नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत यााचिका पर आज सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने 15 मार्च को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से कहा था कि वह एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में नवलखा की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करे। पीठ ने मामले की सुनवाई 22 मार्च को करने का फैसला किया था। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू के इस अभिवेदन का संज्ञान लिया था कि NIA को नवलखा की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए कुछ और समय मिलना चाहिए। नवलखा ने जमानत याचिका खारिज करने के 8 फरवरी के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को 19 फरवरी को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। कार्यकर्ता ने दलील दी है कि एनआईए ने 90 दिन की निर्धारित अवधि में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया, इसलिए जमानत का आधार बनता है। हाई कोर्ट ने कहा था कि कार्यकर्ता की 34 दिन की घर में नजरबंदी को जेल में बिताई गई अवधि नहीं माना जा सकता। पुलिस के अनुसार, कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रूप से उत्तेजक और भड़काऊ भाषण दिए थे, जिनके कारण अगले दिन जिले के कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़की थी। पुलिस ने यह भी आरोप लगाया है कि इस कार्यक्रम को कुछ मओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था। नवलखा ने उनकी जमानत याचिका खारिज करने के 12 जुलाई, 2020 के एनआईए अदालत के आदेश को पिछले साल उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने पिछले साल 16 दिसंबर को नवलखा की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें इस आधार पर वैधानिक जमानत मांगी गयी थी कि वह 90 दिनों से ज्यादा समय से हिरासत में हैं लेकिन अभियोजन पक्ष इस दौरान आरोपपत्र दाखिल नहीं कर पाया। एनआईए ने दलील दी थी कि यह याचिका विचार योग्य नहीं है तथा उसने आरोपपत्र दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग की थी।इसके बाद, विशेष अदालत ने नवलखा एवं उनके सह आरोपी डॉ. आनंद तेलतुम्बडे के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करने के लिए समयावधि 90 दिन से बढ़ाकर 180 दिन करने का एनआईए का अनुरोध स्वीकार कर लिया था।
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