UDF, CPM के नेतृत्व वाले LDF और BJP के नेतृत्व वाले NDA के लिए केरल की 20 सीटों को देखते हुए लड़ाई करो या मरो जैसी है। यहां सबरीमाला और राजनीतिक हिंसा का मुद्दा हावी है जबकि इन सबमें LDF बैकफुट पर नजर आ रहा है। वहीं, BJP सबरीमाला मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विपरीत जाकर लोगों के बीच अपनी मजबूत पैठ जमाने की कोशिश में जुटी हुई है। सबरीमाला मुद्दे पर गैर-लोकप्रिय स्थिति के साथ CM पिनराई विजयन ने हिंदू वोट को राज्यभर में विभाजित कर देने का लक्ष्य तय किया था। CPM को उम्मीद थी कि उच्च जाति के हिंदुओं के अलग होने के साथ ही निचले तबके वाला हिंदू एकजुट हो जाएगा। कुछ इसी तरह का गणित अल्पसंख्यक वर्गों के बीच जीत हासिल करने के लिए रखा गया था। इसके पीछे का अंकगणित कुछ इस तरह का था कि बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक वर्ग और हिंदुओं की आधी संख्या जुड़कर मजबूत सत्तारूढ़ गठबंधन स्थापित करेगा। पिछले तीन हफ्तों में LDF का अभियान पिनराई विजयन सरकार द्वारा लोगों की सहूलियत के लिए शुरू की गईं पहल के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। वहीं, नैशनल लेवल पर RSS मुख्य रूप से निशाने पर है। बीफ बैन और संदिग्ध बीफ ग्राहकों के साथ हुई मारपीट चुनाव के वक्त असर डाल सकती है। तिरुवनंतपुरम और पथनमित्ता, जहां पर सबरीमाला के मुद्दे ने खासतौर पर बहुसंख्यकों को प्रभावित किया है, वहां पर BJP को एक बड़े फेरबदल की उम्मीद है।
via WORLD NEWS
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