2014 के लोकसभा चुनाव में स्मृति इरानी जब राहुल गांधी से चुनाव हारीं तो बहुत से चुनावी समीक्षकों ने अनुमान लगाया कि वह अमेठी का दोबारा रुख नहीं करेंगी। ज्यादातर हाई प्रोफाइल सीटों का यही हाल रहता है। बड़े कैंडिडेट से शिकस्त खाने के बाद या तो हारे हुए उम्मीदवार अगले चुनाव में नजर नहीं आते हैं या अपना निर्वाचन क्षेत्र बदल देते हैं। लेकिन स्मृति इरानी पर यह बात लागू नहीं होती है। अमेठी से चुनाव हारने के बावजूद वह लगातार यहां के लोगों के स्मृति पटल पर छाई रहीं और अंततः उन्होंने इस सीट से कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गाँधी को पटखनी दे ही दी।
via WORLD NEWS
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