नई दिल्ली नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन (Farmer Protest) जारी है। 4 हफ्तों से दिल्ली की सीमा पर डटे किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इस बीच किसानों ने आज एक दिवसीय भूख हड़ताल () का भी ऐलान किया है। दूसरी तरफ सरकार ने किसानों को फिर से बातचीत का न्योता भेजा है, साथ ही कहा है कि किसान तारीख अपनी सुविधानुसार तय करें। आज किसानों की एक दिवसीय भूख हड़ताल किसानों ने ऐलान किया कि सोमवार को एक दिवसीय रिले भूख हड़ताल करेंगे। इसके साथ ही 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में राजमार्गों पर टोल वसूली को भी मुफ्त करेंगे। वहीं 23 दिसंबर यानि किसान दिवस के दिन भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने लोगों से अपील की है कि 23 दिसंबर को एक दिन का उपवास रखें। स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘सोमवार को सभी प्रदर्शन स्थलों पर किसान एक दिन की क्रमिक भूख हड़ताल करेंगे। इसकी शुरुआत यहां प्रदर्शन स्थलों पर 11 सदस्यों का एक दल करेगा।’ 'हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे' किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाला ने बताया कि किसान 25 से 27 दिसंबर तक हरियाणा में सभी राजमार्गों पर टोल वसूली नहीं करने देंगे। संवाददाता सम्मेलन में किसान नेता राकेश टिकैत भी मौजूद थे। टिकैत ने कहा कि कर रहे किसान 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाएंगे। उन्होंने कहा, 'हम लोगों से अनुरोध करते हैं कि इस दिन वे दोपहर का भोजन न पकाएं'। सरकार ने फिर भेजा बातचीत का न्योता राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन (Farmer Prostest) कर रहे किसान संगठनों को रविवार को वार्ता के लिए आमंत्रित किया। सरकार ने बातचीत (Government Farmers talk ) के लिए किसान संगठनों से उनकी सुविधानुसार तिथि तय करने का आग्रह किया। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संदर्भ में किसानों के संगठनों को एक पत्र लिखा है। बीते 4 हफ्तों से दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं किसान गौरतलब है दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान कड़ाके की सर्दी में बीते करीब चार हफ्ते से प्रदर्शन कर रहे हैं और नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा से हैं। केंद्र सरकार सितंबर में पारित तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
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