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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Wednesday, October 27, 2021

जाति, बर्थ सर्टिफिकेट, बीवी.... मलिक का वानखेड़े की निजी जिंदगी को कुरेदना क्या सही है?

मुंबई महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक लगातार नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े पर निजी हमले कर रहे हैं। मलिक ने अब तक कई मर्तबा समीर वानखेडे की निजी जानकारियों को सार्वजनिक किया है। नवाब मलिक ने समीर वानखेडे की शादी, उनके निकाहनामे, उनकी जाति, उनके धर्म को लेकर कई बार सार्वजनिक रूप से सवाल उठाया है। गुरुवार को भी नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े और उनकी पहली पत्नी डॉ. शबाना कुरैशी के निकाहनामे का सर्टिफिकेट ट्विटर पर शेयर किया। मलिक ने ट्विटर पर लिखा कि यह निकाहनामा साल 2006 का है। इस दौरान समीर वानखेड़े ने खुद को मुस्लिम युवक बताया था। नवाब मलिक और वानखेड़े की अदावत क्यों? महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक उन पर हमलावर हैं, तो इसकी वजह भी हैं। समीर वानखेड़े ने 13 जनवरी को नवाब मलिक के दामाद समीर को दो अन्य आरोपियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। समीर करीब 8 महीने जेल में रहे। फिर उन्हें जमानत मिली। कोर्ट ने जब जमानत का आदेश निकाला, तो नवाब मलिक से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मीडिया को बताया कि उनके दामाद को झूठे केस में फंसाया गया था। एनसीबी जब्त सामग्री को, जिसे 200 किलो गांजा बता रही थी, सीए रिपोर्ट में सामने आया कि मिली चीज हर्बल तंबाकू है। मलिक ने तब समीर वानखेड़े पर सवाल किया कि इतनी बड़ी एजेंसी NCB तंबाकू और गांजे में फर्क नहीं कर पाती है। वह इससे पहले डीआरआई, आईबी, एनआईए और मुंबई एयरपोर्ट की इंटेलिजेंस यूनिट में भी काम कर चुके हैं। निजता के अधिकार का हनन संविधान के जानकार और वरिष्ठ वकील डॉ. सुरेश माने के मुताबिक नवाब मलिक, समीर वानखेड़े की निजी जिंदगी को पब्लिक प्लेटफार्म पर लाकर उनकी निजता के अधिकार (राइट टू प्राइवेसी) का हनन कर रहे हैं। माने ने कहा कि अगर नवाब मालिक को लगता है कि समीर वानखेड़े अपनी ड्यूटी ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं। तो उन्हें इस बात को कानूनी रूप से अदालत में चैलेंज करना चाहिए। अगर उन्हें लगता है कि समीर वानखेड़े गलत गतिविधियों में लिप्त हैं तो उन्हें इस बात की शिकायत उच्च अधिकारीयों से करनी करनी चाहिए। इसके अलावा अगर उन्हें ऐसा लगता है कि उच्च अधिकारी भी शिकायत को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। तो वे जांच की मांग या तो अदालत या फिर एनसीबी के डीजी से कर सकते हैं। डॉ माने का कहना है कि नवाब मलिक चाहते तो इस प्रक्रिया का पालन कर सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। निजी जानकारियों को सार्वजनिक करना गलत डॉ माने का कहना है कि नवाब मलिक जिस तरह से समीर वानखेड़े की निजी जिंदगी को सार्वजानिक बना रहे हैं, यह ठीक नहीं है। उन्हें अगर यह लगता है कि समीर वानखेड़े ने जाली सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी हासिल की है। तो इसके लिए भी एक प्रक्रिया है जिसके तहत शिकायत करनी होती है। साथ ही उनकी कास्ट वैलिडिटी को एग्जामिन करना चाहिए था। मूलभूत अधिकार है 'निजता का अधिकार' डॉ माने के मुताबिक निजता का अधिकार संविधान द्वारा दिया गया है। यह एक मूलभूत अधिकार है। नवाब मलिक द्वारा इसका खुला उल्लंघन किया जा रहा है। हालांकि आईपीसी की तरह इसके लिए कोई विशेष सजा का प्रावधान नहीं है। लेकिन पीड़ित व्यक्ति इसके लिए अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर कर सकता है। आरोपी को क्या सजा देनी है या कितना जुर्माना वसूलना है, यह सब अदालत अपने विवेक से तय करती है।

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