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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Sunday, January 24, 2021

11 घंटे तक चली 9वें दौर की बातचीत, भारत ने फिर कहा- 'पीछे तो पूरी तरह ही हटना पड़ेगा'

नई दिल्ली भारत ने रविवार को चीन से दो टूक शब्दों में पूर्वी लद्दाख के सभी टकराव वाले जगहों से पूरी तरह पीछे हटने को कहा है। करीब ढाई महीने के के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच रविवार को कोर कमांडर स्तर की नौवें दौर की बातचीत हुई। इसका उद्देश्य पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर आगे बढ़ना था। 11 घंटे तक चली बातचीत जानकारी के मुताबिक, कोर कमांडर स्तर की बातचीत पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की ओर स्थित मोल्दो सीमावर्ती क्षेत्र में सुबह 10 बजे शुरु हुई थी जो रात में 9 बजे के बाद तक चली। इस बातचीत के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि टकराव वाले क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट और डी-एस्केलेशन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चीन के ऊपर है। तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की इससे पहले, छह नवंबर को हुई आठवें दौर की बातचीत में दोनों पक्षों ने टकराव वाले खास स्थानों से सैनिकों को पीछे हटाने पर व्यापक चर्चा की थी। बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14 वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन कर रहे हैं। भारत लगातार यह कहता आ रहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों को वापस बुलाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और तनाव को कम करने की जिम्मेदारी चीन की है। टकराव वाले स्थानों पर एकसाथ हो डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत 12 अक्टूबर को हुई थी, जिसमें चीन ने पेगोंग झील के दक्षिणी तट के आसपास सामरिक महत्व के अत्यधिक ऊंचे स्थानों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर जोर दिया था, लेकिन भारत ने टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया एक ही समय पर शुरू करने की बात कही थी। भारत के 50 हजार जवानों की तैनाती पूर्वी लद्दाख में विभिन्न पवर्तीय क्षेत्रों में भारतीय थल सेना के कम से कम 50,000 जवान युद्ध की तैयारियों के साथ अभी तैनात हैं। दरअसल, गतिरोध के हल के लिए दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता में कोई ठोस नतीजा हाथ नहीं लगा है। अधिकारियों के अनुसार चीन ने भी इतनी ही संख्या में अपने सैनिकों को तैनात किया है। राजनयिक बातचीत में भी नहीं निकला था कोई ठोस समाधान पिछले महीने, भारत और चीन ने भारत-चीन सीमा मामलों पर ‘परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) ढांचा के तहत एक और दौर की राजनयिक बातचीत की थी, लेकिन इसमें भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला था। छठें दौर की सैन्य बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने अग्रिम मोर्चों पर और सैनिक नहीं भेजने, जमीनी स्थिति में बदलाव करने के एकतरफा प्रयास नहीं करने तथा विषयों को और अधिक जटिल बनाने वाली किसी भी गतिविधि से दूर रहने सहित कई फैसलों की घोषणा की थी। (पीटीआई और भाषा से इनपुट्स के साथ)

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