नई दिल्ली ने मोदी सरकार की ओर से जारी किए गए अध्यादेशों पर विचार के लिए एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में गांधी परिवार के कई करीबी नेताओं को जगह दी गई है। जबकि, और को बाहर रखा गया है। दो दिन पहले कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान गुलाम नबी आजाद की लिखी चिठ्ठी को लेकर हंगामा भी हुआ था। इन नेताओं को मिली कमेटी में जगह कांग्रेस अध्यक्ष की बनाई गई इस कमेटी में जिन नेताओं को रखा गया है उनमें पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, डॉ अमर सिंह और गौरव गोगोई शामिल हैं। इस समिति के संयोजन की जिम्मेदारी जयराम रमेश को सौंपी गई है। यह कमेटी केंद्र की ओर से जारी प्रमुख अध्यादेशों पर चर्चा और पार्टी का रुख तय करने का काम करेगी। आजाद को बताया गया था 'भाजपा समर्थक' बैठक के दौरान कांग्रेस के कई सदस्यों ने पत्र लिखने वाले नेताओं को भाजपा का समर्थक बताया था। कहा जाता है कि आजाद इन आरोपों से दुखी हैं और उन्होंने तब भी इसे बेबुनियाद बताते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी। पत्र लिखने वाले दूसरे नेताओं ने भी इन आरोपों का खंडन किया था। आजाद को मनाने की कोशिश भी जारी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हंगामे के बाद गांधी परिवार डैमेज कंट्रोल की कवायद में जुट गया है। चिठ्ठी लिखने वाले असंतुष्ट धड़े की अगुवाई करने वाले गुलाम नबी आजाद को मनाने के लिए सोनिया गांधी ने मोर्चा संभाला है। बैठक के तुरंत बाद राहुल गांधी ने भी गुलाम नबी आजाद से बाद कर गिले शिकवे दूर करने की कोशिश की थी। इसलिए आजाद को हो रही मनाने की कोशिश गुलाम नबी आजाद राज्य सभा में विपक्ष के नेता के साथ संसद में कांग्रेस की दमदार आवाज भी हैं। इससे पहले वे जम्मू और कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। एक महीने के अंदर ही संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व यह नहीं चाहता कि पार्टी की एकता को खतरा हो या संसद में उनकी आवाज कमजोर पड़े।
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