ढाका पीएम नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 1971 के बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में जान गंवाने वाले भारतीयों के सम्मान में बनने वाले पहले स्मारक की शनिवार को संयुक्त रूप से आधारशिला रखी। कोविड-19 महामारी फैलने के बाद पहली बार पहली विदेश यात्रा पर बांग्लादेश आए मोदी ने घोषणा की कि भारत मुक्ति संग्राम में भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल किये गए सैन्य उपकरण बांग्लादेश के संग्रहालयों के लिए दान करेगा। भारतीय शहीदों की याद में बनने जा रहे इस पहले स्मारक का निर्माण आशुगंज कस्बे में किया जाएगा। दोनों पड़ोसी देशों ने 6 दिसंबर को मैत्री दिवस के तौर पर मनाने का भी फैसला लिया है। इसी दिन भारत ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी थी। आपको बता दें कि भारत बांग्लादेश को मान्यता देने वाला पहले देशों में एक था। बांग्लादेश की आजादी के मैंने सत्याग्रह किया पीएम मोदी ने बांग्लादेश दौरे के दौरान कहा कि यहां पाकिस्तान की सेना ने जो जघन्य अपराध और अत्याचार किए, उनकी तस्वीरें विचलित करती थीं और भारत में लोगों को कई-कई दिन तक सोने नहीं देती थीं। पीएम मोदी ने कहा, 'बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था। मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था।'
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