लोगों में आम धारणा यह होती है की परछाई कभी आपका साथ नहीं छोड़ती, लेकिन यह गलत है। साल में दो बार ऐसा मौका आता है जब परछाई भी आपका साथ छोड़ देती है। जब ऐसा होता है तो इस प्रक्रिया को 'शून्य परछाई दिवस' के रूप में मनाया जाता है। पुणे में लोगों ने 13 मई के दिन इस बात का अनुभव किया। पुणे के लोगों ने ज्योतिर्विद्या परिसंस्था की तरफ से तिलक स्मारक मंदिर में कुछ देर के लिए यह देखा की सूर्या ठीक उनके सर के ऊपर है और इस समय उनकी परछाई नहीं बन रही थी।
via WORLD NEWS
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