All About Non-Communicable Disease : देश में कोरोना वायरस की नई लहर इतनी जोरदार है कि पिछले साल का रेकॉर्ड भी टूट चुका है। रविवार को पूरे भारत में 1 लाख से ज्यादा नए कोरोना केस सामने आए जो पिछले साल के एक दिन में अधिकतम 98,795 नए केस से ज्यादा है।
Deaths Due To Non-Communicable Diseases : देश में कोरोना वायरस की नई लहर इतनी जोरदार है कि पिछले साल का रेकॉर्ड भी टूट चुका है। रविवार को पूरे भारत में 1 लाख से ज्यादा नए कोरोना केस सामने आए जो पिछले साल के एक दिन में अधिकतम 98,795 नए केस से ज्यादा है। कोविड-19 महामारी अब तक 1.65 लाख से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला चुकी है। लेकिन, आप जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि देश में अब भी कोविड से ज्यादा दूसरी बीमारियों के कारण मौतें हो रही हैं। आइए देखते हैं कुछ हैरान कर देने वालें आंकड़े...
भारत में गैर-संक्रामक बीमारियों का कहर
हम सब जानते हैं कि कोरोना वायरस संक्रामक है। यह एक से दूसरे को संक्रमित करता है और इस तरह महामारी विकराल हो गई है। लेकिन, डाइबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी गैर-संक्रामक बीमारियां भी कम जानलेवा नहीं हैं। आंकड़े बताते हैं कि देश में हर तीन में से दो मौतें ऐसी ही बीमारियों के कारण हो रही हैं जो एक इंसान से दूसरे इंसान को संक्रमित नहीं करते हैं। आंकड़े बताते हैं कि देश के 16 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की कम-से-कम 10% आबादी इन जानलेवा लेकिन गैर-संक्रामक बीमारियों से ग्रसित है।
करीब दो-तिहाई मौतों की वजह गैर-संक्रामक बीमारियां
1990 के दशक से ही भारत में ऐसी गैर-संक्रामक बीमारियां (Non-Cmmunicable Diseases यानी NCDs) संक्रामक बीमारियों के मुकाबले ज्यादा घातक साबित हो रही हैं। गैर-संक्रामक बीमारियों ने वर्ष 2017 में 63 लाख भारतीयों की जानें ली थीं। उस साल देश में करीब दो-तिहाई मौतें इन्हीं NCDs के कारण हुई थीं। आंकड़े बताते हैं कि गैर-संक्रामक बीमारियों से दुनियाभर में हुई मौतों में 15.3% हिस्सेदारी सिर्फ भारत की है।
काफी डरावने हैं 21 राज्यों के आंकड़े
थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टिट्यूट (Thought Arbitrage Research Institute) ने भारत के 21 राज्यों से आंकड़े जुटाए और पाया कि हर 10 में से एक व्यक्ति किसी ना किसी घातक गैर-संक्रामक बीमारी से पीड़ित है। उसने इसकी वजह जानने की कोशिश की तो पता चला कि इसके पीछे खराब जीवनशैली और दूषित वातावरण की सबसे बड़ी भूमिका है। कुछ राज्यों में तो हर चौथा व्यक्ति यानी 25% आबादी ऐसी जानलेवा गैर-संक्रामक बीमारी से पीड़ित है। जिन 21 राज्यों से आंकड़े जुटाए गए, उनमें 27.2% बीमार आबादी के साथ ओडिशा की पहचान सबसे ज्यादा गैर-संक्रामक बीमारियों से पीड़ित राज्य के तौर पर हुई। उसके बाद 26.3% के साथ त्रिपुरा जबकि 22.3% के साथ असम का नंबर तीसरा है।
नोट: आंध्र प्रदेश के आंकड़े में तेलंगाना जबकि महाराष्ट्र के आंकड़े में गोवा के आंकड़े भी शामिल हैं।
ये हैं देश की सबसे ज्यादा जानलेवा गैर-संक्रामक बीमारियां
भारत में उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), पाचनतंत्र संबंधी बीमारियां और मधुमेह (डाइबिटीज) प्रमुख गैर-संक्रामक बीमारियां हैं। पाचनतंत्र की बीमारियों से सबसे ज्यादा ग्रसित राज्य ओडिशा है और हाइपरटेंशन के मामले में भी इसका नंबर शीर्ष तीन राज्यों में आता है। वहीं, पुडुचेरी में हाइपरटेंशन और डाइबिटीज के रोगियों का अनुपात बाकी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के मुकाबले ज्यादा है।
किस आयुवर्ग के कितने प्रतिशत लोग, किस बीमारी से पीड़ित
देश में 25 से 35 वर्ष के आयुवर्ग की आबादी में डाइबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी मेटाबॉलिक इलनेस का खतरा चार गुना जबकि 35 से 45 वर्ष के आयुवर्ग में यह तिगुना बढ़ गया है। वहीं, 35 से 45 वर्ष के आयुवर्ग में हृदय रोग, कैंसर, श्वसन तंत्र से संबंधित गंभीर बीमारियों का खतरा दोगुना हो गया है। इसका सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण है। तमाम तरह की गैर-संक्रामक बीमारियों की बात करें तो 76% ऐसी बीमारियों की वजह खराब हवा ही है। वहीं, 66.5% बीमारियों की वजह पर्याप्त शारीरिक गतिविधियों का अभाव, 55% की वजह खराब खान और 44% का कारण बहुत ज्यादा तनाव है।
हर 28 भारतीयों में एक हाइपरटेंशन का शिकार
30 साल पहले भारत की सबसे सामान्य बीमारियां संक्रामक हुआ करती थीं और उन्हीं संक्रामक बीमारियों के कारण आधी मौतें भी हुआ करती थीं। लेकिन, आज मौतों की वजह बन रहीं तीन सबसे ज्यादा घातक बीमारियां गैर-संक्रामक हैं। देश में अभी तनाव से 3.6%, पाचनतंत्र से संबंधी बीमारियों से 3.2%, डाइबिटीज से 2.9%, श्वसनतंत्र संबंधी बीमारियों से 1.8%, दिमाग/तंत्रिका संबंधी (Brain/Neurological) बीमारियों से 1.3% मौतें हो रही हैं।
शहरों पर ज्यादा खतरा
आंकड़े बताते हैं कि पुरुषों पर गैर-संक्रामक बीमारियों का ज्यादा खतरा रहता है। खासकर डाइबिटीज और हृदय रोग की चपेट में ज्यादातर पुरुष ही आते हैं, लेकिन हाइपरटेंशन महिलाओं में ज्यादा आम है। पाचनतंत्र की बीमारियों की दर महिलाओं में 3.1% जबकि पुरुषों में 3.3%, ब्रेन/न्यूरोलॉजी से संबंधी बीमारियां महिलाओं में 1.34% तो पुरुषों में 1.29%, हाइपरटेंशन महिलाओं में 4% तो पुरुषों में 3.2%, डाइबिटीज पुरुषों में 2.6% तो महिलाओं में 3.1% जबकि अन्य गैर-संक्रामक बीमारियां महिलाओं में 11.3% तो पुरुषों में 11.9% है।
ग्रामीण भारत भी अछूता नहीं
शहरों के मुकाबले गांव भी गैर-संक्रामक बीमारियों के लिहाज से ज्यादा अछूता नहीं है। हालांकि, गांवों में लोगों की जीवनशैली शहरों के मुकाबले बेहतर होती है। वहां शहरों के मुकाबले हवा-पानी भी ज्यादा शुद्ध है। फिर भी पाचन तंत्र से संबंधी बीमारियों से गांवों के 3.4% लोग तो शहरों के 2.8%, ब्रेन/न्यूरोलॉजिकल इलनेस से गांवों के 1.4% तो शहरों के 1.1%, हाइपरटेंशन से गांवों के 3.4% तो शहरों के 4%, श्वसन संबंधी बीमारियों से शहरों के 1.9% तो गावों के 1.6%, डाइबिटीज से गांवों के 2.5% तो शहरों के 3.6% जबकि अन्य गैर-संक्रामक बीमारियों से गांवों के 11.6% तो शहरों के 11.7% लोग ग्रसित हैं।
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