Featured Post

Don’t Travel on Memorial Day Weekend. Try New Restaurants Instead.

Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Friday, November 1, 2019

10 दिन में SC से 4 बड़े मामलों पर आएगा फैसला

धनंजय महापात्रा, नई दिल्लीआगामी 4 नवंबर से अगले 10 दिनों के भीतर चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली की बेंच अयोध्या भूमि विवाद समेत चार महत्वपूर्ण निर्णय देगी जिनका सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में संभवतः बड़ा प्रभाव हो सकता है। अयोध्या मामले पर फैसला, जो 1858 से देश के सामाजिक-धार्मिक मामलों का अहम बिंदु रहा और जिस पर 1885 से मुकदमा चल रहा है, इस विवाद के लंबे इतिहास में एक नया अध्याय दर्ज करेगा। चीफ जस्टिस गोगोई तीन अन्य बेंचों की अध्यक्षता कर रहे हैं, जो सबरीमाला अयप्पा मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की समीक्षा याचिका पर फैसला सुनाएगी। इसके अलावा राफेल सौदे में सरकार को क्लीन चिट देने वाले निर्णय और सीजेआई को आरटीआई के दायरे में लाने वाली याचिका पर भी फैसले का इंतजार है। पढ़ें, सर्वसम्मत फैसले को लेकर अटकलेंअयोध्या मामले को लेकर अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि पांच न्यायाधीशों की बेंच एक सर्वसम्मत फैसला किस तरह दे पाएगी। इस तरह के मुद्दे पर, जिसने हिंदू और मुस्लिमों को विभाजित किया, एकमत होने का स्वागत किया जाएगा क्योंकि यह किसी भी तरह की अस्पष्टता को दूर करेगा जो 4-1 या 3-2 (5 जजों के बीच) के फैसले के कारण हो सकती है। 1934 में भी क्षतिग्रस्त किए गए थे गुंबदसाल 1934 में अयोध्या में एक सांप्रदायिक दंगे ने बाबरी मस्जिद के तीन गुंबदों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। इसके बाद शहर में रहने वाले हिंदुओं पर जुर्माने से अंग्रेजों ने इसका पुनर्निर्माण कराया था। 22 दिसंबर, 1949 की आधी रात को रामलला मूर्ति को केंद्रीय गुंबद में रखने के बाद विवादित ढांचे पर मुकदमेबाजी साल 1950 में शुरू हुई। हिंदू भक्त, गोपाल सिंह विशारद ने 1950 में एक मुकदमा दायर किया, जिसमें गुंबद में ही रामलला की पूजा करने का अधिकार मांगा गया। पढ़ें, रामलला ने भी दायर किया मुकदमानिर्मोही अखाड़ा ने रामलला के जन्मस्थान पर पूजा करने के अधिकारों को लेकर 1959 में मुकदमा दायर किया जिसके दो बाद साल 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी मुकदमा दायर कर दिया। फिर रामलला की ओर से 1989 में जन्मभूमि पर मालिकाना हक का दावा करने वाला मुकदमा हाईकोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश ने उनका निकट मित्र बन कर दाखिल किया था जो मस्जिद को गिराने से तीन साल पहले किया था। सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामलाचीफ जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने 6 फरवरी को 65 याचिकाओं पर अपने फैसले को सुरक्षित रखा था, जिसमें न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले की समीक्षा करने संबंधित 57 याचिका शामिल हैं। कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी जिस पर याचिका दायर की गईं। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि चूंकि सबरीमाला में भगवान अयप्पा एक ब्रह्मचारी थे, इसलिए अदालत को 10-50 साल के मासिक धर्म में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की परंपरा में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। RTI के तहत CJI ऑफिस पर भी फैसला सीजेआई ऑफिस को आरटीआई के तहत लाने की अनुमति देने पर गोगोई की अध्यक्षता वाली एक अन्य पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 4 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। वहीं, फ्रांस से 36 राफेल जेट लड़ाकू विमान की खरीद संबंधित मामले में एनडीए सरकार को क्लीन चिट पिछले साल दी गई, लेकिन इस फैसले को चुनौती देते हुए समीक्षा याचिका दायर की गईं जिस पर सीजेआई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच के निर्णय का इंतजार है।

No comments:

Post a Comment