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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Saturday, February 13, 2021

लोग कोर्ट जाकर पछताते हैं, न्याय प्रणाली जर्जर है... खुलकर बोले पूर्व CJI गोगोई

नई दिल्लीदेश की न्याय व्यवस्था पर अक्सर उंगलियां उठती रहती हैं। कहा जाता है कि न्याय पाने के लिए इतनी एड़ियां घिसनी होती है कि उसका लक्ष्य ही धूमिल हो जाता है। देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने भी इसी बात पर मुहर लगाते हुए कहा कि हमारी न्याय प्रणाली काफी बोझिल और घिसी पिटी है जो अक्सर वक्त पर न्याय देने में असफल रहती है। कोर्ट जाने के फैसले पर पछताते हैं लोग: गोगोई राज्यसभा सांसद बन चुके गोगोई ने कहा कि भारत की न्याय प्रणाली इस कदर जर्जर हो चुकी है कि लोग अदालत जाकर पछताने लगते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अब अदालतें आम आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई हैं और सिर्फ धनी और कॉर्पोरेट वर्ल्ड के लोग ही कोर्ट का रुख करना चाहते हैं। उन्होंने न्यायपालिका के सदस्यों से हालात बदलने की दिशा में कदम उठाने की अपील करते हुए कहा कि मौजूदा प्रणाली कई कारणों से काम नहीं कर पा रही है, इसलिए जजों की नियुक्ति और उनकी ट्रेनिंग के तरीके में तुरंत बदलाव लाने की जरूरत है। जस्टिस गोगोई ने जजों की नियुक्ति में लेट-लतीफी को भी इस समस्या का एक बड़ा कारण करार दिया। "सिर्फ कॉर्पोरेट वर्ल्ड ही अदालत में लेना चाहता है चांस" जब उनसे पूछा गया कि जो लोग उनको बार-बार निशाना बना रहे हैं और तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं, क्या वो उनके खिलाफ मुकदमा दायर करेंगे, जस्टिस गोगोई ने कहा, "अगर आप कोर्ट जाएंगे तो यही होगा कि इन तोहमतों पर आपकी कोर्ट में भी खिंचाई होगी, न कि न्याय मिलेगा।" गोगोई यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, "मुझे ऐसा कहने में कोई हिचक नहीं है। कोर्ट कौन जाता है। अगर आप अदालत गए तो पछताएंगे। आप कॉर्पोरेट वर्ल्ड से हैं तो एक मौका तलाशने कोर्ट जाते हैं। अगर जीत गए तो करोड़ों रुपये आ जाएंगे..." मजबूत न्यायपालिका के बिना विदेशी निवेश नहीं: गोगोई जस्टिस गोगोई ने कहा, "हम पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं लेकिन हमारे पास जर्जर न्यायपालिका है... 2020 में जब न्यायपालिका समेत हरेक संगठन का कामकाज बिल्कुल मंद पड़ गया तो निचली अदालतों में 60 लाख जबकि विभिन्न हाई कोर्ट्स में करीब 3 लाख जबकि सुप्रीम कोर्ट में करीब छह से सात हजार नए केस आ गए। वक्त आ गया है कि हमें एक रोडमैप बनाना ही होगा। न्यायपालिका प्रभावी तौर पर काम करे, इसके लिए यह बहुत जरूरी है जो हो नहीं पा रहा है।" "एक दुरुस्त रोडमैप की सख्त दरकार" उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश लाने के लिए देश में मजबूत न्यायपालिका की बहुत जरूरत होती है ताकि कारोबारी विवादों को वक्त पर निपटाया जा सके। गोगोई ने कहा, "सिस्टम ने काम नहीं किया है। अगर आप अर्थव्यवस्था पर दांव लगाना चाहते हैं तो आपके पास कारोबारी विवादों को निपटाने का मजबूत मंच होना चाहिए। अगर आपके पास एक मजबूत तंत्र नहीं है तो कोई भी आपके यहां निवेश नहीं करने वाला। मेकनिजम कहां है? कमर्शल कोर्ट्स ऐक्ट के दायरे में सारे कारोबारी विवादों को लाया गया है, लेकिन यहां सुनवाई कौन कर रहा है? वही जज जो सामान्य कामकाज निपटाता है। मुझे नहीं लगता है कि हमने (सिस्टम सुधारने की दिशा में) शुरुआत की है। मैं जजों से अपील करता हूं कि वो एक रोडमैप बनाने के लिए आगे आएं।" "बढ़ रही है दूसरों की छवि खराब करने की प्रवृत्ति" राज्यसभा सांसद ने नई विकसित हो रही प्रवृत्तियों पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि आज ताकतवर और चीखने-चिल्लाने वाले लोग जजों समेत अन्य दूसरे लोगों की छवि खराब करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ जज इनका निशाना बनने के बाद टूट जाते हैं। उन्होंने किसान आंदोलन और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) विरोधी आंदोलन पर सवालों के जवाब में कहा कि कुछ राजनीतिक कानूनी समाधान करने होंगे और अदालतों को भी इन मुद्दों को देखना होगा।

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