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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Thursday, October 7, 2021

NGT पर्यावरण से जुड़े किसी मामले में ले सकता है स्वत: संज्ञान? सुप्रीम कोर्ट ने क्या सुनाया फैसला

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एनजीटी के पास पर्यावरण संबंधित मामले में स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एनजीटी के पास पर्यावरण संबंधित किसी मामले में स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति निहित है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर की अगुवाई वाली बेंच के सामने यह सवाल था कि क्या एनजीटी किसी मामले में खुद से संज्ञान ले सकता है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट, लेटर के आधार पर एनजीटी संज्ञान ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान संजय पारिख ने दलील दी थी कि पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए एनजीटी के पास आदेश पारित करने का अधिकार है। ऐसे में वह स्वयं संज्ञान लेकर अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सकता है। वहीं कोर्ट सलाहाकर आनंद ग्रोवर, सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने इस दलील का विरोध किया था और कहा था कि संवैधानिक कोर्ट ही संज्ञान ले सकता है। एनजीटी को कानून के दायरे में काम करना होगा। वहीं अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कहा कि एनजीटी के पास खुद किसी मामले में संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है। जब कोर्ट ने सवाल किया कि यदि पर्यावरण संबंधित कोई जानकारी दी जाती है तो क्या वह प्रक्रिया शुरू करने के लिए बाध्य होगा? इस दौरान भाटी की दलील थी कि कोई लेटर मिलने पर ट्रिब्यूनल को संज्ञान लेने का अधिकार होगा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई थी कि क्या एनजीटी को किसी मामले में खुद से संज्ञान लेने का अधिकार है? म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ग्रेटर मुंबई ने अर्जी दाखिल कर कहा था कि एनजीटी ने अपशिष्ट निपटान का आदेश दिया था और वह मीडिया रिपोर्ट पर आधारित मामले में संज्ञान लिया था। म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एनजीटी के आदेश को चुनौती दी थी। वहीं एक और मामला केरल खदानों को लेकर था। इस मामले में केरल हाई कोर्ट ने कहा था कि एनजीटी को संज्ञान लेने का अधिकार है तब मामला सुप्रीम कोर्ट आया था।

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