सागरः मध्य प्रदेश के राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत बुधवार को अपने नाम के अनुरूप गोविंद रूप में नजर आए। वे हर साल की तरह अपने विधानसभा क्षेत्र सुरखी के जैसीनगर में गोवर्धन मंदिर पर आयोजित मेले में पहुंचे थे। राजपूत ने गोवर्धन भगवान की पूजा अर्चना कर क्षेत्रवासियों की सुख समृद्धि की कामना की। साथ ही उन्होंने दिवाली गाया और जमकर डांस भी किया।तेल जले बाती जले नाम दिया को होए, लल्ला खेले काऊ को नाम पिया को होए- गोविंद सिंह राजपूत ने जैसे ही यह तान भरी, लोगों का शोर आसमान पर पहुंच गया। इसके बाद उन्होंने हाथ में मोरपंख लेकर जमकर नृत्य भी किया।
गोविंद सिंह ने जो गाया, उसे बुंदेलखंड में दिवाली कहते हैं। इसकी हजारों साल पुरानी परंपरा है। दिवाली गीतों का चलन 10वीं शताब्दी से माना जाता है। कहते हैं द्वापर युग में कालिया के मर्दन के बाद ग्वालों ने भगवान कृष्ण का असली रूप देख लिया था। मान्यता है कि इसके बाद भगवान ने उन्हें गाय का महत्व बताया था। इसमें गाय को 13 साल तक बिना बोले मौन रहते हुए चराने की परंपरा है। आज भी यह परंपरा मानी जाती है।
एक और मान्यता है कि भगवान कृष्ण गोकुल में गोपियों के साथ दिवाली नृत्य कर रहे थे। इस दौरान गोकुलवासी भगवान इंद्र की पूजा करना भूल गए। नाराज होकर इंद्र ने वहां जबरदस्त बारिश करा दी, जिससे बाढ़ की स्थिति बन गई। भगवान कृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुल की रक्षा की। तभी से गोवर्धन पूजा और दिवाली नृत्य की परम्परा चली आ रही है।
हालांकि, मौजूदा माहौल में इसके राजनीतिक मतलब भी निकाले जा रहे हैं। गोविंद सिंह राजपूत ने जो गीत गाया, उसका मतलब यह है कि काम कोई करे और क्रेडिट किसी और को मिले। जिले की राजनीति में इनका यह गीत एक इशारा ही लग रहा है। सिंधिया समर्थकों की बनाई भाजपा सरकार में गोविंद सिंह के क्षेत्र में उन्हीं के खिलाफ विरोध को इंगित करता दिखाई दे रहा है। बता दें कि सुरखी क्षेत्र में पुराने भाजपा नेता राजकुमार सिंह धनोरा को हाल ही में पार्टी से 6 वर्ष के लिए निष्कासित किया गया था। इसके बाद से राजकुमार इलाके में क्षेत्रीय विधायक की मांग को लेकर लगातार जनसंपर्क में जुटे हैं। धनोरा ने कहा है कि नए लोगों को पार्टी में शामिल किए जाने के बाद से उनके जैसे पुराने भाजपाइयों से कीड़े-मकोड़ों की तरह व्यवहार किया जा रहा है।
via WORLD NEWS
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