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Monday, October 4, 2021
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नाव में छेद है, लेकिन स्कूल के लिए जान जोखिम में डाल नदी पार कर रहे 7 गांवों के बच्चे
प्रमोद तिवारी, भीलवाड़ा
राजस्थान में स्कूल पहुंचने का यदि कोई सबसे खतरनाक रास्ता है तो वो यही हो सकता है। इस वीडियो में जो स्टूडेंट नाव पर सवार हैं, वो इसी तरह रोजाना स्कूल जाते हैं। 3 किलोमीटर कीचड़ भरा पैदल रास्ता और फिर टूटी नाव से नदी पार करते ये बच्चे भीलवाड़ा जिले के हैं। यहां 7 गांवों के बच्चें इसी तरह जहाजपुर उपखंड की आदर्श ग्राम पंचायत बाक़रा के सरकारी स्कूल पहुंचते हैं। नाव में सवार होने से पहले यह बच्चे पहले नाव में छेद होने से उसमें भरे पानी को निकालते हैं। फिर रस्सी के सहारे नाव में सवार हो नदी पार करते हैं।
बांकरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में इस खतरनाक रास्ते से स्कूल पहुंचने को मजबूर बच्चों की संख्या 34 हैं। ये सात गांवों से पहुंचते हैं, सभी का यही एकमात्र रास्ता है। बाघ की झोपड़ियां, हरसोला की झोपड़ियां, मेलवा, भीमपुरा, बागर, थल और केसरपुरा से बाकरा से बाग की झोपड़िया पहुंचे हैं। सड़क निर्माण पूरा नहीं होने और रास्ते में नदी आने के कारण अपनी जान की जोखिम में डालते हैं।
बाकरा ग्राम पंचायत के उपसरपंच सत्यनारायण शर्मा कहते हैं कि खेड़ा बरकी पुलिया के नाम से यह जाना जाता है। 10 साल पूर्व नरेगा में यहां पुलिया बनी थी। पानी के तेज बहाव के कारण यह टूट गई। प्रशासन को बार-बार कहने के बावजूद भी इसे ठीक नहीं किया जा रहा है। इससे 7 गांव के स्टूडेंट्स को स्कूल आने-जाने में भारी परेशानी होती है। यह फिलहाल नाव में बैठकर आ जा रहे हैं। लेकिन कभी भी हादसा हो सकता है।
उन्होंने कहा, 'मैं प्रशासन और सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से निवेदन करता हूं कि वह हमारी इस समस्या का समाधान करें। क्योंकि विद्यार्थियों के अतिरिक्त बाकरा राजस्व गांव कि 70% से अधिक जमीन नदी के उस पार है। जहां से मवेशी और ग्रामीणों को आने जाने में भी भारी परेशानी होती है।
बाकरा गांव के ही सामाजिक कार्यकर्ता सांवरिया सालवी ने कहा कि नदी की पुलिया टूटने से रोजाना ग्रामीण और छात्रों को भारी समस्या आ रही है। इसके बारे में उच्च अधिकारी और दोनों दलों के नेताओं को अवगत कराया है। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ। इसके समाधान के लिए ग्रामीण पुरजोर मांग कर रहे हैं।
via WORLD NEWS
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