बेंगलुरु: हिजाब विवाद में छात्राओं की तरफ से लड़ रहे एडवोकेट देवदत्त कामत () ने मंगलवार को कनार्टक हाई कोर्ट (Karnataka high court) में रुद्राक्ष और कई देशों के अलग-अलग मामलों का उदाहरण दिया। उन्होंने अपनी दलील में कहा कि हिजाब धार्मिक पहचान न होकर सुरक्षा का बोध कराता है। इसके लिए उन्होंने रुद्राक्ष का उदाहरण देते हुए कहा कहा कि कोर्ट में वकील और जज भी ऐसी चीजें पहनकर आते हैं, हिजाब भी ऐसे ही है। मामले में अगली सुनवाई बुधवार 16 फरवरी को फिर होगी। 'जब मैं स्कूल और कॉलेज में था तो रुद्राक्ष पहनता था'छात्राओं की ओर हिजाब के पक्ष में एडवोकेट देवदत्त कामत ने मंगलवार को कई तर्क दिए। उन्होंने साउथ अफ्रीका और कनाडा के कई मामलों की बात की। बाद में उन्होंने कहा कि जब मैं स्कूल और कॉलेज में था तो रुद्राक्ष पहनता था। यह मेरी धार्मिक पहचान को दिखाने के लिए नहीं था। यह विश्वास का अभ्यास था क्योंकि इसने मुझे सुरक्षा प्रदान की। हम कई न्यायाधीशों और वरिष्ठ वकीलों को भी चीजें पहने हुए देखते हैं। इसका मुकाबला करने के लिए यदि कोई शॉल पहनता है तो आपको यह दिखाना होगा कि यह केवल धार्मिक पहचान का प्रदर्शन है या कुछ और है। यदि इसे हिंदू धर्म हमारे वेदों या उपनिषदों द्वारा अनुमोदित किया गया है तो अदालत इसकी रक्षा करने के लिए बाध्य है। दक्षिण अफ्रीका के नोज पिन केस का उदाहरण कामत ने दक्षिण अफ्रीका में 2004 के सुनाली पिल्ले बनाम डरबन गर्ल्स हाई स्कूल केस का जिक्र किया। जहां स्कूल ने लड़कियों को नाक में नथ पहनने की अनुमति नहीं दी थी। स्कूल का तर्क था कि यह स्कूल के कोड ऑफ कंडक्ट के खिलाफ है। इससे पहले देवदत्त कामत ने कहा था कि सुनवाई मार्च के बाद करें, क्योंकि इस हिजाब विवाद का चुनाव में फायदा लेने की कोशिश हो रही है। इस पर बेंच ने कहा कि ये चुनाव आयोग से जुड़ा मामला है हमसे जुड़ा नहीं। 'हमारा संविधान तुर्की धर्मनिरपेक्षता की तरह नहीं'कामत ने आगे कहा कि मैं इन लड़कियों की ओर से यह नहीं कह रहा हूं कि वे 'समान नियम' को नजरअंदाज कर सकती हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या कुछ लोगों को ड्रेस की कठोरता से छूट दी जानी चाहिए। मैं उस पर हूं। मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि याचिकाकर्ता छात्राओं ने रातों-रात सिर पर दुपट्टा पहनना शुरू नहीं किया था, बल्कि प्रवेश लेने के बाद से इसे पहन रही थीं। वे हमेशा पहनी हुई हैं। अचानक एक सरकारी आदेश जारी किया गया था। हमारा संविधान सकारात्मक धर्मनिरपेक्षता का पालन करता है, तुर्की धर्मनिरपेक्षता की तरह नहीं, वह नकारात्मक धर्मनिरपेक्षता है। हमारी धर्मनिरपेक्षता सुनिश्चित करती है कि सभी के धार्मिक अधिकारों की रक्षा की जाए। यह आदेश वास्तव में मौलिक अधिकारों को निलंबित करता है। कृपया इस अंतरिम आदेश को जारी न रखें। अदालत के आदेशों का हो रहा दुरुपयोगअधिवक्ता मोहम्मद ताहिर ने कहा कि अदालत द्वारा पारित आदेश का राज्य द्वारा दुरुपयोग किया जा रहा है। मुस्लिम लड़कियों को अपना हिजाब हटाने के लिए मजबूर किया जाता है। गुलबर्गा में सरकारी अधिकारी एक उर्दू स्कूल में गए और शिक्षकों और छात्रों को हिजाब हटाने के लिए मजबूर किया। आदेश का अधिकारियों द्वारा दुरूपयोग किया जा रहा है. मैंने सभी मीडिया रिपोर्ट्स पेश की है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम उत्तरदाताओं से इस पर निर्देश प्राप्त करने के लिए कहेंगे।
No comments:
Post a Comment