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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Friday, April 22, 2022

Fauzia Khan topchi :अजमेर की पहाड़ी पर रखी है 250 किलो की तोप, फोजिया 8 साल की उम्र से दाग रही गोले


अजमेर: यूं तो जंग के मैदान में आपने जवानों को दुश्मनों पर तोप दागते देखा ही होगा। लेकिन आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसी लड़की की कहानी जो न तो फौज में है न पुलिस में, लेकिन घरेलू काम काज के साथ-साथ वो तोप भी बखूबी दागती है। इस लड़की का नाम फोजिया है। फोजिया अजमेर शहर की रहने वाली है।

फोजिया जब 8 साल की थी तभी से उसे तोफ दागना शुरू कर दिया था। आज फोजिया को लोग फोजिया तोपची के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, फोजिया कई सालों से अजमेर दरगाह से जुड़ी है और यहां की धार्मिक रस्मों के वक्त तोप दागने का काम वही देखती है।

कोई मेहनताना नहीं, नजराने से चलता है बारूद का खर्चा
35 वर्षीय फोजिया बताती है कि यह काम उसे परिवार की पुस्तैनी परंपरा के तौर पर विरासत में मिला है। यूं तो फोजिया घर चलाने के लिए अजमेर में एक छोटीसी दुकान भी चलाती है और उसी से गुजारा चलता है। लेकिन दरगाह के लिए तोप चलाने के बदले उसे किसी तरह का मेहनताना नहीं मिलता। हालांकि तोप के लिए बारूद का खर्चा दरगार से मिलने वाले नजराने से चल जाता है।

पहाड़ी पर रखी है 250 किलो की तोप
फोजिया बताती है कि उनके पास 250 किलो वजनी तोप है। यह पहाड़ी पर रखी है। इसमें कभी शिकार के काम में आने वाला बारूद भरा जाता है। दरगाह के ठीक सामने वाली पहाड़ी पर रहने वाली फोजिया खान यहीं से ख्वाजा गरीब नवाज की खिदमत तोप दागती है।

तोप से ही उर्स का आगाज, साल में 290 बार तोप की सलामी

गरीब नवाज के उर्स का आगाज भी इसी तोप के धमाके के साथ होता है। साथ ही दरगाह की कई रस्मों की शुरुआत का संदेश भी जायरीन तक इसी तोफ के धमाके से होता है। चांद दिखने पर कभी तीन बार तो कभी 5 बार तोप दागी जाती है। उर्स के झंडे की रस्म के दौरान 21 तोप, उर्स की छुट्टी पर 6 तोप और रमजान के महीने में सेहरी के वक्त और सेहरी खत्म होने पर भी रोजाना एक-एक बार तोप चलाई जाती है। इस तरह पूरे साल भर में कुल 290 तोपों की सलामी दी जाती है।

8 की उम्र में चलाना सीखा तोप, अब ताउम्र खिदमत करने का फैसला

फोजिया ने बताया कि 8 साल की उम्र से ही तोप चलाने का काम करती आ रही हूं। दरअसल, उनका परिवार पिछले 8 पीढ़ियों से तोप चलाने का कार्य कर रहा है। वो बताती है कि मोरूसी अमले के लोग लाल रंग का झंडा दिखाते थे और उसे देखकर वह तोप चलाती है। एक तरफ तोप की आवाज आती है। दूसरी तरफ दरगाह में रस्म की शुरुआत होती है। सबसे खास बात यह है कि फोजिया ने ताउम्र इसी तरह तोपची का कार्य कर ख्वाजा साहब की खिदमत करते रहने का प्रण लिया है। (अजमेर से दिनेश गहलोत की रिपोर्ट)


via WORLD NEWS

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