नई दिल्ली कांग्रेस पार्टी के सबसे ताकतवर चेहरों में से एक इस समय कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव (प्रशासन) के पद पर हैं। 90 साल के वोरा 1985 में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वह 1993 से 1996 तक यूपी के राज्यपाल भी रहे हैं। 12 वीं लोकसभा के सदस्य रहे और इस समय राज्यसभा सदस्य हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहते हुए यूपी के प्रभारी भी रहे थे। कांग्रेस में के त्यागपत्र के बाद उनका नाम पार्टी के संभावित अंतरिम अध्यक्ष के रूप में लिया जा रहा है। उनका कहना है कि राहुल के त्यागपत्र के बाद जो चुनौतियां हैं, उनका हम डटकर मुकाबला करेंगे। एनबीटी से बातचीत में मोतीलाल वोरा ने न केवल कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर चर्चा की बल्कि यूपी में कांग्रेस को फिर से उभारने के नुस्खे भी बताए। सवाल-कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर नई नियुक्ति कब तक होगी ? जवाब- वर्किंग कमिटी की बैठक में अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। इसकी बैठक इसी सप्ताह हो सकती है। इसमें मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा। सवाल- कांग्रेस को मजबूत करने के लिए आपकी राय क्या है? जवाब-पार्टी का बूथ, ब्लॉक, जिला और प्रदेश स्तर पर कमिटियों का जो भी ढांचा है, उन्हें फिर से सक्रिय करना होगा। चुनौती बड़ी है, हम हार से हताश जरूर हैं मगर हिम्मत नहीं हारी है। 2017 के बाद राहुल गांधी ने जनता से जुड़े मुद्दे उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। हमने इतने मुद्दे उठाए मगर बीजेपी ने राष्ट्रवाद, पुलवामा, बालाकोट और हिंदुत्व के नाम पर देश की जनता को भ्रम में डाला। इन सबके बावजूद हम अपने उसूलों पर कायम हैं। हम उन मुद्दों से पीछे हटने वाले नहीं हैं। सवाल-यूपी में कांग्रेस पिछले तीन दशक से वापस नहीं आई है, आप क्या कहना चाहेंगे? जवाब-यूपी में सभी कमिटियां भंग हो गई हैं। अब उन्हें जल्द से जल्द नए सिरे से गठित कर सक्रिय करना होगा। 2022 को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवारों का चयन चुनावों से काफी पहले घोषित करना होगा ताकि वे जनता के लिए अजनबी ना हों। बूथ कमिटी कागजों में नहीं होनी चाहिए, जैसे 1200 वाले बूथ पर जिम्मेदारी तय करनी होगी कि ये वोट लाने की जिम्मेदारी नामित कार्यकर्ता की है। ऐसे समर्पित कार्यकर्ताओं की कांग्रेस में कमी नहीं है। सवाल- पैराशूट प्रत्याशी को उतारने के चलन से कब मुक्ति मिलेगी? जवाब- मैं पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता को टिकट देने का पक्षधर हूं। मैंने यूपी में कांग्रेस के महासचिव का जिम्मा संभाला है। पार्टी में प्रत्याशी ऐसा होना चाहिए, जिसका मतदाताओं से सीधा संपर्क हो। पार्टी को उभारने में हमेशा दो ही फैक्टर काम करते हैं, मजबूत बूथ मैनेजमेंट और सही तरीके से प्रत्याशी का चयन हो। सवाल-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के नाते आप अपने कार्यकर्ताओं से क्या कहना चाहेंगे? जवाब-जो भी कमिटियां भंग हुई हैं, उनका पुनर्गठन अच्छे तरीके से होना चाहिए। पार्टी के अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी ऐसे नेता रहे, जिन्होंने जमीनी नेताओं से सीधे संपर्क किया। चुनावों में जीत भी होती है और हार भी होती है। हार से घबराने की जरूरत नहीं है। जो चुनौतियां त्यागपत्र के बाद आई हैं, उन्हें फौरी तौर पर ना देखें। हर कार्यकर्ता को जगाना होगा। एक बार कार्यकर्ता जोश में आ गए तो उन्हें कोई रोक नहीं सकता।
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