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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Sunday, May 23, 2021

विशुद्ध राजनीतिः कहीं बेटी बनी 'संतरी' तो कहीं दामाद मंत्री

लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य इन दिनों बिहार बीजेपी के सीनियर लीडर सुशील मोदी के साथ ट्विटर वॉर की वजह से चर्चा में हैं। उनका यह ट्वीट उनके अकाउंट के ब्लॉक का होने का सबब भी बन गया, 'आज के बाद मेरा या मेरी बहनों का नाम लिया ना, ये लीचर मुंह थुर देंगे आ कर! भाग यहां से राजस्थानी मेढक।' उधर केरल में छात्र-युवा नेता के रूप में अपनी पहचान रखने वाले के पहली बार विधायक बनते ही मंत्री बनने की वजह उनका सीएम का दामाद होना बताया जा रहा है। दोनों के बारे में बता रहे हैं नदीम : डिप्टी सीएम बनने से रह गईं थीं रोहिणी तेजस्वी यादव की सात बहनों में मीसा के बाद दूसरे नंबर पर आती हैं रोहिणी। लालू यादव के नौ बच्चों के परिवार में भी रोहिणी का नंबर दूसरा ही है। 2015 में जब बिहार में आरजेडी और जेडीयू की साझा सरकार चल रही थी और तेजस्वी यादव उस सरकार में डिप्टी सीएम थे, उसी दरमियान एक मौका ऐसा आया जब तेजस्वी यादव बेनामी संपत्ति के विवाद में घिर गए। नीतीश कुमार उनका इस्तीफा चाहते थे। आरजेडी और जेडीयू के जो नेता गठबंधन सरकार को चलाए रखना चाहते थे, उनका एक प्रस्ताव था कि तेजस्वी से इस्तीफा दिलवा दिया जाए और उनकी जगह रोहिणी आचार्य को डिप्टी सीएम की पोस्ट दे दी जाए। नीतीश को भी रोहिणी के नाम पर कोई ऐतराज नहीं था। पहली नजर में तो लालू को भी यह प्रस्ताव भा रहा था, लेकिन दूरगामी नजरिए से उन्होंने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्हें लगा कि अगर आरोप के दबाव में तेजस्वी यादव का इस्तीफा होता है, तो राजनीति में उनकी वापसी बहुत मुश्किल हो जाएगी और एक तरह से उनका पॉलिटिकल करियर यहीं से खत्म हो सकता है। लालू यादव यह जोखिम लेने को तैयार नहीं हुए, उन्होंने तेजस्वी यादव के इस्तीफे से इनकार कर दिया। उसके बाद का घटनाक्रम तो खैर सबको पता ही है। लेकिन रोहिणी के राजनीति में आने की संभावनाएं खत्म नहीं हुईं। सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता उनके राजनीति में आने का संकेत मानी जा रही है। रोहिणी पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर हैं। 2002 में जब उनकी शादी लालू प्रसाद यादव के दोस्त और आयकर विभाग में अधिकारी रह चुके रणविजय सिंह के बेटे समरेश सिंह के साथ हुई थी, उस वक्त वह जमशेदपुर में एमबीबीएस कर रहीं थी और उनके पति समरेश सिंह अमेरिका में जॉब कर रहे थे। इस वक्त वह सिंगापुर में एक कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और रोहिणी भी उन्हीं के साथ सिंगापुर में रहती हैं। रोहिणी सुशील मोदी पर ट्वीट करने से पहले पिछले महीने उस वक्त भी खासी चर्चा में रही थीं, जब उन्होंने रमजान के शुरू होने से पहले अपने पिता की रिहाई और उनकी सेहत के लिए पूरे महीने रोजे रखने की बात कही थी। राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जाता है कि सभी बहनों में रोहिणी ही तेजस्वी की सबसे प्रिय हैं। कक्षा 8 से ही चर्चा में बने हैं रियाज 46 साल के मोहम्मद रियाज, पहली दफा उस वक्त चर्चा में आए थे, जब वह महज आठवीं क्लास में पढ़ाई कर रहे थे। पिता आईपीएस थे और मूलत: उनका परिवार कांग्रेसी कहा जाता था। लेकिन न जाने क्यों रियाज को 'लेफ्टिस्ट' बनना ज्यादा भाया। वह संत जोसफ बॉयज हाइस्कूल में एसएफआई (सीपीएम की छात्र शाखा) से जुड़ गए और स्कूल यूनिट के सेक्रेटरी बने। वर्ष 1975 में जन्मे रियाज के पॉलिटिकल करियर की शुरुआत यहीं से हुई। उन्होंने सीपीएम को कभी छोड़ा नहीं, बल्कि सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते गए। छात्र जीवन के बाद रियाज पार्टी की युवा इकाई डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ काम करने लगे और 2017 इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। केंद्र में बीजेपी सरकार आने के बाद जब बीफ का मुद्दा बहुत गरमाया था, तो उसके विरोध में केरल में हुए आंदोलन का नेतृत्व रियाज ही कर रहे थे। इस आंदोलन के जरिए भी वह विशेष चर्चित इसलिए हुए क्योंकि कहा गया कि राज्य में कथित तौर पर हो रही बीफ 'पार्टियां' उन्हीं के आंदोलन का हिस्सा हैं। फिर उन्होंने सीएए के खिलाफ युवा आंदोलन का नेतृत्व किया और पार्टी ने उनकी सक्रियता देखते हुए उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट भी दे दिया, लेकिन तब वह महज 838 वोटों से हार गए थे। पिछले साल फिर उनकी चर्चा देश भर में हुई जब यह जानकारी सामने आई कि वह मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के दामाद बनने जा रहे हैं। रियाज और विजयन की बेटी वीणा की शादी पिछले साल जून महीने में हुई। दोनों की यह दूसरी शादी है। अपनी पहली शादियों से तलाक के बाद दोनों की नजदीकी बढ़ी और बाद में उन्होंने शादी का फैसला किया, जिस पर पिनराई विजयन ने अपनी सहमति की मुहर लगाई। वीणा टेक एक्सपर्ट के रूप में जानी जाती हैं। कुछ एक बड़ी कंपनियों की सीईओ भी रह चुकी हैं, बाद में उन्होंने अपनी कंपनी शुरू की, जो कि मोबिलिटी और क्लाउड सॉल्यूशन की सेवाएं देती है। 2021 के चुनाव में पार्टी ने रियाज को विधानसभा का टिकट दिया और वह जीत भी गए। जीत से ज्यादा उनकी चर्चा इस वजह से है कि पहली बार ही विधायक बनने पर उन्हें मंत्री पद मिल गया। हालांकि पार्टी का कहना है कि वह 'डिजर्व' करते हैं।

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