थिक रूप से जख जोड़ दिया है। इन लोगों की भी हालत बद से बदतर हो गई है। फिर भी ये लोग मनोरंजन की दुनिया में दुनिया को हंसाने का काम कर रहे है। इन बहरूपिया का कहना है कि हम तो आजीविका के लिए मुखड़ा पहनते हैं, मगर इस दुनिया में तो हर कोई बहरूपिया की तरह है। इस कला के जरिए वह संदेश दे रहे हैं कि एक रूप में सरल जीवन जीना चाहिए। बैहरूपिया जीवन जीना कितना मुश्किल होता है यह बात हमसे ज्यादा कोई नहीं जानता। आइए सुनते है क्या कुछ कह इस बहरूपिया सीकर के अनिल ने हमारे संवाददाता शरद टाक से।


via WORLD NEWS

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