लंदन भारत से हजारों करोड़ रुपये का घोटाला करके भागे हीरा व्यापारी को प्रत्यर्पित करने के लिए ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। नीरव लंबे वक्त से लंदन के कोर्ट में इसके खिलाफ अपील कर रहा था और बचने की कोशिश में था। हालांकि, फरवरी में आए एक फैसले में कोर्ट ने उसकी सभी दलीलें खारिज कर दीं और अब सरकार की ओर से भी उसे झटका लगा है। अब क्या विकल्प? हालांकि, अभी भी नीरव के पास एक विकल्प बचा हुआ है। दरअसल, कोर्ट ने नीरव के खिलाफ मिले सबूतों को पर्याप्त बताया था और प्रत्यर्पण का फैसला गृह विभाग को भेजा था। CBI अधिकारी के मुताबित ब्रिटेन की सेक्रटरी ऑफ स्टेट प्रीति पटेल ने उसे प्रत्यर्पित करने पर मुहर लगा दी है। अब नीरव के पास 14 दिन का वक्त है जिसमें वह हाई कोर्ट के पास अपील कर सकता है। अगर हाई कोर्ट ने प्रत्यर्पण का फैसला नहीं बदला तो हीरा व्यापारी को भारत लाया जाएगा। खारिज सब दलीलें ब्रिटिश पुलिस ने मार्च 2019 को उसे लंदन से गिरफ्तार किया और तब से उसने कई बार जमानत के लिए आवेदन किए लेकिन वेस्टमिंस्टर अदालत और लंदन उच्च न्यायालय ने उन्हें खारिज कर दिया। नीरव ने कोर्ट में मानसिक स्वास्थ्य से लेकर भारत में मुंबई की आर्थर रोड जेल में खराब व्यवस्था तक का दावा किया लेकिन कोर्ट ने इन्हें नहीं माना। ब्रिटेन के जज ने कहा कि नीरव मोदी के लिए आत्महत्या का कोई खतरा नहीं है, अगर उसे भारत भेजा जाता है, तो आर्थर रोड जेल में उसे पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी। किए कई नाटक, सब फेल मामले की एक सुनवाई के दौरान नीरव मोदी सुनवाई के दौरान अधिकांश समय बेजान नजर आ रहा था। इसे देखते हुए एक समय अदालत ने सुनवाई रोक कर जांच करने को कहा कि क्या वीडियो संपर्क टूट गया है। अदालत ने नीरव को समय-समय पर कुछ हावभाव दिखाने को कहा ताकि अदालत आश्वस्त हो सके कि वह कार्यवाही से जुड़ा हुआ है। इसके बाद केस की सुनवाई उसकी मानसिक हालत के इर्द-गिर्द रहीं। 'उसी जेल में आतंकी को रखा' नीरव मोदी के वकीलों ने यह दावा भी किया था कि उनका मुवक्किल 'मीडिया ट्रायल' का विषय रहा है और भारत में उसकी निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकेगी। दावा किया कि आर्थर रोड जेल एक आतंकवादी को रखा गया था। इसलिए उसे पूरी तरह से ढक दिया गया था। इसके साथ ही बैरक में गर्मी के अलावा नमी, धूल, कीड़े मकौड़ों जैसी अन्य समस्याएं भी हैं। क्या था मामला? सीबीआई ने 31 जनवरी 2018 को नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिनमें पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के तत्कालीन अधिकारी भी शामिल थे। यह प्राथमिकी बैंक की शिकायत पर दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने आपराधिक साजिश रच फर्जी तरीके से सार्वजनिक बैंक से ‘लेटर ऑफ अंडरटेकिंग’ जारी कराए। लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के मध्यम से बैंक विदेश में तब गांरटी देता है जब ग्राहक कर्ज के लिए जाता है। देश छोड़कर कब भागा? इस मामले में पहला आरोप पत्र 14 मई 2018 को दाखिल किया गया जिसमें मोदी सहित 25 लोगों को आरोपी बनाया गया जबकि दूसरा आरोप पत्र 20 दिसंबर 2019 को दाखिल किया गया जिसमें पूर्व के 25 आरोपियों सहित 30 को नामजद किया गया। नीरव मोदी सीबीआई द्वारा प्राथमिकी दर्ज किए जाने से पहले ही एक जनवरी 2018 को देश छोड़कर भाग गया था। इसके बाद जून 2018 में सीबीआई के अनुरोध पर इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेडकॉर्नर नोटिस जारी किया।
No comments:
Post a Comment