रिटायरमेंट फंडों की बिल्कुल अपारदर्शी प्रवृत्ति के कारण फंसी रकम का सही-सही आकलन तो नहीं किया जा सका है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका आंकड़ा 20 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह रकम IL&FS को मिले बैंकों, म्यूचुअल फंडों एवं अन्य वेल्थ मैनेजमेंट स्कीमों से प्राप्त कर्जों से इतर है। via WORLD NEWS The Navbharattimes
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