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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Friday, July 9, 2021

मॉनसून सत्र पर उपराष्ट्रपति नायडू और लोकसभा स्पीकर बिरला के बीच हुई चर्चा

नई दिल्ली जुलाई के तीसरे हफ्ते से संसद का आयाेजित हाेना है। हालांकि अभी तक इसे लेकर सरकार की ओर से कोई औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है। संसद का यह लगातार तीसरा सत्र होगा, जो कोविड महामारी के साए में आयोजित होगा। कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए संसद का आगामी सत्र भी कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन के बीच किया जाएगा। सत्र की इसी तैयारियों को लेकर हाल ही में राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू और लोकसभा स्पीकर के बीच एक बैठक हुई। सूत्रों के मुताबिक, संसद के दोनों ही सदनों के सचिवालयों ने अपनी अपनी ओर से सत्र के आयोजन की सभी तैयारियों को पूरा कर लिया है। चर्चा है कि आगामी सत्र 19 जुलाई से शुरू होकर 13 अगस्त तक चलेगा, जिसमें कुल दोनों सदनों की बीस बीस बैठकों को आयोजन किया जाएगा। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अपने मंत्रियों से आगामी 15 अगस्त तक दिल्ली न छोड़ने का आदेश दिए जाने के पीछे भी यही वजह बताई जा रही है। बताया जाता है कि आगामी सत्र संसद की बैठकें सामान्य बैठकों की तरह सुबह 11 बजे से लेकर शाम छह बजे तक आयोजित की जाएंगी। जबकि पिछले सत्र में कोरोना के सोशल डिस्टेंसिंग नियम के चलते संसद के दोनों सदन पारियों में बैठते थे। राज्यसभा सुबह तो लोकसभा शाम को। सत्र से पहले और सत्र के दौरान संसद भवन परिसर में आने वाले सांसदों से लेकर मंत्रियों, मीडियाकर्मी, सचिवालय स्टाफ से लेकर सुरक्षाकर्मियों सभी को कोविड की जांच की जाएगी। नेगेटिव रिपोर्ट के बाद ही एंट्री की इजाजत दी जाएगी। वहीं पिछली बार की तरह इस बार भी आम लोगों के लिए दर्शक दीर्घा नहीं खोली जाएगी। संसद सचिचालय के सूत्रों के मुताबिक, दोनों ही सदनाें के अधिकांश सदस्यों को कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराकें लग चुकी हैं। लोकसभा के जहां 450 से ज्यादा सांसदों का टीकाकरण पूरा हो चुका है, वहीं राज्यसभा के 202 सांसदों को दोनों खुराकें लग चुकी हैं। विपक्षी तेवरों से साफ है कि बंगाल सहित पांच राज्यों के चुनाव के बाद बैठने जा रहा संसद का मॉनसून सत्र भी पिछले सत्र की तरह हंगामेदार रहेगा। खासकर सरकार को कोरोना की दूसरी लहर के दौरान देश की स्वास्थय सेवाओं की चरमराई व्यवस्था को लेकर विपक्ष की ओर से तपिश झेलनी पड़ सकती है। इसके अलावा, आसमान छूती महंगाई व बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी अहम रहेंगे।

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