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Food New York TimesBy BY NIKITA RICHARDSON Via NYT To WORLD NEWS

Saturday, October 5, 2019

नॉर्थ-ईस्ट को घुसपैठियों से बचाएगा नया सीएबी क्लॉज: अमित शाह

नई दिल्ली गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को आइजोल में मिजोरम के मुख्यमंत्री ज़ोरमथांगा, गैर-सरकारी संगठनों और नागरिक संगठनों के साथ अलग-अलग बैठक कीं और आश्वासन दिया कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक में एक स्पेशल क्लॉज शामिल किया जाएगा ताकि नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के साथ-साथ उनका राज्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर बसे और भारतीय नागरिकता पाने वाले लोगों से प्रभावित न हो। इन तीनों राज्यों यानी मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में इनर लाइन परमिट व्यवस्था काम करती है। इन राज्यों में इस व्यवस्था को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है। शाह ने भी इस पर जोर दिया और कहा कि ऐसा इसलिए करना जरूरी है ताकि नागरिकता (संशोधन) विधेयक का राज्य पर विपरीत प्रभाव न पड़े। मिजोरम के मुख्यमंत्री ने शाह से अपनी बैठक खत्म होने के बाद कहा, 'गृह मंत्री ने फैसला किया है कि प्रस्तावित विधेयक में एक विशेष उपधारा या क्लॉज जोड़ा जाएगा, जिसमें मिजोरम के लिए विशेष प्रावधान होंगे। गृह मंत्रालय चाहता है कि विधेयक को संसद में पेश करने से पहले हम उस विशेष उपधारा या क्लॉज को प्रस्तुत करें। यह स्पेशल क्लॉज राज्यों में इनर लाइन परमिट यानी आईएलपी को मजबूत बनाने में मदद करेगा।' मिजो एनजीओ कॉर्डिनेशन कमिटी के चेयरमैन ने कहा, 'हमें आश्वासन दिया गया है कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक के साथ-साथ आईएलपी भी होगा और यह हमें बाहरी घुसपैठियों के खिलाफ सुरक्षा देगा। यह नॉर्थ-ईस्ट राज्यों के साथ-साथ उन राज्यों में भी लागू होगा जहां आईएलपी सक्रिय है।' क्या है आईएलपी या इनर लाइन परमिट? आईएलपी यानी इनर लाइन परमिट भारत सरकार द्वारा दिया गया एक ट्रैवल डॉक्युमेंट या दस्तावेज है। यह एक तरह से भारत का अपना आंतरिक वीजा होता है, जिसका नियम ब्रिटिश सरकार ने बनाया। इस दस्तावेज की जरूरत प्रतिबंधित क्षेत्रों की यात्रा के दौरान पड़ती है। फिलहाल यह व्यवस्था मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड में ही लागू है। इन तीनों राज्यों से बाहर रहने वाले लोगों को संरक्षित क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति लेना अनिवार्य है। वहीं समिति ने शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा के दौरान नागरिकता (संशोधन) विधेयक के खिलाफ अपने नियोजित विरोध-प्रदर्शन को कैंसल कर दिया क्योंकि शाह बाद में उनसे मिलने और उनकी शिकायतों को सुनने के लिए तैयार हो गए। समिति ने गृह मंत्री को सीएबी के विरोध में एक ज्ञापन सौंपा। 2016 में भी पेश किया गया था नागरिकता (संशोधन) विधेयक बता दें कि नागरिकता संशोधन विधेयक को 19 जुलाई 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन इसे रद्द कर दिया गया। अगर अब यह विधेयक पास हो जाता है तो अफगानिस्तान और बांग्लादेश और पाकिस्तान के सभी गैरकानूनी प्रवासी हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई भारतीय नागरिकता के योग्य हो जाएंगे।

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