15 जनवरी से 4 मार्च तक चलने वाले प्रयागराज कुंभ मेला में धार्मिक भावना और आस्था के साथ-साथ कई भव्य मानक बने। यह कुंभ मेला अनेक विश्व रिकॉर्ड बनाने के लिए भी जाना जाएगा। कुंभ में विशाल जनमानस ने गंगा में स्नान कर सात्विकता और पुण्यलाभ प्राप्त किया। नागाओं को देखने वालों की भारी भीड़ रही तो अखाड़ों वाले सेक्टर में हमेशा चहल-पहल दिखी। इससे ये तो पता चलता है कि धर्म की इस बनावट और बसावट से लोग अभी भी अनभिज्ञ हैं। इस बार कुंभ में सामाजिक रूढ़ियां टूटी। एक और दलित महामंडलेश्वर बना और उन्होनें अपनी जाति या समाज के लोगों को नई परंपराओं से जोड़ा। किन्नर अखाड़े को जूना ने अपना अंग बनाकर शाही स्नान में साथ रखा। साथ ही शैव और वैष्णव अखाड़ों में बंधुता के कई उदाहरण दिखे। प्रयाग कुंभ मेले में 10 हजार स्वच्छता कर्मियों ने झाड़ू लगाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया। कुंभ के दौरान प्रयागराज विश्व का एकमात्र ऐसा शहर बना, जहां 503 बसों की परेड एकसाथ कराई गई। इसे गिनीज वर्ल्ड रेकार्ड में शामिल भी किया गया। इस साल के कुंभ में आध्यात्मिकता के रंग में पूरा प्रयागराज रंगा हुआ था। लेकिन इस धार्मिक आध्यात्मिकता में स्वच्छता और विकास का भी संगम था जो अपने आप में एक मिसाल है।
via WORLD NEWS
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