याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के वी विश्वनाथन ने कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता दी जानी चाहिए। ऐसे जोड़ों को विवाह के अधिकार से वंचित करने के लिए बच्चा पैदा करने का वैध आधार नहीं है। इस मामले में दलीलें अभी पूरी नहीं हुई हैं और अगली सुनवाई 24 अप्रैल को दोबारा शुरू होगी।
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