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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Thursday, December 30, 2021

पति पत्नी के विवाद में बच्चे को दिक्कत नहीं होनी चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने हर महीने 50 हजार रुपये देने का दिया निर्देश

नई दिल्ली वैवाहिक रिश्तों में कटुता पैदा होने से बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि माता पिता के बीच विवाद के कारण बच्चे को कठिनाईं नहीं होना चाहिये। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने सेना के एक अधिकारी को उसके 13 साल के बेटे के वयस्क होने तक उसकी देखभाल और भरण-पोषण करने का निर्देश दिया । सैन्य अधिकारी का विवाह विच्छेद करते हुये जस्टिस एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने अधिकारी को अपनी पत्नी को 50 हजार रुपये बतौर भरण-पोषण भत्ता देने का भी निर्देश दिया । 2011 से साथ में नहीं रह रहे थे पति-पत्नी शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पति और पत्नी दोनों मई 2011 से साथ में नहीं रह रहे हैं , इसलिए, यह कहा जा सकता है कि उनके बीच विवाह टूट चुका है जिसमें सुधार नहीं हो सकता है। पीठ ने कहा, ‘‘यह भी बताया गया है कि पति ने पहले ही दूसरी शादी कर ली है । शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का प्रयोग करके परिवार अदालत द्वारा पारित डिक्री में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं है। दायित्व और जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, साथ ही, पति को बेटे को वयस्क होने तक उसके दायित्व और जिम्मेदारी से मुक्त नहीं किया जा सकता है। पति-पत्नी के बीच चाहे जो भी विवाद हो, संतान को इससे कठिनाईं नहीं होना चााहिये ।’’ पीठ ने कहा, ‘‘बच्चे:बेटे के वयस्क होने तक उसका दायित्व उसके पिता की जिम्मेदारी है ।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि (इस मामले में) मां कुछ भी नहीं कमा रही है और इसलिए, बेटे की शिक्षा आदि सहित उसके भरण-पोषण के लिए उचित/पर्याप्त राशि की आवश्यकता है, जिसका भुगतान पति को करना होगा। हर महीने 50 हजार रुपये पत्नी को देने का आदेश अदालत ने कहा, ‘‘उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए और ऊपर बताए गए कारणों के लिए, अपीलकर्ता-पत्नी और पति के बीच विवाह के विघटन के डिक्री की पुष्टि करके वर्तमान अपील का निपटारा किया जाता है।’’ पीठ ने अपने हालिया फैसले में कहा, ‘‘इसलिये पति को दिसंबर 2019 से बेटे के भरण पोषण के लिये हर महीने 50 हजार रुपये पत्नी को देने का आदेश दिया जाता है ।’’ दोनों का विवाह 16 नवंबर 2005 को हुआ था । पत्नी ने सैन्य अधिकारियों के समक्ष पति के खिलाफ कई शिकायत दर्ज करायी थी जिसमें विवाहेत्तर संबंध की शिकायत भी है । सेना के अधिकारियों ने उस अधिकारी के खिलाफ एक जांच शुरू की थी जिसमें उन्हें दोषमुक्त करार दिया गया था ।

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