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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Saturday, December 19, 2020

West Bengal Election: 1998 के बाद अब 2020 में पहली बार इतनी तेजी से बिखरी TMC, कहीं ये मोह ले न डूबे ममता दीदी को !

नई दिल्ली भारत में हर साल देश के किसी न किसी हिस्से में लोकतंत्र का त्योहार मनाया जाता है। 2020 में बिहार चुनाव हुए। जहां पर एनडीए ने बाजी मार ली। हालांकि बिहार के ये चुनाव हर बार की तरह नहीं थे इस बार एनडीए को सत्ता हासिल करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। अब 2021 में सबकी निगाहें पश्चिम बंगाल (West Bengal Poll 2021) में टिकी हुई हैं। पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा ने दशकों तक राज किया। उसके बाद ममता बनर्जी ने आकर सियासत में बड़ा फेरबदल किया और तब से वो सत्ता पर काबिज हैं। मगर अब ममता दीदी भी परेशान होंगी क्योंकि अब उनके अपने भी साथ छोड़ते जा रहे हैं। ममता बनर्जी का अंदाजसफेद साड़ी और चेहरे में तेज और तेज चाल। ममता बनर्जी की यही पहचान रही है। ममता बनर्जी बेहद जिद्दी और जुझारू हैं। खास बात ये है कि उनका ये अंदाज उनके खून में रहा है। यह जुझारूपन उनको अपने शिक्षक और स्वतंत्रता सेनानी पिता प्रमिलेश्वर बनर्जी से विरासत में मिला है। अपने इन्हीं गुणों की बदौलत वर्ष 1998 में कांग्रेस से नाता तोड़ कर तृणमूल कांग्रेस की स्थापना कर महज 13 वर्षों के भीतर राज्य में दशकों से जमी वाममोर्चा सरकार को उखाड़ कर उन्होंने अपनी पार्टी को सत्ता में पहुंचाया था। साल 2011 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने अकेले अपने बूते ही तृणमूल कांग्रेस को सत्ता के शिखर तक पहुंचा दिया। पार्टी का एक धड़ा क्यों है नाराजममता बनर्जी भले ही ये कह रही हों कि उनको इन नेताओं के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता मगर असल दर्द तो उनके दिल में होगा ही। जिनसे बैठकर वो कभी राज्य की सियासती चर्चे किया करती थी वो अब उनपर ही आरोप लगा रहे हैं। मगर ये सब एक दिन में नहीं हुआ। इसके लिए कहीं न कहीं ममता बनर्जी भी जिम्मेदार हैं। स्थानीय सूत्रों और टीएमसी के बागी नेताओं की मानें तो तृणमूल के मंत्रियों, विधायकों, सांसदों और जमीनी कार्यकर्ताओं के एक धड़े में उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को लेकर नाराजगी है। इन नेताओं का आरोप है कि ये दोनों पार्टी को मनमाने तरीके से चला रहे हैं। आज शाह के दौरे का आखिरी दिनभाजपा के रणनीतिकार और देश के गृहमंत्री अमित शाह बंगाल के चुनावी दौरे पर हैं। वो 18 तारीख की देर रात कोलकाता पहुंच गए थे और आज उनका बंगाल में दौरे का आखिरी दिन है। लेकिन उन्होंने पहले ही दिन अपनी ताकत का एहसास करा दिया। जिस तरह से बीजेपी का ग्राफ बंगाल में बढ़ता दिख रहा है उसको देखकर यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बंगाल विधानसभा चुनावों के नतीजे कुछ अलग होंगे। पहली बार एक दिन में इतना टूटी टीएमसीतृणमूल कांग्रेस से एक दिन में सर्वाधिक नेताओं के पार्टी छोड़ने के घटनाक्रम में शनिवार को दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी और पांच विधायकों एवं एक सांसद समेत 34 अन्य नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भाजपा का झंडा थाम लिया। शाह ने इस मौके पर दावा किया कि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव आने तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी पार्टी में अकेली रह जाएंगी। वहीं तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी आशंका जताई कि आने वाले समय में और पार्टी नेता भाजपा में शामिल हो सकते हैं। 1998 में कांग्रेस से अलग होकर बनाई थी टीएमसीतृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार 1998 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस नयी पार्टी बनाई थी। तब से लेकर अब तक एक दिन में यह सर्वाधिक तृणमूल नेताओं का पलायन है। पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों के बाद से तृणमूल कांग्रेस के 10 विधायक तथा कांग्रेस और माकपा के एक-एक विधायक भाजपा के खेमे में जा चुके हैं। हालांकि इनमें से किसी ने विधानसभा की सदस्यता नहीं छोड़ी। 20 विधायक बीजेपी के साथशनिवार के बाद तृणमूल कांग्रेस के 15 विधायक, माकपा के तीन विधायक और कांग्रेस के दो विधायक भाजपा के साथ आ गये हैं। 294 सदस्यीय राज्य विधानसभा में भाजपा के छह विधायक हैं। अधिकारी ने इस सप्ताह की शुरुआत में तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पद भी छोड़ दिया था। वह विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे चुके हैं लेकिन अभी इसे स्वीकार नहीं किया गया है। वाम पार्टी भी टूट रहीबर्द्धमान पूर्व लोकसभा सीट से दो बार के तृणमूल कांग्रेस सांसद सुनील मंडल ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। वह पिछले कुछ दिनों से मुखर तरीके से तृणमूल नेतृत्व के साथ अपने मतभेदों पर बोल रहे थे। मंडल पहले वाम मोर्चा के घटक ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के विधायक थे और 2014 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये थे। मेदिनीपुर के कॉलेज ग्राउंड में आयोजित विशाल रैली में तृणमूल कांग्रेस विधायक बनश्री मैती, शीलभद्र दत्ता, बिस्वजीत कुंडू, शुक्र मुंडा और सैकत पांजा ने भाजपा का झंडा थामा। नेताओं से गुलजार हुआ भाजपा खेमागाजोले सीट पर 2016 में माकपा के टिकट पर जीतने वाली विधायक दीपाली बिस्वास को भी भाजपा में शामिल कराया गया। वह 2018 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गयी थीं। हल्दिया से माकपा विधायक तापस मंडल, तामलुक से भाकपा विधायक अशोक दिंडा और पुरुलिया से कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी भी भाजपा में शामिल हो गये। पूर्व तृणमूल सांसद दशरथ तिर्की ने भी भाजपा की सदस्यता ले ली। पूर्व मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी समेत तृणमूल कांग्रेस, वाम और कांग्रेस के कई जिला स्तर के नेता भी भाजपा के खेमे में आ गये। कांग्रेस ने भी टीएमसी पर मढ़ा दोषशाह ने कहा, ‘जिस तरह की सुनामी आज मैं देख रहा हूं, उसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। ' माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि मेदिनीपुर में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली में भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ चुके लोगों के खिलाफ आरोप थे और उन्हें अंतत: पार्टी छोड़नी पड़ी। उन्होंने कहा कि पार्टी ने तापस मंडल को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निकालने की योजना बनाई थी और उनके खिलाफ आंतरिक जांच लंबित है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस में बढ़ते असंतोष पर कहा कि पार्टी अपनी करनी का फल पा रही है।

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