पूनम गौड़/प्रियंका सिंहनई दिल्ली/जयपुर/भोपाल यह सेंचुरी दर्द दे रही है। मुंह से आह संग निकल रहा है- अब तो पैदल चलने में ही फायदा है। राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल 99.87 और डीजल 91.86 पर है। प्रीमियम पेट्रोल तो 100 के पार है। भोपाल का हाल भी कुछ ऐसा ही है। दिल्ली में आज पेट्रोल 89.29 तो डीजल 79.70 पर है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी और पेट्रोल के बढ़ते दाम। कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों के सामने इस समय यही बड़ा सवाल है कि इस समस्या से कैसे बाहर निकलें? लोगों के अनुसार, पिछले दो से तीन महीने में पेट्रोल का खर्च दो गुना से अधिक बढ़ चुका है। कामकाजी लोगों की जेब कटी कोरोना काल में किसी की कंपनी ने कैब सर्विस बंद कर दी है तो किसी की सैलरी कम हो गई है। वहीं, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो एनसीआर से आते-जाते हैं। ट्रेनें और सीधी बस न होने की वजह से उनकी मुश्किलें पेट्रोल की बढ़ी कीमतों ने काफी बढ़ा दी है। इसे लेकर नाराजगी भी दिख रही है। लोगों के अनुसार, अगर गुरुग्राम के पुराने हिस्से से वेस्ट दिल्ली आना हो तो मेट्रो तक पहुंचने के लिए कई साधन बदलने पड़ते हैं। बस से भी बार-बार साधन बदलने पड़ते हैं। ट्रेन थी तो आसानी से सफर हो जाता था, लेकिन अब बाइक या कार से ही अप-डाउन करना पड़ रहा है। ऐसे में कई व्यापारी तो अपनी दुकानों को हफ्ते में दो से तीन दिन बंद रखने लगे हैं क्योंकि पेट्रोल का खर्चा इतना अधिक है कि रोज दुकान जाना संभव नहीं हो पा रहा। नोएडा व गुरुग्राम की कई कंपनियों ने पिक एंड ड्रॉप सुविधा बंद की हुई है, जिससे अब एंप्लॉईज को अपने खर्चे पर जाना पड़ रहा है। ऐसे में पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से महीने का खर्च करीब 3 से 4 हजार रुपये तक बढ़ गया है। इसके अलावा कुछ लोग जो डायबिटीज, बीपी आदि बीमारियों से जूझ रहे हैं वे भी एहतियात बरतते हुए मेट्रो से दूर हैं। लिहाजा, वे भी कार से ही अप-डाउन कर रहे हैं और पेट्रोल उनके घर के बजट को हिला रहा है। लोगों के अनुसार, इसकी वजह से सेविंग्स खत्म हो गई है। इंश्योरेंस की ईएमआई नहीं जा पा रही। किसानों पर पड़ रही बुरी मार नजफगढ़ के किसान वीरेंद्र डागर ने बताया कि किसान खेती के लिए डीजल का प्रयोग करते हैं। खेत में पानी चलाने से लेकर फसल को ट्रैक्टर में लादकर मंडी तक ले जाने में डीजल का इस्तेमाल होता है। अगर डीजल के दाम बढ़ेंगे, तो सब्जी और खाद के भी दाम बढ़ेंगे। दिल्ली के किसानों को अपनी फसल का सही दाम भी नहीं मिलता है। डीजल की कीमत बढ़ने की वजह से अब हर किसान को एक एकड़ जमीन में खेती से लेकर फसल मंडी तक पहुंचाने में तकरीबन 3000 रुपये खर्च हो रहे हैं। पहले यह खर्च करीब 2000 रुपये था। किसानों का कहना है कि अगर एमएसपी कानून लिखित में लागू हो जाए, तो किसानों को सब्सिडी की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। वहीं कैब ड्राइवर राजू ने बताया कि पेट्रोल के दाम से बढ़ने से किराया भी बढ़ेगा। सबसे ज्यादा दिक्कत मध्यमवर्गीय परिवारों को होगी। सबसे ज्यादा कैब इस्तेमाल भी मध्यमवर्गीय लोग ही करते हैं। उनके घर के बजट पर असर पड़ेगा तो हमारी कमाई पर भी असर देखने को मिलेगा। ट्रांसपोर्टरों ने दी हड़ताल की चेतावनी डीजल की बढ़ती कीमतों और उच्च कर का विरोध करते हुए ट्रांसपोर्टरों ने हड़ताल पर जाने की रविवार को चेतावनी दी। ट्रांसपोर्टरों के शीर्ष संगठन ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) ने कहा कि डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इसके अलावा कर की उच्च दरें, ई-वे बिल से संबंधित कई बातों और वाहनों को कबाड़ करने की मौजूदा नीति आदि पर एआईएमटीसी की संचालन परिषद में चर्चा की गई। एआईएमटीसी लगभग 95 लाख ट्रक ड्राइवरों और लगभग 50 लाख बसों व पर्यटक ऑपरेटरों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है। संगठन ने बयान में कहा कि उसके राष्ट्रीय नेतृत्व ने मांगों के समाधान की दिशा में प्रक्रिया शुरू करने के लिये सरकार को 14 दिन का नोटिस जारी करने का निर्णय लिया है। प्रमुख मांगों में डीजल की कीमतों में तत्काल कमी और इसमें एकरूपता, ई-वे बिल व जीएसटी से संबंधित मुद्दों का समाधान और वाहनों को कबाड़ करने की नीति को अमल में लाने से पहले ट्रांसपोर्टरों के साथ इस बारे में चर्चा शामिल है। संगठन ने कहा कि यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो वे देश भर में परिचालन बंद करने को बाध्य होंगे। पहले ही नहीं मिल रही सब्सिडी, अब गैस सिलेंडर के दाम बढ़ने से लोग परेशान 'आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया' यह कहना आम लोगों का है। जब से उन्हें पता चला है कि गैर-सब्सिडी घरेलू सिलेंडर (एलपीजी) के दाम बढ़ गए हैं। तब से आम लोगों के सामने यही सवाल है कि अब घर कैसे चलेगा? पहले ही कोविड की वजह से ज्यादातर प्राइवेट कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की सैलरी नहीं बढ़ाई है और पिछले कई महीनों से सब्सिडी का पैसा भी नहीं आ रहा है। इससे लोगों के सामने असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लोगों के सामने एक ही सवाल है कि सब्सिडी मिलेगी, या नहीं। अगर नहीं मिलेगी, तब 769 रुपये का गैस सिलेंडर खरीदना पड़ेगा। बता दें कि फरवरी 2021 में दूसरी बार एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी की गई है। 15 फरवरी से घरेलू सिलेंडर में 50 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। 14.2 किलो के घरेलू गैस सिलेंडर का दाम दिल्ली में 719 रुपए से बढ़कर 769 रुपए हो गया है। झुलझुली गांव के दीपक का कहना है कि बिजली की कटौती की वजह से घर में गैस वॉटर गीजर है। साल में तकरीबन 9 से 10 सिलेंडर का प्रयोग होता है। आखिरी बार 550 का एक सिलेंडर लिया था। साल का खर्च 5500 रुपये था। अब साल के 10 सिलेंडर का खर्च 7690 होगा। इस तरह लगभग साल का खर्च 2190 रुपये और बढ़ गया। जबकि आमदनी में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। दूसरी ओर पीएनजी सस्ती पड़ती है, लेकिन उसकी सप्लाई गांव में नहीं है। पीएनजी की सप्लाई गांव में लाने के लिए कई बार विभाग को लेटर भी लिखा है, लेकिन कोई सकरात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली।
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